- May 6, 2015
27 हजार प्रकरणों में अभियुक्तों को सजा : लोक अभियोजन विभाग
छत्तीसगढ़ के लोक अभियोजन विभाग द्वारा विभिन्न न्यायालयों में पिछले कैलेंडर वर्ष (2014) में जनवरी से दिसम्बर तक पेश किए गए मामलों की सुनवाई के बाद लगभग 27 हजार प्रकरणों में अभियुक्तों को सजा मिली है।
इस दौरान विभाग द्वारा 87 हजार 148 मामले न्यायालय में पेश किए गए। सुनवाई के पश्चात 26 हजार 917 मामलों में अभियुक्तों को सजा सुनाई गई, जबकि 19 हजार 20 प्रकरणों के अभियुक्तों को दोषमुक्त किया गया। उल्लेखनीय है कि पुलिस के लोक अभियोजन विभाग द्वारा पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए आपराधिक प्रकरणों को न्यायालय में प्रस्तुत किया जाता है।
आम लोगों को न्याय दिलाने के लिए विधि एवं विधायी कार्य विभाग द्वारा नियुक्त लोक अभियोजक और अतिरिक्त लोक अभियोजक मामलों की पैरवी करते हैं। इन अधिकारियों द्वारा पुलिस विभाग के प्रकरणों के साथ ही आबकारी विभाग, वन विभाग, खाद्य एवं औषधि विभाग, नाप-तौल विभाग और विद्युत विभाग द्वारा प्रस्तुत मामलों की पैरवी की जाती है।
लोक अभियोजन विभाग द्वारा बीते कैलेंडर वर्ष में सत्र न्यायालयों में दो हजार 943 मामले पेश किए गए। इनमें से एक हजार 28 मामलों के अभियुक्तों को दंडित किया गया, जबकि दो हजार 802 प्रकरणों के अभियुक्तों को दोषमुक्त किया गया। इस दौरान अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के 487 प्रकरण न्यायालय में पेश किए गए। इनमें से 153 प्रकरणों में अभियुक्तों को सजा सुनाई गई, जबकि 433 मामलों में अभियुक्तों को दोषमुक्त किया गया।
नशीली दवाईयां एवं मादक द्रव्य अधिनियम के तहत बीते कैलेंडर वर्ष में विभाग द्वारा 367 मामलों को प्रस्तुत किया गया, जिनमें से 142 प्रकरणों के अभियुक्तों को न्यायालय द्वारा सजा सुनाई गई और 181 मामलों के अभियुक्तों को दोषमुक्त करार दिया गया। इस दौरान विद्युत अधिनियम के तहत 786 प्रकरणों की सुनवाई हुई। इनमें से 117 मामलों में अभियुक्तों को दंडित किया गया, जबकि 63 प्रकरणों में अभियुक्त दोषमुक्त हुए।
लोक अभियोजन विभाग द्वारा पिछले कैलेंडर वर्ष में अधीनस्थ न्यायालयों में भारतीय दंड विधान के तहत 40 हजार 728 मामले प्रस्तुत किए गए। इनमें से नौ हजार 16 आपराधिक प्रकरणों के अभियुक्तों को न्यायालय द्वारा दंडित किया गया एवं आठ हजार 554 मामलों के अभियुक्तों को दोषमुक्त किया गया।
पुलिस विभाग से संबंधित दीगर अधिनियमों के अंतर्गत इस दौरान 25 हजार 453 प्रकरण पेश हुए। इनमें से 16 हजार 458 प्रकरणों के अभियुक्तों को सजा सुनाई गई, जबकि छः हजार 978 मामलों के अभियुक्त दोषमुक्त करार दिए गए।
बीते कैलेंडर वर्ष में पुलिस विभाग के अलावा दूसरे विभागों के कुल 16 हजार 327 मामलों को न्यायालय में पेश किया गया। सुनवाई के उपरांत इनमें से 13 हजार 179 मामलों में अभियुक्तों को दंडित किया गया, जबकि दो हजार 91 प्रकरणों के अभियुक्तों को दोषमुक्त किया गया।