सामूहिक अन्न प्राशन्न संस्कार :बच्चे को जन्म देने के उपरांत महिलाओं की सुंदरता बढ़ जाती है – सांसद श्रीमती रीती पाठक

सामूहिक अन्न प्राशन्न  संस्कार :बच्चे को जन्म देने के उपरांत महिलाओं की सुंदरता बढ़ जाती है  – सांसद श्रीमती रीती पाठक
सीधी (विजय सिंह) –   मध्य प्रदेश में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित प्रदेश के सभी आंगन बाड़ी केन्द्रों में प्रत्येक माह चार  मंगल दिवसों ( प्रथम मंगल गोद भराई, द्वितीय-अन्न प्राशन्न , तृतीय- जन्म दिवस, चतुर्थ मंगल किशोरी बालिका दिवस ) का आयोजन किया जाता है। 2
बाल विकास परियोजना सीधी क्र.-1 अंतर्गत् नगर पालिका सीधी के 53 आंगनबाड़ी केन्द्रों के 6 माह के बच्चों का  दिनांक- 16 अप्रैल को मानस भवन में सीधी संसदीय क्षेत्र की सांसद श्रीमती रीती पाठक के मुख्य आतिथ्य एवं गायत्री शक्तिपीठ प्रद्युम्न जी द्वारा वैदिक मंत्राचार के बीच सामूहिक अन्न प्राशन संस्कार का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर सांसद सदस्य श्रीमती रीती पाठक ने कहा कि बच्चे को जन्म देने के उपरांत महिलाओं की सुंदरता बढ़ जाती है। समाज में भी उसे आदर व गौरव के साथ मान्यता मिलती है। बच्चों के पालन में में माताओं की अहम भूमिका होती है। आज जिन बच्चों का अन्न प्राशन संस्कार किया जा रहा है, उन्हें मैं शुभकामनायें देती हॅू तथा सभी माताओं से अपेक्षा करती हूॅ कि इन्हें प्रत्येक दिन भोजन कराना न भूलें ताकि बच्चे शारीरिक रूप से स्वस्थ्य रहें, खूब बढ़ें और भारत का गौरव बढ़ायें।
श्रीमती पाठक ने बच्चों को खीर खिलाकर अन्न प्राशन किया।
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा मंगल दिवसों के आयोजनों पर विस्तृत प्रकाश डालते हुये नगर पालिका की पर्यवेक्षक श्रीमती माधुरी सिंह ने बताया कि सभी धर्मों में 6 माह के बच्चों का अन्न प्राशन संस्कार किया जाता है। इसके पीछे महज धार्मिक सोच ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक व चिकित्सकीय कारण हैं।
10-6 माह तक बच्चे के लिये माॅ का दूध पर्याप्त होता है, उसमें शिशु के विकास के सभी पोषक तत्व  मौजूद होते हैं और बच्चे का पेट भी भर जाता है। किन्तु 6 माह के उपरांत शिशु के लिये माॅ का दूध पर्याप्त नहीं होता है। इसलिये अन्न प्राशन के बाद बच्चे को नियमित रूप से माॅ के दूध के साथ-साथ ऊपरी आहार का महत्व होता है।
अन्न प्राशन के उपरांत दिन में कम से कम चार बार अर्द्ध तरल के रूप में शिशु की रुचि के अनुसार भोजन दिया जाना आवश्यक होता है। यदि बच्चे को यह आहार नहीं प्राप्त होता तो बच्चा शनैः शनैः आहार की अपर्याप्तता के कारण कुपोषण की ओर अग्रसर हो जाता है। और यही कारण है कि दो वर्ष के बच्चों में कुपोषण का प्रतिशत ज्यादा पाया गया है।
सामूहिक अन्न प्राशन के आयोजन में परियोजना अधिकारी डा. शेष नारायण मिश्रा, पर्यवेक्षक श्रीमती नीतू सोनी, मंजुला तिग्गा, सुरेखा कोल, मीना टेकाम, ज्योति गुप्ता, शिक्षिका श्रीमती अजिता द्विवेदी, सामाजिक कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता श्रीमती ऊषा त्रिपाठी तथा शहरी क्षेत्र की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता- सहायिका व महिलायें उपस्थित रहीं।
स्वतंत्र पत्रकार 
19, अर्जुन नगर, सीधी

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