5जी : सुनील भारती मित्तल की वनवेब और एलन मस्क की स्टारलिंक भारत में प्रवेश :: रिलायंस जियो का विरोध

5जी : सुनील भारती मित्तल की वनवेब और एलन मस्क की स्टारलिंक  भारत में प्रवेश :: रिलायंस जियो का विरोध

बिजनेस स्टैंडर्ड —- सरकार 5जी सेवाओं के लिए अहम मिलीमीटर वेव बैंड स्पेक्ट्रम को टुकड़ों में बांटने पर विचार-विमर्श कर रही है ताकि उपग्रह संचार सेवा कंपनियों की मांग पूरी की जा सके। लेकिन सरकार के इस कदम का रिलायंस जियो ने विरोध किया है। उपग्रह क्षेत्र की बड़ी कंपनियों में सुनील भारती मित्तल की वनवेब और एलन मस्क की स्टारलिंक शामिल हैं, जो भारत में प्रवेश कर रही हैं।

सरकार के भीतर इस प्रस्ताव पर विचार हो रहा है कि 5जी मोबाइल परिचालन के लिए 3जीपीपी स्टैंडर्डाइज्ड बैंड के बजाय मिलीमीटर वेव बैंड में केवल 24.5-28.5 गीगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम की नीलामी की जाए। 3जीपीपी स्टैंडर्डाइज्ड बैंड 29.5 गीगाहट्र्ज तक है। इसका 5जी के लिए जापान दक्षिण कोरिया, नॉर्वे, ताइवान समेत कई देशों में इस्तेमाल हो रहा है। इसके बजाय 1गीगाहट्र्ज बैंड केवल उपग्रह संचार सेवाओं के लिए रखा जाएगा। उपग्रह संचार सेवा प्रदाताओं की मांग यह भी है कि स्पेक्ट्रम नीलामी के बजाय सरकार द्वारा निर्धारित कीमतों पर दिया जाए। ऐसा हुआ तो 5जी के लिए मोबाइल ऑपरेटरों की खातिर स्पेक्ट्रम की उपलब्धता मिलीमीटर वेव बैंड में काफी घट जाएगी।

जियो ने दूरसंचार विभाग से कहा है कि वह सरकार में बन रही इस राय के पक्ष में नहीं है कि 5जी बैंडों की नीलामी और टुकड़ों में की जाए, जिसमें मिड बैंड 3300-3670 को नीलामी के लिए पहले रखा जा रहा है और मिलीमीटर वेव बैंड की नीलामी का फैसला बाद के लिए छोड़ा जा रहा है। ट्राई को दूरसंचार विभाग की राय के बाद इसकी आधार कीमत तय करने की प्रक्रिया अभी शुरू ही हुई है।

इस दूरसंचार कंपनी का कहना है कि अगर इन दोनों कदमों को लागू किया गया तो उनका 5जी सेवाओं की शुरुआत पर बुरा असर पड़ेगा और हाल में सरकार द्वारा इस क्षेत्र को उबारने के लिए उठाए गए सकारात्मक कदम खटाई में पड़ सकते हैं। मगर रिलायंस जियो के एक प्रवक्ता ने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

दूरसंचार विश्लेषकों ने चेताया है कि अगर इन मुद्दों को जल्द नहीं सुलझाया गया तो 5जी की नीलामी में देरी हो सकती है। यह नीलामी अगले साल जनवरी में होनी थी। कुछ अन्य विवादास्पद मुद्दे हैं, जिनसे नीलामी में और देरी हो सकती है। इनमें से एक यह है कि सीओएआई की अगुआई में दूरसंचार कंपनियों ने साफ किया है कि उपग्र्रह सेवा प्रदाता मिलीमीटर वेव बैंड में स्पेक्ट्रम के सरकार द्वारा निर्धारित आवंटन की मांग कर रहे हैं, लेकिन कानूनी रूप से ठीक नहीं है। इसके बजाय सभी के लिए समान मौके हों।

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