- August 8, 2016
टेलीमेडिसिन परियोजना जनजातीय लोगों के लिए वरदान
हिमाचल प्रदेश——————– सरकार द्वारा आरम्भ की गई टेलीमेडिसिन परियोजना जनजातीय लाहौल स्पीति जिले के दूर-दराज व हिमाच्छादित क्षेत्रों के रोगियों के लिए वरदान साबित हो रही है और अब इन क्षेत्रों के रोगियों को चिकित्सा जांच विशेषकर आपात स्थिति में बिना किसी आवागमन के विशेषज्ञ चिकित्सा सेवाएं सुलभ हो रही हैं।
प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने आज यहां कहा कि टेलिमेडिसिन स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं, वर्तमान में स्वास्थ्य उपचार विशेषज्ञों के माध्यम से लाहौल स्पीति व किन्नौर जिलों में प्रदान की जा रही हैं। दूर-दराज स्थित इन क्षेत्रों में आईसीटी (सूचना एवं संचार तकनीक) का प्रयोग कर रोगियों को बीमारियों की रोकथाम व उपचार सम्बन्धी जानकारी प्रदान की जा रही है। भविष्य में प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी इस परियोजना का विस्तार किया जाएगा जो प्रदेश के दूरदराज क्षेत्रों में विशेषज्ञ स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं उपलब्ध करवाने में वरदान साबित होगा।
उन्होंने कहा कि सरकार ने विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी तथा जनजातीय क्षेत्रों की जटिल भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर इस परियोजना को आरम्भ किया है। टेलिमेडिसिन प्रणाली में रोगी तथा विशेषज्ञ चिकित्सकों के लिए विशिष्ट रूप से निर्मित हार्डवेयर व साॅफटवेयर को शामिल किया गया है जिसमें कुछ उपचारीय उपकरण जैसे ई.सी.जी. माॅनिटर, एक्स-रे मशीन, पैथोलोजी माईक्रोस्कोप/कैमरे रोगियों की सुविधा के उपलब्ध करवाए गए हैं।
उन्होंने कहा कि अपोलो अस्पताल इस परियोजना को कार्यान्वित कर रहा है और जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सेटेलाईट के माध्यम से अपोलो के नई दिल्ली व हैदराबाद स्थित विशेषज्ञ चिकित्सकों से जोड़ा गया है जिससे इन क्षेत्रों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी के बावजूद रोगियों को उच्च स्तरीय विशेषज्ञ चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने में सफलता हासिल हुई है।
टेलिमेडिसिन परियोजना के अन्तर्गत लाहौल स्पीति जिला में दो केन्द्र कार्य कर रहे हैं जिसमें से एक केलंग तथा दूसरा काजा में स्थित है और अभी तक इस परियोजना के अन्तर्गत 4365 रोगियों को उपचार सुविधा प्रदान की गई है जिनमें 288 आपातकालीन मामले शामिल हैं। टेलिमेडिसिन सुविधा से स्थानीय चिकित्सक आपातकालीन मामलों में विशेषज्ञों के परामर्श से रोगियों का सफलतापूर्वक उपचार कर रहे हैं। रोगियों को तत्काल व विशेषज्ञ चिकित्सा उपचार उपलब्ध होने से क्षेत्र में अनेक लोगों की जान बचाई जा सकी है।
प्रवक्ता ने कहा कि इसी तरह के एक मामले का गत शनिवार को काजा स्थित टेलिमेडिसिन सेंटर में सफलतापूर्वक उपचार किया गया। राजकुमार नाम के एक व्यक्ति की सुप्रावेंटिकुलर टेकिकार्डिया (एस.वी.टी.) बीमारी का इस सेवा के माध्मय से सफलतापूर्वक उपचार किया गया। चिकित्सों ने पहली बार काजा में डिफरलेडर तकनीक का प्रयोग कर एक बहुमूल्य जान को बचाने में सफलता हासिल की।
उन्होंने कहा कि चिकित्सकों व नर्सिग स्टाफ को आपातकालीन मामलों से निपटने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया गया है और ऐसे मामलों के उपचार के लिए विशेष आॅपरेशन थियेटर स्थापित किया गया है। अलोलो अस्पताल के विशेषज्ञ चिकित्सक नियमित रूप से इन टेलिमेडिसिन केन्द्रों का दौरा करते रहते हैं। केलंग व काजा में विशेषज्ञ चिकित्सकों की निगरानी में एक विशेष शिविर का आयोजन किया गया जिसमें स्त्री रोग विशेषज्ञ, न्यूरो सर्जन, आर्थोपेडिसियन आदि शामिल थे। इन शिविरों के दौरान केलंग में 234 तथा काजा में 222 मामलों की जांच की गई।
अनुसंधान एवं मूल्यांकन के साथ हैल्थ केयर प्रोवाईडरों को पीजीआई चंडीगढ़, एसजीपीजीआई, लखनऊ व नई दिल्ली स्थित एम्स के विशेषज्ञ के परामर्श से निरंतर शिक्षित करने के लिए आईजीएमसी शिमला में टेलिमेडिसिन परियोजना का कार्यान्वयन किया जा रहा है। इस परियोजना के तहत डा. राजेन्द्र प्रसाद राजकीय मेडिकल काॅलेज टांडा को भी आईजीएमसी से जोड़ा गया है।