- July 12, 2016
85 वर्ष पुरानी थेहड़ वासियों पर लटकी हुई तलवार के समाधान पर पहल पब्लिक नोटिस जारी :- श्री जगदीश चोपड़ा
चंडीगढ़ ——— वर्तमान हरियाणा सरकार ने पिछली सरकारों द्वारा पैदा की गई लगभग 85 वर्ष पुरानी थेहड़ की विकट समस्या का समाधान करने के लिए बहुत बड़ा कदम उठाया है, जिसके अंतर्गत सरकार ने थेहड़ के संरक्षित क्षेत्र को डी-नोटिफाई करने की प्रक्रिया शुुरू कर दी है। इसी उद्देश्य से हरियाणा सरकार द्वारा पब्लिक नोटिस जारी किया गया है।
मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार श्री जगदीश चोपड़ा ने देते हुए बताया कि अनेक वर्षों पुरानी थेहड़ समस्या लटकी हुई है।
लगभग 85 वर्ष पूर्व एक नोटिफिकेशन हुआ जिसके तहत सिरसा के थेहड़ को पुरातत्व विभाग की ओर से संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया।
सरकारों की अनदेखी के कारण जिन लोगों को जगह नहीं मिली तथा 1947 में पश्चिमी पाकिस्तान से उजड़ कर अनेक लोग यहां आए, उन लोगों के पास आजीविका का कोई साधन नहीं था और न ही कोई जगह थी। कुछ ये लोग इस थेहड़ पर रहने लगे,
समाज के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को जिन्हें कहीं भी कोई स्थान नहीं मिला उन लोगों ने भी थेहड़ पर मकान बना लिए।
समाज का एक वर्ग और भी था जिन्होंने खून-पसीने की कमाई से आर्थिक रूप से तंगी को झेलते हुए यहां थेहड़ पर लोगों ने मकान बना लिए।
श्री जगदीश चोपड़ा ने बताया कि इस समय लगभग 3 हजार से भी अधिक मकान थेहड़ पर बने हुए है और 15 से 20 हजार की आबादी थेहड़ पर निवास करती है।
उन्होंने बताया कि पीएलआई पिटिशन हुई। उन्होंने बताया कि 9 वर्ष पूर्व उच्च न्यायालय का निर्णय थेहड़ वासियों के विरूद्ध चला और सरकार को उच्च न्यायालय ने आदेश दिये कि थेहड़ खाली करवाया जाए। हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए कन्टेप्ट की प्रक्रिया शुुरु की।
उन्होंने कहा कि जितनी भी सरकारें आई, उन सरकारों ने आपराधिक कोताही की थी। श्री चोपड़ा ने कहा कि बीजेपी की सरकार हरियाणा में बनी तो थेहड़ मामले की बात संज्ञान में आई तथा सरकार ने बहुत गहराई से अध्ययन किया। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट का जब निर्णय हुआ उस समय सरकार को अपील करनी चाहिए थी। लेकिन अपील करने का एक निर्धारित समय होता है तथा 9 वर्ष बाद अपील नहीं की जा सकती।
उन्होंने कहा कि वस्तुस्थिति का आंकलन करने के लिए सरकार ने एक कमेटी बनाई जिसमें एक प्रतिनिधि पुरातत्व विभाग भारत सरकार, एक प्रतिनिधि पुरातत्व विभाग हरियाणा तथा एक प्रतिनिधि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पुरातत्व विभाग के मुखिया शामिल थे।
उन्होंने बताया कि इस कमेटी ने आकर निरीक्षण किया तथा सरकार को रिपोर्ट भेजी। उन्होंने बताया कि कमेटी ने सर्वसम्मति से स्वीकार किया कि थेहड़ पर इतने लोग बस गए हैं तथा थोड़ा सा ही क्षेत्र शेष बचा है। पुरातत्व की दृष्टि से इस क्षेत्र का उपयोग नहीं किया जा सकता।
विशेषज्ञों की रिपोर्ट प्राप्ति के बाद मुख्यमंत्री हरियाणा की अध्यक्षता में एक बैठक हुई जिसमें मुख्य सचिव हरियाणा सरकार, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव, पुरातत्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, हरियाणा के एडवोकेट जरनल तथा मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार शामिल हुए और गहराई से अध्ययन किया तथा पाया कि थेहड़ की जगह पर पुरातत्व विभाग द्वारा में उपयोग व खोज करना असम्भव है।
इसको डी-नोटिफाईड किया जाए तथा भारत के पुरातत्व विभाग को सूचना दी जाए व एक सार्वजनिक सूचना दी जाए की हरियाणा सरकार थेहड़ क्षेत्र को डी-नोटिफाईड करने जा रही है।
श्री चोपड़ा ने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार बहुत संवेदनशील सरकार है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि डी-नोटिफाइड होने पर थेहड़ वासियों पर लटकी हुई तलवार से छुटकारा मिलेगा।