- August 6, 2016
पुरूषों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर काम करने का मन
महासमुंद (छ०गढ)—/ हेमनाथ——————– बागबाहरा विकासखंड के ग्राम करमापटपर की आदिवासी महिला श्रीमती आसमति ने घर की चार दिवारी से बाहर निकलकर अपना व्यवसाय सफलता पूर्वक कर रही है। जहां गांव की कुछ महिलाएं लोक लाज के कारण सिर्फ घर के चार दिवारी पर ही सिमटकर रह जाती है। इससे उपर उठकर आसमति ने पुरूषों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर काम करने का मन बनाया। तथा अपने परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत करने का संकल्प लिया। उनके सपनें को पूरा करने में राज्य शासन द्वारा चलाए जा रहे आदिवासी महिला सशक्तिकरण योजना मददगार साबित हुई है।
इस योजना के तहत उन्हें कारोबार शुरू करने के लिए 50 हजार रूपए का ऋण मिला। जिससे वे स्वयं का किराना दुकान खोलकर अपने परिवार की जिम्मेदारियों को बखूबी निर्वहन एवं आय अर्जित कर पा रही है।आसमति ने बताया कि उनके घर संयुक्त परिवार है। लेकिन उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण अपने परिवार के जिम्मेदारियों को ठीक से निर्वहन नहीं कर पा रहे थे। इस वजह से उन्हें अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ता था। जब उन्हें पता चला कि राज्य सरकार द्वारा आदिवासी महिलाओं को स्वरोजगार स्थापित करने के लिए ऋण दिया जाता है। तो उनके मन में कुछ करने की ईच्छा जागृत हुई।
वे बिना देर किए जिला कार्यालय स्थित अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति पहंुचकर योजनाओं के बारे में जानकारी ली। संबंधित अधिकारियों ने उनकी उत्साह को देखते हुए औपचारिकताएं पूरी कराई। फिर क्या था कुछ दिनों उपरांत चयन समिति द्वारा उनके नाम को किराना दुकान व्यवसाय स्थापित करने के लिए चयनित कर लिया गया।
उन्हें 2010-11 में ऋण मिलने के उपरांत वे अपने घर में बड़े ही लगन एवं मेहनत से किराना दुकान व्यवसाय स्थापित की। जिससे उन्हें काफी आमदनी हो रही है। इस आमदनी से वे ऋण की पूरी किश्त अदा कर चुकी हैं। अब उनके घर की आर्थिक स्थिति पहले से काफी सुधर चुकी है।
आज उन्हें हर कोई सम्मान की दृष्टि से देखते है और उनसे अन्य महिलाएं प्रेरणा लेते है। कहा भी गया है? जहां चाह हैं वहा राह है। उनके इस सफलता को देखकर कई महिलाएं ऋण लेकर व्यवसाय स्थापित करने की राह पर चल पड़ी है।