- April 9, 2016
काला आजार और कुष्ठ रोग पर प्रगति की समीक्षा :-स्वास्थ्य मंत्री श्री जे पी नड्डा
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को काला आजार से प्रभावित राज्यों (बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड और उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्सों) से जुड़ी समस्याओं जैसे सिंथेटिक पाइरेथ्रॉयड स्प्रे, स्टिरअप पंपों को चलाने के लिए उपलब्ध कार्यबल, राज्यों द्वारा चलाए जाने वाले जागरूकता कार्यक्रमों आदि के बारे में बताया गया था। श्री नड्डा ने प्रभावित जिलों में काला आजार को खत्म करने के लक्ष्यों को हासिल करने के वास्ते आक्रामक अभियान के साथ बैठक करने के निर्देश दिए। स्वास्थ्य मंत्री ने मंत्रालय को राज्यों के साथ करीबी समन्वय कायम करके काम करने के निर्देश दिए और अगले तीन महीनों के दौरान राज्यों की प्रगति की समीक्षा करने के लिए भी कहा।
श्री नड्डा ने राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनईएलपी) की भी समीक्षा की। स्वास्थ्य मंत्री को कार्यक्रम के अंतर्गत की गई कई पहलों के बारे में भी बताया गया। कुष्ठ रोग के नए मामलों की खोज में सुधार के क्रम में बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, झारखंड और छत्तीसगढ़ के 50 ज्यादा प्रभावित जिलों में घर-घर कुष्ठ रोग के मामलों की खोज के लिए अभियान चलाया गया।
इस आक्रामक अभियान के माध्यम से 60,000 से ज्यादा नए मामलों की खोज की गई। सचिव (डीएचआर) ने कहा कि मरीज की निगरानी की सुविधा के साथ एक ऑनलाइन सूचना सॉफ्टवेयर विकसित किया जा रहा है, जिससे मामलों की ज्यादा प्रभावी निगरानी में मदद मिलेगी। महामारी संबंधी कारकों के साथ बीमारियों के वितरण के साथ संबंध कायम करने के लिए एक जीआईएस एप्लीकेशन पहले से परिचालन में है। इसके अलावा कुष्ठ रोगियों की कॉलोनियों को मुख्य धारा में लाने के लिए विभिन्न मंत्रालयों से विभिन्न पक्षों के साथ एक कार्यबल का भी गठन किया गया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने निर्देश दिए कि रोगियों की खोज के अभियान का 163 जिलों तक विस्तार किया जाएगा, वहीं यह अभियान मौजूदा 50 जिलों में भी जारी रहेगा। केंद्रीय मंत्री और सचिव (एचएफडब्ल्यू) तीन महीनों के बाद राज्यों द्वारा की गई प्रगति की समीक्षा करेंगे। डीजी (आईसीएमआर) की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाएगा, जो ज्यादा प्रभावित राज्यों में एक प्रतिरोधी-प्रॉफीलैक्सि के तौर पर माइकोबैक्टीरियम इंडाकस प्रानी (एमआईपी) की पेशकश की सिफारिश करेगी।
श्री नड्डा ने बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने की जरूरत पर जोर देते हुए और लोगों को इस मुद्दे के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए इन राज्यों में प्रभावित समुदायों के बीच एक मल्टी-मीडिया आईईसी अभियान चलाने के निर्देश दिए। साथ ही चिकित्सा और पराचिकित्सा कार्यबल की क्षमता बढ़ाने पर भी जोर दिया गया।