12 भारतीय महिलाओं की रेस्क्यू –नौकरी का झांसा देकर एजेंट ने बनाया बंधक

12 भारतीय महिलाओं की रेस्क्यू –नौकरी का झांसा देकर एजेंट ने बनाया  बंधक

नई दिल्ली—- दुबई स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास ने सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय पुलिस की मदद से यूएई के अजमान शहर में बंधक बनाई गई 12 भारतीय महिलाओं को 14 दिसंबर को रेस्क्यू किया है। रेस्क्यू की गई सभी महिलाओं को विजिट वीजा पर नौकरी का झांसा देकर यहां लाया गया था। उसके बाद उन्हें एक अपार्टमेंट में बंद कर दिया गया था। छुड़ाई गई महिलाओं में 11 तेलंगाना और 1 कर्नाटक की है।

भारतीय विदेश मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार इस मुद्दे को लेकर हैदराबाद के एक सामाजिक कार्यकर्ता अमजद उल्लाह खान और पांच पीड़ित महिलाओं के परिवार ने बीते शुक्रवार को ट्वीट कर विदेश मंत्री एस जयशंकर से गुहार लगाई थी। जिसके बाद भारतीय राजनयिक अधिकारियों ने इस मुद्दे को संज्ञान में लेते हुए स्थानीय पुलिस की मदद से कार्रवाई कर इन महिलाओं को मुक्त कराया। दुबई स्थित वाणिज्य दूतावास मुक्त कराई गई महिलाओं को अब सुरक्षित और समय पर भारत वापस भेजने के लिए भारतीय संघ के साथ काम कर रहा है।

इस बारे में प्रेस, सूचना और संस्कृति के काउंसिल नीरज अग्रवाल ने बताया कि ”मिशन को शुरू में पांच महिलाओं के बारे में बताया गया था जो संयुक्त अरब अमीरात में काम करने के लिए लाए जाने के बाद बंधक बना ली गई थीं। जब हमने इन्हें छुड़ाने की प्रक्रिया शुरु की तो हमें कुल 12 महिलाओं को बारे में पता चला। जिसके बाद हमने सभी महिलाओं को मुक्त कराकर उन्हें अस्थायी आवास में रखा है और उनकी देखभाल कर रहे हैं।”

अजमान में भारतीय संघ के महासचिव रूप सिद्धू ने कहा कि ”एक महिला को छोड़कर सभी महिलाएं दक्षिण भारत में हैदराबाद से हैं। मुक्त कराई गई सभी महिलाओं की उम्र 21 से 46 वर्ष के बीच है, जिन्हें भारतीय एजेंट द्वारा गृहणी के रूप में झूठी नौकरी का झांसा देकर यहां लाया गया।” सिद्धू ने कहा कि ”लाई गई महिलाओं को उचित नौकरी नहीं दी गई और इन महिलाओं की शिकायत है कि वह बीमार थीं, लेकिन उन्हें इलाज नहीं मिल रहा था।”

इस मामले में अजमान पुलिस ने एक एजेंट को पहले ही गिरफ्तार कर लिया था। जिसके बाद एक अपार्टमेंट में बंद सात महिलाओं को छुड़ाया गया। गिरफ्तार एजेंट से पचा चला कि पांच महिलाओं के एक अन्य समूह को भी उसी एजेंट द्वारा एक अपार्टमेंट बंधक बनाया गया है, जिन्हें मुक्त करा लिया गया है।

समूह की सबसे कम उम्र की हैदराबाद की 21 वर्षीय महिला ने बताया कि वह सितंबर में यहां आई थी और आने के बाद अगले दिन से एजेंट से वापस भेजने का अनुरोध कर रही थी, क्योंकि उसके साथ बुरा व्यवहार किया जा रहा था।

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