• March 16, 2016

स्वावलम्बन की जालियों से झाँकने लगा है खुशहाली का सूरज – डॉ. दीपक आचार्य उप निदेशक

स्वावलम्बन की जालियों से झाँकने लगा है  खुशहाली का सूरज  – डॉ. दीपक आचार्य  उप निदेशक

उदयपुर —- (सूचना एवं जनसंपर्क)—— ग्रामीणों के कल्याण के लिए राज्य सरकार  सामुदायिक एवं व्यक्तिगत लाभ की विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से अनथक प्रयासों में जुटी हुई है।

गांव के युवाओं के हुनर को विकसित कर उन्हें प्रोत्साहित करने तथा स्वावलम्बनपरक काम-धंधों के लिए वित्तीय योगदान की गतिविधियों ने उदयपुर के हुनरमन्द युवाओं को नई जिन्दगी दी है।01.-Gehrilal-Maruwas

आज ये युवा अपनी मेहनत और हुनर के बूते आत्मनिर्भरता पा चुके हैं और इनके घर-परिवार खुशहाल हो उठे हैं।  ऎसे ही एक युवा हैं श्री गेहरीलाल गमेती।  किसी समय मजूर के रूप में पहचान रखने वाले गेहरी लाल की पहचान गांव के सेठ के रूप में होने लगी है। गेहरीलाल उदयपुर जिले की बड़गांव पंचायत समिति की कठार ग्राम पंचायत के मारूवास गांव में कालीघाटी क्षेत्र की भील बस्ती का रहने वाला है।

जलग्रहण योजना की बदौलत उसका जीवन स्तर बदला और आज वह खुशहाल जिन्दगी जी रहा है। यह सब हुआ जलग्रहण योजना की वजह से। इसमें व्यक्तिगत लाभ की योजना में उसे जो सहयोग मिला उसने गेहरीलाल के सुखद भविष्य की नींव रखी।

आदिवासी युवक गेहरीलाल शहर में मजूरी करने आता रहा है जहां उसने मजदूर के रूप में कई कामों में जुट कर अपनी आजीविका चलाने का प्रबन्ध किया। उसने बड़गांव में आरामशीन तथा उदयपुर, केशरियाजी आदि क्षेत्रों में बतौर श्रमिक काम किया तथा फर्शी मार्बल और सीमेंट की जालियां बनाने का काम भी सीखा।

बड़गांव व उदयपुर में जाली निर्माण के कारीगर के रूप में भी कार्य किया लेकिन उसकी इच्छा थी कि वह औरों पर निर्भर न रहकर स्वयं का व्यवसाय शुरू करे।  जलग्रहण योजना में यह संभव हुआ और उसे इस काम के लिए 25 हजार रुपए की सीडमनी प्राप्त हुई जिससे उसने अपने घर में ही जालियों को बनाने और बेचने की दुकान खोली। जालियों का साँचा (फर्मा) वह ब्यावर से लाया।

गांवों में मांग है जालियों की

आज गेहरीलाल की बनाई सीमेंट की जालियों की क्षेत्र में मांग है। गेहरीलाल बताता है कि एक दिन में विभिन्न आकारों की 30 जालियां बनाता है। इसके लिए तुला गांव से वह सीमेंट लाता है तथा अपनी दुकान में ही जालियां बनाता है। उसकी बनाई जालियां तुला, कठार, छीपाला, मंदार, वाटी,कदमाल, वाघेलों का गुड़ा, फतेहरपुर, मचीन्द, झाखड़ा की भागल आदि विभिन्न गांवों तथा आस-पास की ढाणियों व पहाड़ी क्षेत्रों में बिकती हैं। इन गांवों के लोगों को अब सीमेंट की जालियां खरीदने उदयपुर शहर या और कहीं जाने की विवशता नहीं रहती, उचित मूल्य पर ये जालियां मारूवास में ही उपलब्ध हो जाती हैं।

घर बैठे खुले खुशहाली के द्वार

इन जालियों ने गेहरीलाल की किस्मत संवार दी है।  जालियों का धंधा गेहरीलाल की जिन्दगी के लिए वरदान बना हुआ है। इसी धंधे की बदौलत उसका दस सदस्यीय परिवार संतोषी जीवन जी रहा है। गेहरीलाल बताता है कि अब उसके जीवन से अभावों की काली छाया हट चुकी है तथा उसे इस धंधे से सुकून प्राप्त हो रहा है। उसे अब रोजगार के लिए उदयपुर या और कहीं जाने की जरूरत नहीं, अपने गांव में अपने ही घर बैठकर वह मेहनत कर परिवार पाल रहा है और समाज की सेवा का समय भी मिल रहा है।

समाज सेवा में भी अग्रणी

गेहरीलाल की सामाजिक प्रतिष्ठा भी क्षेत्र भर में कोई कम नहीं है। सामाजिक सेवा कार्यों की वजह से आज कठार ग्राम पंचायत में वार्ड पंच है और ग्रामीण विकास तथा समस्या निवारण में गांव वालों के लिए मददगार भी बना हुआ है। ग्रामीणों में गेहरीलाल की अच्छी पैठ है।

जगा रहा है युवाओं में प्रेरणा

गेहरीलाल की मंशा है कि गांव के युवकों को इसी प्रकार के हुनर से जोड़े और उनके परिवार को भी  खुशहाल बनाने में सहभागी बने। उसका मानना है कि सरकार के पास खूब योजनाएं हैं, युवा यदि चाह लें तो खुशहाली का ताना-बाना बुनने के लिए आत्मनिर्भरतापरक कोई न कोई गतिविधि आरंभ कर सकते हैं, छोटे स्तर पर किसी भी प्रकार के धंधे को अपनाए जाने से कालान्तर में  तरक्की और समृद्धि को पाया जा सकता है। क्षेत्र के युवाओं के लिए गेहरीलाल आज प्रेरणा का स्तंभ है।

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