“स्पेशल कमेटी फॉर इन्टरलिंकिग ऑफ रिवर्स’

“स्पेशल कमेटी फॉर इन्टरलिंकिग ऑफ रिवर्स’

ब्राह्मणी नदी को बनास एंव पार्वती-कालीसिंध-बनास-गम्भीर
जयपुर – जल संसाधन मंत्री डॉ. राम प्रताप ने केन्द्र सरकार से आग्रह किया कि राजस्थान में ब्राह्मणी नदी से बनास नदी और पार्वती, कालीसिध-बनास-गम्भीर नदियों को धौलपुर तक आपस में जोडऩे के प्रस्तावों को जल्द स्वीकृति प्रदान करें तथा इन दोनों को राष्ट्रीय महत्व की परियोजना घोषित कर इनके डी.पी.आर. बनाने तथा सर्वेक्षण आदि कार्यो के लिए आवश्यक धनराशि प्रदान की जावें।

डॉ. राम प्रताप ने नई दिल्ली में केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती की अध्यक्षता में आयोजित “स्पेशल कमेटी फॉर इन्टरलिंकिग ऑफ रिवर्स” की चौथी बैठक में राजस्थान का पक्ष रखते हुए बोल रहे थे।  उन्होंने कहा कि राजस्थाान की उक्त दोनों परियोजनाओं के लिए राज्य सरकार पिछले वर्ष ही केन्द्रीय जल आयोग को प्रस्ताव भेज चुकी है।

उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय नदी विकास प्राधिकरण (एन.डब्ल्यू. डी. ए.) द्वारा शारदा नदी के आधिक्य पानी को साबरमती नदी तक ले जाने की परियोजना तैयार की गई है। इस परियोजना से राजस्थान राज्य के मरू क्षेत्र को, जहां जल का नितान्त अभाव है, पेयजल उपलब्ध करवाया जा सकेगा तथा इससे राज्य के लगभग 7.79 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा भी प्राप्त हो सकेगी।

डॉ. रामप्रताप ने बताया कि राजस्थान के अलावा इस परियोजना से उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान तथा गुजरात राज्य भी लाभान्वित होंगे। इस प्रकार यह परियोजना राष्ट्रीय महत्व रखती है। उन्होंने बताया कि इस परियोजना की क्रियान्वती के लिए नेपाल क्षेत्र में सर्वेक्षण कार्य नही होने के कारण परियोजना तैयार करने के कार्य को गति नहीं मिल पा रही है।

उन्होंने आग्रह किया कि केन्द्र सरकार नेपाल सरकार से शीघ्र वार्ता कर सर्वेक्षण आदि कार्यो के लिए आवश्यक सहमति प्राप्त करे। साथ ही उन्होंने आग्रह किया कि एन.डब्ल्यू. डी.ए. ने भारतीय क्षेत्र की जो रिपोर्ट बनाई है, उसे राजस्थान सरकार के साथ साझा की जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि इस परियोजना के व्यापक हितों के मद्देनजर केन्द्र सरकार द्वारा इसे सर्वोच्च प्राथमिकता दिया जाना नितान्त आवश्यक है।

उल्लेखनीय है कि एन.डब्ल्यू. डी.ए. द्वारा राष्ट्र की प्रमुख नदियों को जोडऩे की परियोजनाएं तैयार की जा रही हैं। इन परियोजनाओं का प्रमुख उद्ेदशय नदियों के अधिकाय जल को परावर्तित कर शुष्क प्रदेशों को जल उपलब्ध कराना है। इसके अतिरिक्त देश में निरन्तर बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों को निजात देकर शुष्क क्षेत्रों में जहां जल का नितान्त अभाव है, की पूर्ति करना भी है।

डॉ. रामप्रताप ने बताया कि राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा राज्य है तथा यहां पर जल की अत्याधिक कमी है। राजस्थान का अधिकांश क्षेत्र भूगर्भ जल की दृष्टि से डार्क जोन में आ गया है। अत: राजस्थान को लाभान्वित करने वाली इन परियोजनाओं पर केन्द्र सरकार द्वारा शीघ्र निर्णय लिया जाना समय की मांग है। केन्द्र सरकार द्वारा इन परियोजनाओं को त्वारित गति दिये जाने पर राजस्थान की जनता सदैव को यथोचित लाभ शीघ्र प्राप्त हो सकेगा।

बैठक में केन्द्रीय जल संसाधन राज्यमंत्री प्रो. सांवर लाल जाट एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण भी मौजूद थे।

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