कम दर और ज्यादा कर चोरी एक साथ नहीं चल सकती:- वित्त मंत्री अरुण जेटली

कम दर और ज्यादा कर चोरी एक साथ नहीं चल सकती:- वित्त मंत्री अरुण जेटली

मुंबई: (जी न्यूज)——————–   वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) की दर को लेकर लगाई जा रही तमाम अटकलों के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि कर की कम दर और ज्यादा कर चोरी एक साथ नहीं चल सकती।

जेटली ने यहां भाजपा कार्यकर्ताओं की बैठक में कहा, ‘यदि सभी करदाता अपने कर का भुगतान करें, तो इससे कर की दरों को और कम करने में मदद मिलेगी। जितनी ज्यादा कर चोरी और कर में छूट होगी उतनी ही उंची कर दरें होंगी। कर की दर भी कम हो और कर चोरी भी ज्यादा हो यह एक साथ नहीं चल सकता।’ 1

भाजपा की मुंबई इकाई के अध्यक्ष आशीष शेलर ने जीएसटी के तहत प्रस्तावित दर 17 प्रतिशत रखने जाने की मांग की जिसके जवाब में जेटली ने यह बात कही।

उन्होंने आगे कहा कि जितने ज्यादा लोग कर चोरी करेंगे उतना ही कर ढांचे में विसंगतियां होंगी।

जीएसटी की प्रस्तावित एकीकृत कर प्रणाली में देश एकल बाजार में तब्दील हो जाएगा क्योंकि इससे देशभर में वस्तु और सेवाओं की आवाजाही बेरोकटोक हो सकेगी। जेटली ने कहा कि इसके लिए देशभर में एक समान कर की दर होनी चाहिये। जीएसटी के तहत कर की दरों को कम रखा जा सकेगा जिससे कारोबार करने की लागत कम होगी और अतत: उपभोक्ता के लिये भी दाम कम होगा।

जेटली ने कहा, ‘आपको चाहिये कि एक व्यक्ति का कर मामले में एक बार ही आकलन होना चाहिये, उस पर विभिन्न राज्यों में अलग अलग कर प्राधिकरणों द्वारा आकलन नहीं किया जाना चाहिये। ऐसा होने पर ही कारोबार करना आसान होगा।’

उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे लोगों की बड़ी संख्या है जो कि कर रिटर्न तो दाखिल करते हैं लेकिन वास्तव में वह कोई कर नहीं देते हैं। जेटली ने कहा कि दुबई और सिंगापुर को छोड़कर हमारी कर की दरें अब अधिक तर्कसंगत हो रही है। अप्रत्यक्ष कर की दरें और कम होंगी इसके लिये इनका आधार बढ़ाने की जरूरत है और इसे हासिल करने के लिये हर किसी को अपने करों का भुगतान करना चाहिये।

वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी को अमल में लाना उनकी त्वरित चुनौती है। इसके बाद अगली चुनौती बैंकों को मजबूत बनाने की है। उन्होंने कहा, ‘सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत बनाने के लिये काम कर रही है और हम इसके लिये प्रतिबद्ध हैं।’

इस माह की शुरआत में संसद ने जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक को पारित कर दिया है और असम, बिहार की विधानसभाओं ने इस पर अपनी सहमति भी जता दी है। इस विधेयक को आधे से अधिक राज्यों में मंजूरी मिलना जरूरी है। उसके बाद ही इसे संवैधानिक वैधता प्राप्त होगी।

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