हमारी जनता, हमारे कौशल और हमारी मूल क्षमताओं का किस प्रकार सर्वश्रेष्ठ उपयोग हो —राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल

हमारी जनता, हमारे कौशल और हमारी मूल क्षमताओं का किस प्रकार सर्वश्रेष्ठ उपयोग हो —राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल

राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि ज्ञानवान होना पर्याप्त नहीं है। मानवता के कल्याण में ज्ञान के सदुपयोग में ही सार्थकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में सांस्कृतिक अवधारणाएँ और विचार, वैज्ञानिक संपूर्णता के साथ अभिव्यक्त हुए हैं। वैश्विक महामारी कोविड के दौरान सारे विश्व ने भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्यों की वैज्ञानिकता को पहचान कर योग, प्राणायाम और आयुर्वेद की महत्ता को स्वीकारा है। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश में वैज्ञानिक वातावरण निर्माण की क्रांतिकारी पहल है। यह समग्र, अनुसंधान, चर्चा और विश्लेषण आधारित अध्ययन व्यवस्था निर्माण का अभूतपूर्व अवसर है। उन्होंने कहा कि ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे नवीन शोध कार्यों, आधुनिक तकनीक में हो रहे अपडेशन संबंधी जानकारियों को व्यापक पैमाने पर प्रसारित किया जाए। उन्होंने देश में विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में आत्म-निर्भरता के प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारतीय वैज्ञानिकों ने कोविड टीका विकसित कर राष्ट्र को गौरवान्वित किया है।

भारतीय शिक्षण मंडल के अध्यक्ष श्री मुकुल कानिटकर ने कहा कि विज्ञान और तकनीक मानव मात्र के कल्याण के लिए है। उन्होंने कहा कि क्या, क्यों और कैसे, की जिज्ञासाओं के उत्तर ही विज्ञान के विकास का आधार है। उन्होंने कहा कि प्रकृति ने केवल मानव में ही अपनी क्षमताओं को बढ़ाने की क्षमता दी है। उन्होंने कहा कि कंठ के सोर्स को माइक के रिसोर्स से मानव ने अपने कंठ की क्षमताओं को विस्तारित करते हुए मानवता के समक्ष चुनौतियाँ खड़ी कर ली हैं। आज जरूरत माता और पुत्र के समान प्रकृति और मानव के संबंधों और उसके अनुरूप नवाचारों की है।

निदेशक राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद श्री सुजीत बनर्जी ने कहा कि बच्चों और युवाओं में विज्ञान और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के प्रसार के प्रयास किए गए हैं। स्वागत उद्बोधन कुलाधिपति सैम ग्लोबल यूनिवर्सिटी श्रीमती प्रीति सलूजा ने दिया। आभार प्रदर्शन सैम समूह के चेयरमेन श्री हरप्रीत सलूजा ने माना।

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