बम भोले की फास्टिंग या व्रत :- शैलेश कुमार ,वेब संपादक

बम भोले की फास्टिंग या व्रत :- शैलेश कुमार ,वेब संपादक
स्वास्थ्य रिपोर्ट के अनुसार महिलायें पुरुषों के अपेक्षा लंबे समय तक जीवित रहती है ।
इस रिपोर्ट में सबसे बढ़िया नुस्खा था :::::::::  ज्यादा उपवास  करना । जिसके कारण  शारीरिक संरचनाओं में बेहतर सुधार होता रहता है। images
अब वह भी उपवास करने के फ़िराक में रहने लगा  ।  लेकिन समस्याएं यह आती रही की कौन सा दिन फास्टिंग रखा जाय क्योंकि  कोई दिन ऐसा नहीं है जो देवताओं या ग्रहों के नाम पर न हो।
सोम ——–महादेव , मंगल ——–बजरंगवली , बुद्ध ————-  श्री गणेश , बृहस्पति —–गुरु , शुक्र ——संतोषी माँ ,  ——-शनि ——– जगजाहिर है ,रवि ——— सूर्य।
सप्ताह के पांच दिन ही उपवास योग्य है।  शेष —ग्रह ही ग्रह है।
अगर भूगोल की बातें करें तो —— जहाँ  सोम की चर्चा नहीं है,  वहीँ  रवि आग और रासायनिक युग्म है।
सभी कोनों की जांच पड़ताल कर ——— सोमवार को फास्टिंग या व्रत रखना शुरू हुआ।
एक को जानकारी मिली तो उसने कहा ——सोमवार  को महादेव की उपासना की जाती है , यह दिन महिलाओं के लिए है , वही सोम व्रत करती है। इस व्रत में वह योग्य वर कि फरमाईश या इच्छा जाहिर करती है।
यह घनचक्कर वाला  समाचार सुना  कर चक्कर में डाल दिया । किया क्या जाय ! महिलायें तो वर मांगती है लेकिन पुरुष क्या मांगे !!
फिर रात के  स्वप्न में बेचारा साधु आया ।   उसने कहा – किस चक्कर में हो !
महिलाओं के अधोगति से बचने के लिये महादेव का यह झूठा ढोंग है ।  इसिलिये  वे कंदराओं के ओट में छिपे हुए हैं ।  वे महिलाओं के कभी नहीं सुनते  ।  तुम बेफिक्र रहो।   यह कह कर वह बेचारा चलता बना ।
वह सोच में पड गया – जो भगवान या पुरुष महिलाओं के नहीं सुनते हैं, क्या कभी पुरुष को सुन सकते हैं !! चलो! जो भी हो।
महिलाओं के चक्कर में इस संसार के पुरुष प्राणी – मात्र भकलोल  बन चुके हैं  कहीं  महादेव  भी तो  नहीं  भकलोल  बन  गये  !!  आफत ! सौ आफत !!
सोम —– महादेव ——महिलायें । मंगल — बजरंगवली —-लड़के। बुद्ध —सर्वाहारी है।  बृहस्पति ——–केले कि पौधे की पूजा । शुक्र ——–महिलाओं के पल्ले ।  आफत की घडी शनि है।  शनि जो पूज्य योग्य है  ही नहीं ,  के नाम पर पीपल पेड़ की पूजा की जाती है ।
इस कोने से उस कोने तक जाय , बेचारे शनि के मारे लोग-बाग पीपल के पेड के धर को धागों से बांधे रखते हैं , बेकसूर पीपल को यह सजा क्यों ? यही तो  अजीबोगरीब लीला है। सताये कोई और  सजा   किसी  और को मिले , प्रकृति  में स्थावर प्राणी पीपल और जीवंत प्राणीयों  में गरीबों  और  निरीह प्राणी मनुष्यों   पर  न्यायालय  की  धौंसपट्टी। रहा न कुल कोई रोबन हारा।
हार थक कर सोम को फास्टिंग या व्रत के लिए चुना गया ।  एक दिन गजानंद से  शाम को मुलाकात हुई ।  वह सेव – संतरे से भरे  एक टोकरी  निकाला । उसने कहा ले लो, उठाओं ।  वह बैठे – बैठे सभी गटक गया। खुद कहने  लगा की आज फास्टिंग में हूँ।   क्या बात है ! इसे कहते है फास्टिंग या व्रत ।
वह हरे कृष्णा – हरे रामा के मंदिर में गया।  वहां भी यही कहा गया की एकादशी व्रत करते हैं ।  जिसमे अन्न  योग नहीं किया जाता है । लेकिन फल – फ्रूट आहार ले सकते  हैं ।
समयानुकूल एक विकट सम्बन्धियों के साथ समय गुजरा। अब किया क्या जाय ! उन्होंने भी कहा कोई बात नहीं ———व्रत कहिये  या फास्टिंग , दोनों एक ही शब्द  है।  परिणाम एक ही है।  फल खा सकते है।
उन्होंने ढेर सारा अमरुद तोड़े।  फिर क्या था !  नेकी और पूछ -पूछ !!
उस दिन से सोम —– -व्रत —–  महादेव —– के नाम पर दूध और किलो पपीता का आहार जारी है। अंतर यह है की  सुबह में ही  ग्राह्य कर लेता है और शाम तक टन -टना- टन ।  बम भोले की फास्टिंग या व्रत की जय  !

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