• March 20, 2015

सरकार जल से संबंधित अन्तरराज्यीय मुद्दों को सुलझाने के लिए गंभीर – जल संसाधन मंत्री

सरकार जल से संबंधित अन्तरराज्यीय मुद्दों को सुलझाने के लिए गंभीर  – जल संसाधन मंत्री

जयपुर -जल संसाधन मंत्री डॉ. रामप्रताप ने गुरुवार को विधानसभा में कहा कि राज्य सरकार जल से संबंधित अन्तरराज्यीय मुद्दों को सुलझाने के लिए गंभीरता से कार्यवाही कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में मुख्यमंत्री के निर्देशन में फॉर वाटर कॉन्सैप्ट के रूप में नदियों को जोडने की परियोजनाओं को पूरे करने के प्रयास किये जायेंगे।

जल संसाधन मंत्री कहा कि अपर यमुना जल बंटवारे के संबंध में मुख्यमंत्री द्वारा लगातार पत्राचार किया जा रहा है। इसकी शुक्रवार को दिल्ली में हो रही बैठक में राज्य के हितों को प्रभावी तरीके से रखा जायेगा। उन्होंने कहा कि पहले दिल्ली में अन्तरराज्यीय  मुद्दों के लिए अन्य राज्यों के चीफ इंजिनियर स्तर के अधिकारी की तुलना में हमारे राज्य की ओर से केवल सहायक अभियन्ता को ही यह जिम्मेदारी सौंप रखी थी, हमारी सरकार बनने के बाद अब इस कार्य के लिए चीफ इंजीनियर को लगाया गया है।

जल संसाधन मंत्री सदन में मांग संख्या-46 सिंचाईं (इंदिरा गांधी नहर परियोजना सहित) एवं मांग संख्या-38 लघु सिंचाईं एवं भूमि सरंक्षण पर हुई बहस का जवाब दे रहे थे। बहस के बाद सदन ने सिंचाईं की 30 अरब 59 करोड़ 85 लाख 24 हजार रुपए एवं लघु सिंचाईं एवं भूमि संरक्षण की 1 अरब 30 करोड़ 54 लाख 99 हजार रुपए की अनुदान मांगें ध्वनिमत से पारित कर दीं।

डॉ. रामप्रताप ने कहा कि राज्य सरकार ने इंदिरा गांधी नहर परियोजना के प्रथम चरण के तहत रिलाईनिंग एवं नहर की वितरण प्रणाली के जीर्णोद्घार तथा सेम समस्या के निवारण के लिए 2 हजार 885 करोड़ रुपये की योजना बनाकर इसे केन्द्र सरकार को स्वीकृति के लिए भेजा है।

उन्होंने कहा कि वर्षा जल, सतह जल, भू-जल पर आधारित फॉर वाटर कान्टसैप्ट के तहत सावरमती, लूनी, वेस्ट बनास तथा सूकली बेसिन में आगामी वित्तीय वर्ष में 300 करोड़ रुपये की माइक्रो सिंचाई परियोजना पूर्ण कर 5 हजार 265 हैक्टेयर क्षेत्र अतिरिक्त सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जायेगी।

डॉ. रामप्रताप ने कहा कि राज्य में जल मांग में निरन्तर बढ़ोतरी हो रही है एवं अत्यधिक दोहन की वजह से जल उपलब्धता में कमी होती जा रही है इसलिए यह आवश्यक हो गया है कि भू-जल एवं सतह जल के संरक्षण के लिए नई परियोजनाएं लागू की जाए वर्तमान सरकार द्वारा गत एक वर्ष से इस दिशा कई नवाचार किए गए। उन्होंने कहा कि राज्य की पूर्व निर्मित परियोजनाओं की यूज एफीशियेंसी बढ़ाने पर जोर दिया जाना चाहिए जिससे की इन परियोजनाओं से प्राप्त जल का कुशल उपयोग किया जा सकें।

उन्होंने कहा कि ब्राह्मणी नदी को बनास नदी से जोडने की एक योजना केन्द्र सरकार को स्वीकृति के लिए प्रस्तुत की गयी है। इससे जहां एक ओर जयपुर एवं अजमेर जिलों को पेयजल की उपलब्धि सुनिश्चित की जायेगी वहीं दूसरी ओर बीसलपुर कमाण्ड के काश्तकारों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जायेगा। इसी तरह पार्वती, कालीसिंध नदियों को आपस में जोडकर इनका पानी बनास, गंभीर व पार्वती नदी बेसिन में अपवर्तन की महत्वाकांक्षी योजना बनायी है। इससे टोंक, सवाईमाधोपुर, धौलपुर जिलों को पेयजल एवं सिंचाई के लिए जल उपलब्ध कराया जायेगा।

उन्होंने बताया कि पाली, सिरोही और जालौर जिले में पेयजल की समस्या की समाधान के लिए साबरमती नदी का पानी जवाई बांध में लाने के लिए समिति बनाकर रिपोर्ट प्राप्त कर ली गयी है और एक कांसेप्ट पेपर तैयार कर केन्द्र को प्रस्तुत कर दिया है।

जल संसाधन मंत्री ने बताया कि पानी चोरी की समस्या पर अंकुश लगाने के लिए हमने क्रास रेग्यूलेटर पर मूविंग कैमरे लगाये हैं तथा 8-10 किलोमीटर तक पानी चोरी की निगरानी के लिए ड्रोन सिस्टम लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि नहरों में आने वाले दूषित पानी की समस्या के बारे में पंजाब के मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया है कि जितने भी ट्रीटमेंट प्लांट लगे हैं, उनका वे स्वयं सुपरविजन कर रहे हैं।

जल संसाधन मंत्री ने कहा कि पंचायतीराज संस्थाओं को स्थानान्तरित तालाबों में से 35 तालाबों के जीर्णोंद्घार के कार्य 35 करोड़ की लागत से आगामी वर्ष में पूर्ण कराएं जाएंगे। उन्होंने ने कहा कि बांसवाडा, प्रतापगढ, पाली, जोधपुर, धौलपुर, करौली तथा बूंदी जिले में 90 करोड़ की लागत से 32 जलाशयों के जीर्णोद्वार के कार्य भारत सरकार की रिपेयर रिनोवेशन और रेस्टोरेशन योजना में प्रारंभ कर, इनमें से 17 कार्यो को पूर्ण किया जाना साथ ही विभिन्न जिलों में 77 जलाशयों के जीर्णोंद्घार कार्यों की डीपीआर तैयार करायी जायेगी।

डॉ. रामप्रताप ने कहा कि जयपुर, भरतपुर, कोटा, बांरा, चित्तौडगढ़, बांसवाडा तथा डूंगरपुर जिले की 33 परियोजनाओं को 15 करोड रुपये की लागत से पूर्ण किया जायेगा।

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