- December 19, 2022
73 से ज्यादा मौत का मुख्य सरगना पुलिस की पकड़ से बाहर — न्यूज 18
सारण. सारण में अबतक हुई 73 से ज्यादा मौत का मुख्य सरगना पुलिस की पकड़ से बाहर है. हालांकि पुलिस और SIT टीम ने कार्रवाई करते हुए कई माफियाओं को पकड़कर जेल भेजा है. पर मुख्य सरगना अब भी पकड़ से बाहर है. सारण के कई इलाकों में हुई मौत के बाद धीरे-धीरे जो खुलासे हो रहे हैं वो और चौकाने वाले हैं. दरअसल नए खुलासे के अनुसार माफियाओं ने शराब मंगवाने और लोगों तक शराब पहुंचाने के लिए बड़ा नेटवर्क स्थापित कर रखा है.
शराब माफियायों ने बिहार में शराब मंगवाने के बाद इसे लोगों तक पहुंचाने के लिए जो तरीका अपनाया है, वो होश उड़ाने वाला है. न्यूज 18 ने जब तहकीकात शुरू की तो कई राज सामने आने शुरू हो गए. शराब माफिया लोगों के मोबाइल नंबर अपने पास रखते हैं. शराब की खेप आने के बाद शुरू होता है मोबाइल के जरिए शराब की डिलीवरी का खेल.
शराब की खपत के भी दो तरीके हैं. शराब माफिया फोन कर बताते हैं कि शराब की बड़ी खेप आ गई है. अगर माफिया के अड्डे पर आकर पीना है तो 20 रुपए सस्ते मिलेंगे.अगर माफिया शराब घर तक पहुंचाएगा तो रेट थोड़ा महंगा होगा. माशरख विधानसभा क्षेत्र के छपिया पंचायत के बिंदटोली का ऐसा ही एक परिवार है जिसके दो लोग जहरीली शराब से मौत हो गई. परिवार के लोग इस नेटवर्क का खुलासा करते हुए सारी बात बता रहे हैं.
महिलाओं का कहना है कि महावीर राउत नाम का व्यक्ति उस इलाके में शराब मंगवाता है और शराब आने के बाद सबके घर फोन करना शुरू करता है. मृतक वीरेंद्र राम की पत्नी चिंता देवी के मुताबिक फोन जब महिलाएं उठाती हैं तो काम के बहाने लोगों को बुलाता है. मृतक की बेटी कोमल कुमारी ने बताया कि पिछले दिनों भी पिता को बुलाकर शराब पिलाया जिसके बाद तबीयत खराब हुई और उनकी मौत हो गई.
जहरीली शराब से हुई मौत के बाद मृतक के परिजन अब शराब माफियाओं की पोल खोलने लगे हैं. सारण में बहरौली ऐसा पंचायत है जहां सबसे ज्यादा मौत हुई है. एक ही परिवार के 6 लोगों की मौत इस पंचायत में हुई है.
कबाड़ी का काम करने वाले पड़ोसी ने बताया कि यूपी के रास्ते शराब की खेप रात में सारण पहुंचती है. पुलिस प्रशासन की मिलीभगत से खेप उतारा जाता है और फिर इसका बंटवारा होता है. स्थानीय भाषा में लोग इसे माल काटना कहते हैं.
टैंकर से माल काटने के बाद शराब को छोटे-छोटे इलाकों में बेचने का काम करने वालेअपने इलाको में अपने नेटवर्क के जरिए इसे खपाते हैं. लोगो के मुताबिक पुलिस को पता होता है कि कब खेप कहां कटेगा इसके लिए पुलिस तक बड़ी रकम पहुंचाई जाती है.