- April 24, 2016
नव विकास बैंक पर समझौता और ब्रिक्स कॉन्टिन्जेंट रिजर्व एग्रीमेंट
नव विकास बैंक ब्रिक्स और अन्य विकासशील देशों में बुनियादी ढांचा और टिकाऊ विकास परियोजनाओं के लिए संसाधन जुटाएगा। इससे वैश्विक वृद्धि और विकास के लिए बहुपक्षीय और क्षेत्रीय वित्तीय संस्थानों के मौजूदा प्रयासों में भी मदद मिलेगी।
बैंक की स्थापना से भारत और अन्य देशों को अपनी बुनियादी ढांचा और टिकाऊ विकास परियोजनाओं के लिए संसाधन जुटाने में मदद मिलेगी। इससे ब्रिक्स देशों के बीच नजदीकी संबंध भी जाहिर होंगे, जिससे आर्थिक भागीदारी को भी मजबूती मिलेगी।
ब्रिक्स सीआरए के माध्यम से बीओपी संकट जैसे हालात में मदद के लिए मुद्रा अदलाबदली के माध्यम से सदस्यों को अल्पकालिक तरलता उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है। ब्रिक्स सीआरए से भारत और अन्य देशों को तरलता में कमी स्थिति में मदद मिलेगी और वित्तीय स्थायित्व मिलेगा। यह वैश्विक वित्तीय सुरक्षा को मजबूत बनाने में भी योगदान देगा।
यह समझौता सभी सदस्य देशों द्वारा ब्राजील में की गई घोषणा के क्रम अपने हिस्से का फंड जमा करने के बाद लागू होगा और बैंक अपना परिचालन चालू करेगा। एनडीबी के अंतर-सरकारी समझौते में भारत द्वारा की गईं प्रतिबद्धताओं को भी लागू किया जाए, जिसमें आर्टीकल्स ऑफ एग्रीमेंट के मुताबिक बैंक और उसके कर्मचारियों को विशेषाधिकार और प्रतिरक्षा भी उपलब्ध कराई जाएगी।
सदस्य देशों के केंद्रीय बैंक भी अंतर-केंद्रीय बैंक समझौते को अंतिम रूप देंगे, जिसमें अदलाबदली लेनदेन का परिचालन विवरण शामिल होगा और अरेंजमेंट से पहले स्थायी समिति की परिचालन प्रक्रियाओं (एससीओपी) को लागू किया जा सकता है।
नव विकास बैंक की स्थापना के लिए समझौते पर हस्ताक्षर से भारत को बुनियादी ढांचा विकास के लिए ज्यादा संसाधन जुटाने में मदद मिलने का अनुमान है, जिसकी कमी से अभी तक समावेशी विकास नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा बैंक का प्रशासनिक ढांचा और फैसला लेने जैसे कार्य काफी हद तक मौजूदा बहुपक्षीय विकास बैंकों की तरह ही होंगे।
अभी तक भारत में बुनियादी ढांचा वित्तपोषण दो सार्वजनिक स्रोतों- सरकार और मौजूदा बहुपक्षीय विकास बैंकों द्वारा ही किया गया है। इसकी भरपाई सार्वजनिक निजी साझेदारी परियोजनाओं के माध्यम से निजी क्षेत्र के अंशदानों से की गई है। हालांकि राजकोषीय मजबूती के संदर्भ में मौजूदा एमडीबी और निजी क्षेत्र के प्रति जोखिम सुरक्षा में कमी को देखते हुए ब्रिक्स देशों ने नव विकास बैंक की स्थापना की है, जो विकासशील देशों में जमा धनराशि के पुनर्चक्रीकरण के माध्यम से अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे, जो फिलहाल बेहद कम रिटर्न पर ट्रेजरी बॉन्डों में फंसे हुए हैं।
समझौते पर हस्ताक्षर समान लक्ष्यों को हासिल करने के लिए ब्रिक्स देशों की आर्थिक भागीदारी की दिशा में पहला कदम है। ब्रिक्स सीआरए सुरक्षा उपलब्ध करार इक्विटी और समावेशन सुनिश्चित करेगा, जिससे भारत सरकार जरूरी और साहसी नीतिगत फैसले ले सकेगी।
ब्रिक्स सीआरए से हमारी विकासशील अर्थव्यवस्था की जरूरतें पूरी होने का अनुमान है, जिससे अतिरिक्त विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूती मिलेगी। अभी तक आईएमएफ ही इस प्रकार की सुरक्षा देता है, जो किसी तरह के बीओपी संकट की स्थिति में भारत को मिलता है। आईएमएफ प्रशासनिक सुधारों के लंबित होने के कारण भारत की आईएमएफ के फैसलों में भागीदारी नहीं है। प्रस्तावित सीआरए से एक वैकल्पिक दृष्टिकोण मिलेगा। इससे हमारी अर्थव्यवस्था को ज्यादा प्रभावी तरीके से ब्रिक्स के साथ जुड़ने के लिए एक अतिरिक्त विंडो मिलेगी।