खुले में शौच से मुक्त : पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के बाद इंदौर देश का दूसरा जिला

खुले में शौच से मुक्त : पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के बाद इंदौर देश का दूसरा जिला

दिनेश मालवीय ———————–  इंदौर जिले ने स्वच्छता के क्षेत्र में इतिहास रच दिया है। जिले का पूरा ग्रामीण क्षेत्र खुले में शौच से मुक्त हो गया है। खुले में शौच से मुक्त होने वाला पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के बाद इंदौर देश का दूसरा जिला बन गया है। इंदौर देश का ऐसा पहला मॉडल है जिसमें आम लोगों को आगे आकर इस काम में भागीदारी की और स्वयं इसकी माँग की। लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन और मुख्यमंत्रीश्री शिवराज सिंह चौहान कल 25 जनवरी को एक समारोह में इंदौर के ग्रामीण क्षेत्र को औपचारिक रूप से खुले में शौच से मुक्त घोषित करेंगे।

  • देश का दूसरा खुले से शौच मुक्त (ग्रामीण) जिला  बन गया है इंदौर। 

  • जन-समर्थन और वानर सेना के अथक प्रयासों से लक्ष्य को प्राप्त किया ।
    जिले को Odf बनाने के किये अपनाया गया मॉडल  देश के लिए बन सकता है रोल मॉडल।
     

  • इंदौर प्रदेश का पहला जिला जिसकी 312 ग्राम पंचायत पूर्ण रूप से खुले से शौच मुक्त बन गई है।

  • 610 गाँव के प्रत्येक घर में शौचालय बने और सभी लोग उसका उपयोग कर रहे हैं।

  • 20 हजार से अधिक महिला, पुरुष और बच्चो ने इस महाअभियान में सक्रिय भागेदारी की।

  • 10 हजार बच्चो की वानर सेना ने निभाई सक्रिय भूमिका।

  • सांवेर जनपद सबसे पहले odf घोषित होने वाली तहसील बनी।

  • इंदौर मॉडल अपने आप में अलग,  इसमें महिलाओं  और  बच्चों ने पुरुषों से और घर पर शौचालय की मांग की और प्रशासन के सहयोग से खुद के सामर्थ्य से घरों में शौचालय बनाये और पड़ोसियों को इस कार्य के लिए प्रेरित किया।

  • शौचालय का उपयोग न करने वालो को मनाया कि शौचालय का उपयोग करे उसके लिए कई प्रकार के यत्न किये गए।

  • गाँव में शर्म यात्रा निकली गई।  शौच के लिए उपयोग होने वाले लोटा, बॉटल को सबके सामने जलाया गया।

  • ग्रामीणों को शपथ दिलाई गई। उनको खुले में शौच की बुराइयों को बताया गया। बच्चों को विशेष रूप से  समझाया गया। बच्चों में जिद करने की आदत डाली गई।

  • महिलाओं ने सास-ससुर से जिद की। कई घरों में लड़ाई हुई। कई दिनों तक खाना नहीं बना।

जिले की सभी 312 ग्राम पंचायत के 610 गाँव में शौचालय बन गये हैं। सभी लोग इन शौचालयों का उपयोग कर रहे हैं। कलेक्टर द्वारा गठित दलों ने इसका प्रमाणीकरण भी कर दिया है। इस कार्य में गाँव के बच्चों ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन बच्चों की वानर सेना ने अपने माता-पिता से जिद कर घरों में शौचालय बनवाये और लोगों को खुले में शौच करने से रोका। गाँव की महिलाएँ भी इस काम में पीछे नहीं रही। उन्होंने घर-घर जाकर इसकी अलख जगाई। आज वानर सेना और महिलाएँ सुबह 4 बजे से लगातार इस बात की निगरानी कर रही हैं कि कोई खुले में शौच तो नहीं जा रहा।

वानर सेना में जिले के 10 हजार से अधिक बच्चों ने भाग लिया है और यह लगातार सक्रिय हैं। महिलाओं ने लोकगीत बनाकर खुले में शौच के विरूद्ध वातावरण बनाया। जन-प्रतिनिधियों ने भी अपने-अपने ढंग से लोगों को इस बात के लिये प्रेरित किया। कई जगह उन्होंने आर्थिक सहयोग कर भी लोगों के घर में शौचालय बनवाये।

 

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