‘हमारा टीका सुरक्षित है। इसे छह माह के शिशु से लेकर 60 साल तक के बुजुर्ग को दिया जा सकता है

‘हमारा टीका सुरक्षित है। इसे छह माह के शिशु से लेकर 60 साल तक के बुजुर्ग को दिया जा सकता है

बिजनेस स्टैंडर्ड —- कोरोना महामारी ने टीके तैयार करने का अब तक का तरीका ही उलटकर रख दिया है। दुनिया भर में आम तौर पर टीकाकरण बच्चों से जुड़ा मामला होता है और बच्चों के टीके ही पहले तैयार किए जाते हैं। मगर कोविड-19 के पहले टीके 18 साल और उससे ज्यादा उम्र के लोगों के लिए तैयार किए गए हैं।

टीके बड़ों के लिए बेशक बने हैं मगर बच्चों के लिए टीकों का काम भी तेजी से चल रहा है। एक बड़ी टीका कंपनी का बच्चों का कोविड-19 टीका तैयार करने का काम अंतिम चरण में है। उसने बताया, ‘टीकाकरण कार्यक्रम शुरू होगा और लोगों को व्यापक स्तर पर टीके इस्तेमाल होते दिखेंगे तो किसी को भी उनके सुरक्षित होने पर संदेह नहीं रहेगा।

अगले साल के मध्य में बच्चों के लिए क्लिनिकल परीक्षण शुरू किए जा सकते हैं।’ टीका उद्योग के एक विशेषज्ञ ने कहा, ‘बच्चों के टीकों पर काम जुलाई के आसपास शुरू हो जाना चाहिए। फाइजर-बायोनटेक जैसी बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने 12 साल और अधिक उम्र वाले बच्चों पर परीक्षण शुरू कर भी दिया है।’

उन्होंने यह भी कहा कि 2021 के अंत तक बच्चों का टीका तैयार हो सकता है। मॉडर्ना ने भी 12 से 17 साल के बीच के बच्चों पर टीके का परीक्षण शुरू कर दिया है। कोविड-19 के फैलने तक वयस्कों को आम तौर पर फ्लू, निमोनिया या गर्भाशय के कैंसर से बचाव के टीके ही लगाए जाते थे।

भारत मेें जायडस कैडिला, भारत बायोटेक, जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया जैसी कई कंपनियां हैं जो टीके विकसित करने में लगी हैं। इनमें से सीरम ने 18 साल और इससे अधिक उम्र के 1,600 लोगों पर अपने कोविशील्ड टीके का परीक्षण किया है। जायडस कैडिला भी 18 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों पर टीके का परीक्षण कर रही है।

हालांकि भारत बायोटेक 12 साल और इससे अधिक उम्र के लोगों पर वायरस को पूरी तरह से निष्क्रिय करने वाले टीके का परीक्षण कर रही है। भारत बायोटेक के एक प्रवक्ता ने कहा कि अगर नियामक से मंजूरी मिलती है तो भारत बायोटेक बच्चों पर भी क्लिनिकल परीक्षण कर सकती है।

भारत बायोटेक के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक कृष्णा एला ने कहा, ‘हमारा टीका सुरक्षित है। इसे छह माह के शिशु से लेकर 60 साल तक के बुजुर्ग को दिया जा सकता है।’ टीका उद्योग के जानकारों का कहना है कि प्राथमिक उद्देश्य बाजार में वयस्कों के लिए टीका लाना था क्योंकि बच्चों में इस बीमारी से गंभीर संक्रमण के मामले दुर्लभ हैं। स्कूलों के खुलने पर 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए टीके की मांग बढ़ सकती है।

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