10 साल बाद फैसला: आषीश हत्याकांड के सातों अभियुक्तों को आजन्म कारावास

10 साल बाद फैसला: आषीश  हत्याकांड के सातों अभियुक्तों को आजन्म कारावास

सीधी (विजय सिंह)   —————— 4 जनवरी।जिले के वरिष्ठ अधिवक्ता सोमेष्वर सिंह के इकलौते पुत्र आषीश सिंह की हत्या के आरोप में 7 अभियुक्तों को आजन्म कारावास तथा प्रत्येक को 30-30 हजार रुपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया है। विद्वान न्यायाधीश ने पारित निर्णय में यह भी निर्दे्श दिया है कि इसमें से 2 लाख रुपये मृतक के माता पिता को प्रदान किया जाय।साथ ही न्यायालय ने म.प्र. अपराध पीडि़त प्रतिकर योजना 2015 के अंतर्गत् मृतक के माता पिता को प्रतिकर दिलाये जाने की अनुशंसा की है।Late Ashish

विशेष न्यायाधीष तथा अपर सत्र न्यायालय सीधी के विद्वान न्यायाधीष डा.जे.सी.सुनहरे ने सत्र प्रकरण क्रमांक 66/2006, अपराध धारा 302, 201, 34 भा.दं.वि. के आरोप मे धारा 302 के अंतर्गत् सभी अभियुक्तो किशन सिंह उर्फ कृष्णपाल सिंह, विवेक द्विवेदी, शिवेन्द्र मिश्रा, प्रकाषचन्द्र द्विवेदी, प्रषांत कुमार पाण्डेय, नीरज सिंह उर्फ डल्ली एवं हबीबुल रहमान उर्फ बिट्टू के हत्या के आरोप का दोषी पाते हुये सश्रम आजन्म कारावास एवं 25-25 हजार रुपये अर्थ दण्ड तथा हत्या का साक्ष्य विनिष्ट करने के आरोप धारा 201का दोषी पाते हुये 2-2 वर्ष का सश्रम कारावासव 5-5 हजार रुपये के अर्थ दण्ड की सजा सुनाई।

विशेष न्यायालय के अपर लोक अभियोजक अरुण मिश्रा के अनुसार अभियोजन कथानक इस प्रकार है कि 31 दिसम्बर 2005 को मृतक आषीश सिंह को अभियुक्त गण नये साल का जश्न मनाने फारेस्ट रेस्ट हाऊस टिकरी बुला कर ले गये थे। जहां से मृतक गायब हो गया। अभियुक्तों ने दूसरे दिन 1 जनवरी 2006 को पुलिस चौकी मड़वास मे आषीश की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराते समय दलील दी थी कि मृतक ने बेहद शराब पी रखी थी, मना करने पर छीना झपटी करने लगा और रूठ कर चला  गया।

गुमशुदगी रिपोर्ट के आधार पर 2 जनवरी 2006 को मृतक का शव टिकरी रेस्ट हाऊस के पीछे 250 फीट नीचे गहरी खाई में झाडि़यों के नीचे बरामद किया गया। 3 जनवरी को जिला चिकित्सालय सीधी के तीन सदस्यीय चिकित्सकों की टीम ने शव का अंत्य परीक्षण (पी.एम.) किया। पी.एम. रिपोर्ट के अनुसार मृतक आषीश के शरीर पर मृत्यु पूर्व कारित की गई चोटे पाई गईं। मृत्यु का कारण सिर में पहुंचाई गई चोट के कारण शाॅक एवं ब्रेन हेमरेज तथा मृत्यु का प्रकार हत्यात्मक (होमीसाईडल) बताया गया।

बावजूद इसके भी हत्या का मामला पंजीबद्ध न कर पुलिस चौकी मड़वास प्रभारी सहायक उप निरीक्षक प्रदीप द्विवेदी द्वारा 19 जनवरी 2006 को मृतक का पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टरों से क्योरी की कि क्या मृतक के शरीर में लगी चोटे गहरी खाईं में गिरने से आ सकती हैं ? जिस पर डाक्टरों ने स्पष्ट राय दी कि चूंकि मृतक के शरीर पर कोई अस्थि भंग नही पाया गया है तथा सिर के पिछले हिस्से व शरीर में पाई गईं चोटों की संख्या व प्रकृति को देखते हुये ऐसी चोटे गहरी खाई मे गिरने से आना संभावित नहीं है।तब कहीं जाकर घटना के एक माह उपरांत 30 जनवरी 2006 को मझौली थाना मे अभियुक्त गणों के खिलाफ हत्या का मामला पंजीबद्ध किया गया।

नामजद हत्या का मामला पंजीबद्ध होने के उपरांत भी अभियुक्तो को गिरफ्तार नहीं किया जा रहा था।जिससे क्षुब्ध होकर मृतक के पिता वरिष्ठ अधिवक्ता सोमेष्वर सिंह ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की। माननीय उच्च न्यायालय के आदेश पर पुलिस महानिरीक्षक रीवा जोन रीवा ने अजाक थाना शहडोल में पदस्थ वरिष्ठ निरीक्षक एस.के.बनर्जी को जांच सौंपी। जिन्होंने 19 दिन में विवेचना पूर्ण कर सभी अभियुक्तो को गिरफ्तार कर न्यायालय में चालान पेश कर दिया।

विवेचक श्री बनर्जी ने घटना स्थल का सूक्ष्म निरीक्षण कर अनुसंधान में पाया था कि यदि मृतक गहरी खाईं में गिरा होता तो शव बरामदगी स्थल पर झाडि़यो में टूट फूट होती तथा अत्यधिक मात्रा में खून पाया जाता। उन्होने यह भी व्यक्त किया था कि मृतक की हत्या करने के उपरांत शव को गोपद नदी तट से ले जाकर झाडि़यों के नीचे शिफ्ट किया गया था।

आषीश हत्या कांड इसलिये बहुचर्चित हुआ कि तत्कालीन पुलिस अधीक्षक आर.बी.शर्मा ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बावजूद पत्रकारवार्ता बुला कर इसे आत्महत्या करार दिया था।विवेचक सहायक उप निरीक्षक प्रदीप द्विवेदी ने मड़वास पुलिस चौकी मे अपराध कायम नही किया, पी.एम. करने वाले डाक्टरों से क्योरी के बाद मझौली थाना मे कायमी की गई।

भारतीय दण्डसंहिता की धारा 302 का अपराध होने के बावजूद आरोपी खुल्ला घूम रहे थे, पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने की हिम्मत तक नहीं जुटा पा रही थी। मृतक के पिता सोमेष्वर सिंह द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के उपरांत दिये गये दिशा निर्देषों के बावजूद सीधी की पुलिस लीपापोती में ही लगी रही और अंततः आई.जी. रीवा द्वारा शहडोल अजाकटी.आई. एस.के.बनर्जी को विवेचना सौंपने के उपरांत ही आरोपियों की गिरफ्तारी हुई, न्यायालय में चालान पेश हुआ।

संप्रेषक – स्वतंत्र कार
19, अर्जुननगर, सीधी

Related post

द्वितीय चरण : 88 लोकसभा सीट:  60.96 प्रतिशत मतदान

द्वितीय चरण : 88 लोकसभा सीट: 60.96 प्रतिशत मतदान

PIB Delhi. —– आम चुनाव 2024 के दूसरे चरण के मतदान के तहत 88 लोकसभा सीटों…
तर्कहीन बयानों से जूझती चुनावी राजनीति

तर्कहीन बयानों से जूझती चुनावी राजनीति

तर्कहीन बयानों से जूझती चुनावी राजनीति भ्रमित होते आम मतदाता किस पर करे विश्वास ——–  सुरेश…
VVPAT पर्चियों के 100% सत्यापन की याचिका खारिज  : सुप्रीम कोर्ट

VVPAT पर्चियों के 100% सत्यापन की याचिका खारिज : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने 24 अप्रैल को मतदाता सत्यापन योग्य पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों के साथ…

Leave a Reply