- May 31, 2016
आवासीय कॉलोनियों में भूमिगत विद्युत लाइन स्थापित करने के निर्देश
रायपुर ——————(छ०गढ)—————— राज्य शासन के आवास एवं पर्यावरण विभाग द्वारा भवन निर्माण और ढहाने के दौरान उड़ने वाले धूल और इनसे होने वाले प्रदूषण की रोकथाम के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
विभाग ने आवासीय कॉलोनियों में भूमिगत विद्युत लाइन के लिए भी निर्देश जारी किए हैं। मंत्रालय (महानदी भवन) से आवास एवं पर्यावरण विभाग ने दो अलग-अलग आदेश जारी कर भू-स्वामियों, निर्माणकर्ताओं और विकासकर्ताओं के लिए इस संबंध में मार्गदर्शी सिद्धांत प्रसारित किए हैं।
विभाग द्वारा जारी आदेश में पर्यावरण संरक्षण, जनसुरक्षा और स्वास्थ्य की दृष्टि से प्रदूषण के रोकथाम के लिए निर्माणाधीन भवनों के चारों ओर धूल अवरोधक लगाया जाना जरूरी किया गया है। प्रदूषण रोकने के लिए निर्माण स्थलों पर जरूरत के अनुसार क्लोज कर्टेन, बिन्ड ब्रेकिंग स्ट्रक्चर, बैरियर, मिट्टी में नमी एवं वृक्षारोपण जैसे उपाय अपनाने कहा गया है।
यह आदेश शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में एक हजार वर्गमीटर या उससे अधिक क्षेत्रफल के भूखंड में आवासीय, वाणिज्यिक, औद्योगिक, सार्वजनिक एवं अर्द्ध-सार्वजनिक भवनों के किसी भी प्रकार के निर्माण, पुनर्निर्माण और भवन गिराने के कार्यों पर लागू होगा। भवनों के निर्माण एवं ढहाने के दौरान उड़ने वाली धूल के कारण जनजीवन और पर्यावरण दुष्प्रभावित होता है। इन पर प्रभावी नियंत्रण तथा पर्यावरण संरक्षण, उड़ने वाले धूल के रोकथाम और जनसुरक्षा के लिए विभाग ने यह कड़े कदम उठाए हैं।
आवास एवं पर्यावरण विभाग द्वारा जारी एक अन्य आदेश में भू-स्वामियों, निर्माणकर्ताओं और विकासकर्ताओं को आवासीय कॉलोनियों में भूमिगत विद्युत लाइन स्थापित करने कहा गया है। इसके लिए कॉलोनियों में विद्युत लाइन एवं विद्युत कनेक्शन जारी करने के लिए भूमिगत विद्युत केबल की स्थापना भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा प्रकाशित संहिता, सहपठित केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण (सुरक्षा तथा विद्युत आपूर्ति संबंधी उपाय) विनिमय, 2010 का पालन अनिवार्य किया गया है।
आवासीय कॉलोनियों में खुली विद्युत लाइनें हैं जिसके कारण दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। साथ ही बिजली खंभों के कारण सार्वजनिक मार्गों की चौड़ाई एवं यातायात प्रभावित होता है। इनके निराकरण के लिए विभाग ने कॉलोनियों में भूमिगत विद्युत लाइन स्थापना का आदेश जारी किया है। भूमि स्वामियों द्वारा इन दोनों आदेशों, अपने उत्तरदायित्वों या कर्त्तव्यों का पालन नहीं करने पर शासन द्वारा छत्तीसगढ़ भूमि विकास नियम, 1984 के अनुसार कार्यवाही की जाएगी।