- April 19, 2016
61 अतिरिक्त जिलों में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना :- श्रीमती मेनका संजय गांधी
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना की शुरूआत प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 22 जनवरी, 2015 को शुरू की गई थी और इसने क्रियान्वयन का एक वर्ष पूरा कर लिया है। अपने पहले वर्ष के समापन पर बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना को निम्न शिशु लिंगानुपात वाले 11 राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के अतिरिक्त 61 जिलों में विस्तारित किया जा रहा है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में सचिव श्री वी. सोमसुंदरन सम्मेलन में इस योजना के तहत की गई प्रगति का विवरण प्रस्तुत करेंगे। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय, जन्म पर लिंगानुपात को बेहतर बनाने में क्षेत्रवार पहलों तथा बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए उठाए गए कदमों के अपने अनुभव साझा करेंगे।
यह सम्मेलन अनुभवों को साझा करने का एक अवसर प्रदान करेगा तथा नये जिलों को कार्यक्रम की सफलतापूर्वक योजना बनाने तथा उसे क्रियान्वित करने के लिए प्रेरित करेगा। देश के चारों क्षेत्रों के चुने हुए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जिलों के कलेक्टरों को एक संवादमूलक सत्र में पिछले एक वर्ष में उठाए गए अभिनव कदमों को साझा करने के लिए आमंत्रित किया गया है। सिविल सोसायटी साझीदारों के प्रतिनिधियों को भी सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है।
इस अवसर पर एक प्रदर्शनी गैलरी कुछ प्रतिनिधि राज्यों एवं जिलों से योजना की यात्रा को प्रदर्शित करेगी। इस अवसर पर एक पुस्तिका का भी अनावरण किया जाएगा, जो बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना की यात्रा के एक वर्ष के समापन को प्रदर्शित करेगी।
यह पुस्तिका विभिन्न जिलों में पिछले वर्ष के दौरान उठाए गए अन्वेषक स्थानीय कदमों को प्रस्तुत करेगी। इस योजना की सफलता के लिए सामुदायिक भागीदारी एक पूर्व शर्त है। जमीनी स्तर के प्रतिनिधियों को भी लैंगिक समानता के आंदोलन में अपने अनुभवों को साझा करने के लिए आमंत्रित किया गया है।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना की रूपरेखा गिरते शिशु लिंगानुपात के मुद्दे एवं एक जीवन चक्र अविच्छिनता के जरिये महिलाओं के अधिकारविहीनता के संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए बनाई गई है। प्रारंभ में चुने हुए 100 जिलों में शुरू इस योजना के प्रमुख तत्वों में जागरुकता एवं पक्षधरता अभियान, 100 जिलों में बहु क्षेत्रवार कार्रवाई एवं गर्भाधान पूर्व एवं प्रसव पूर्व नैदानिक तकनीक (पीसी एंड पीएनडीटी) अधिनियम के कारगर क्रियान्वयन शामिल हैं। यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के साथ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय की एक त्रि- मंत्रिस्तरीय पहल है।