- March 11, 2015
संसद में राजस्थान: खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में निवेश
जयपुर – केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर बादल ने बताया कि देश में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में पिछले तीन वर्षो में 17 प्रतिशत औसत वार्षिक दर से निवेश में वृद्धि हुई है।
श्रीमती बादल ने जयपुर के लोकसभा सांसद श्री रामचरण बोहरा के प्रश्न के जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उद्योगों के वार्षिक सर्वेक्षण द्वारा जारी नवीनतम जानकारी के अनुसार खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में वर्ष 2010-11 में 1,20,705 करोड़ रुपये, 2011-2012 में 1,45,038 करोड़ रुपये एवं 2012-2013 में 1,58,863 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है।
केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि फसल और फसलोत्तर हानियां कम करने, किसानों की आय बढ़ाने की दृष्टि से सरकार अवसंरचना सृजन जैसे शीत श्रंृखला, मेगा खाद्य पार्क आदि की स्थापना और आधुनिकीकरण के माध्यम से आपूर्ति श्रंृखला का सुदृढ़ीकरण करती रही है। इसके अलावा प्रसंस्करण के स्तर में वृद्घि और बर्बादी में कमी सुनिश्चित करने की दृष्टि से खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने 01 अप्रेल, 2012 से केन्द्र प्रायोजित स्कीम-राष्ट्रीय खाद्य प्रसंस्करण मिशन (एनएमएफपी) शुरू की है जिसका कार्यान्वयन राज्य एवं संघ राज्य क्षेत्र सरकारें कर रही हैं।
एनएमएफपी के अंतर्गत विभिन्न स्कीमों में अन्य के साथ-साथ खाद्य प्रसंस्करण यूनिटों की स्थापना और आधुनिकीकरण, गैर-बागवानी उत्पादों के लिए शीत श्रृंखला यूनिटों, ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक प्रसंस्करण केन्द्रों एवं एकत्रण केन्द्रों की स्थापना और आधुनिकीकरण, मानव संसाधन विकास और प्रोत्साहन कार्यकलाप आदि शामिल हैं।
नॉन बॉयोडिग्रेडेबल कीटनाशी
श्री बोहरा द्वारा पूछे गए एक अन्य प्रश्न के जवाब में केन्द्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री श्री प्रकाश जावडेकर ने बताया कि नॉन बायोडिग्रेडेबल कीटनाशी, कृमिनाशी एवं खरपतवारनाशी के अंधाधुंध और अत्याधिक प्रयोग से भू-जल सहित मृदा के साथ-साथ जल संसाधनों के प्रदूषित होने की संभावना होती है।
कृषि मंत्रालय द्वारा प्रशासित कीटनाशक अधिनियम, 1968 के तहत कृमिनाशियों के आयात, उत्पादन, बिक्री, परिवहन, वितरण और प्रयोग को विनियमित किया जाता है। कृमिनाशियों को उनकी जैव-प्रभाविता तथा मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए वैज्ञानिक आंकड़ों की गहन छानबीन करने के बाद कृषि के प्रयोग के लिए पंजीकृत किया जाता है।
कृषि मंत्रालय, विभिन्न फसलों के संबंध में कीटों, रोगों और खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए ‘एकीकृत कीट प्रबंधन’ की अवधारणा का नियमित रूप से प्रचार कर रहा है। जिसमें जैव-कीटनाशी के प्रयोग और रासायनिक पद्घतियों के उपयों की परिकल्पना की गई है। किसानों को संस्तुत मात्रा पर पंजीकृत कीटनाशियों का प्रयोग करने तथा लेबल में दी गई अपेक्षित सावधानी और अन्य अनुदेशों का पालन करने की सलाह दी जाती है।
ई.पी.एफ. अंशदान
श्री बोहरा द्वारा ई.पी.एफ. नियमित रूप से जमा नही करवाए जाने संबंधी अतारांकित प्रश्न के जवाब में केन्द्रीय श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री श्री बंडारू दत्तात्रेय ने बताया कि कुछ प्रतिष्ठानों द्वारा ई.पी.एफ. अंशदान जमा नहीं किए जाने के संबंध में इस वर्ष दिसम्बर अंत तक 12 हजार 107 मामलें प्रकाश में आए हैं। जिनमें राजस्थान के कुछ मामलें भी शामिल है।
श्री दत्तात्रेय ने बताया कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ई.पी.एफ.ओ.) द्वारा ई.पी.एफ. अंशदान जमा नहीं करवाने वाले प्रतिष्ठानों के विरूद्घ समुचित कार्यवाही की गई है।