संयुक्त राष्ट्र विश्व सड़क सुरक्षा सप्ताह-सड़क दुर्घटना में घायलों की संभाल की व्यावहारिक तकनीकें

संयुक्त राष्ट्र विश्व सड़क सुरक्षा सप्ताह-सड़क दुर्घटना में घायलों की संभाल की व्यावहारिक तकनीकें

जयपुर———- सड़क दुर्घटना होने पर घायल की मदद के लिए सबसे पहले क्या किया जाए? श्वास की जांच और श्वास मार्ग को सीधा कैसे किया जाए? धड़कन बंद हो गई हो तो कृत्रिम श्वास और सीपीआर के जरिए उसे पुनः कैसे चालू किया जाए ? चिकित्सकीय सहायता मिलने से पहले रक्त स्त्राव को कैसे रोका जाए, गर्दन की हड्डी में चोट हो तो सावधानी से हैलमेट कैसे निकाले और उसे सहारा कैसे दें ? ऎसे नाजुक मौके पर क्या करें और क्या न करें ? ऎसे ही प्रश्नों के जरिए एम्स दिल्ली के ट्रॉमा विशेषज्ञ चिकित्सकों ने एसएमएस चिकित्सालय के चिकित्सकों और नर्सिंगकर्मियों, वाहन चालकों, टे्रफिक वार्ड्न्स, एन.जी.ओ. प्रतिनिधियों को सड़क दुर्घटना के बाद घायलों की संभाल का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया।

यह प्रशिक्षण विश्वभर में मनाए जा रहे चतुर्थ यूएन ग्लोबल रोड सेफ्टी वीक के अन्तर्गत परिवहन विभाग के सड़क सुरक्षा प्रकोष्ठ और एआईआईएमएस (एम्स, नई दिल्ली) के डिपार्टमेंट ऑफ इमरजेंसी मेडिसिन द्वारा सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के लाइबे्ररी सेमिनार हॉल में सोमवार को दिया गया। 1

जेपीएन अपेक्स टॉमा सेंटर एम्स नई दिल्ली के असिस्टेंट प्रोफेसर डी तेज प्रकाश सिन्हा ने दर्जनभर साथी चिकित्सकों के साथ विभिन्न मॉडल्स, उपकरणों, व्यावहारिक तरीकों और तकनीकों के जरिए सड़क दुर्घटना के घायलों की संभाल के विभिन्न पक्षों की जानकारी दी। चिकित्सकों ने एक लघु नाटक द्वारा भी सड़क सुरक्षा का महत्व बताया। प्रातः के तकनीकी सत्र में चिकित्साकर्मियों के समूह बनाकर विषय की तकनीकी जानकारी दी गई।

द्वितीय सत्र के मुख्य अतिथि अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक स्टेट डिजास्टर एक्शन फोर्स श्री बी.एल.सोनी ने कहा कि तेज गति, हेलमेट, सीट बैल्ट नहीं लगाना और लापरवाही सड़क दुर्घटनाओं के मुख्य कारण हैं। उन्होनें कहा कि चौपहिया गाड़ी में पीछे की सीट पर बैठने वालों को भी सीट बैल्ट लगानी चाहिए क्योंकि दुर्घटना में ज्यादातर मौतें सैकण्डरी इम्पेक्ट से होती हैं।

सार्वजनिक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता पीएमजीएसवाई श्री सी.एल.वर्मा ने कहा कि सड़क सुरक्षा का क्षेत्र व्यापक हो गया है और हर व्यक्ति जहां है वहीं से इसके प्रति जागरूकता बढाने के लिए काम करना चाहिए। उन्होनें आरआरएसएमपी योजना के अन्तर्गत सड़क सुरक्षा के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी।

परिवहन विभाग के सड़क सुरक्षा प्रकोष्ठ की प्रभारी श्रीमती निधि सिंह ने राज्य सरकार द्वारा सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में संस्थानिक सुदृढ़ीकरण, सड़क सुरक्षा कोष के गठन, पंचायतों, नगरीय निकायों में चलाए गए जागरूकता अभियान, हैलमेट अनिवार्यता, रोड सेफ्टी सड़क सुरक्षा प्रशिक्षणों के आयोजन जैसे विभिन्न प्रयासों की जानकारी दी।

प्रातःकालीन सत्र के मुख्य अतिथि एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ.यू.एस.अग्रवाल एवं विशिष्ट अतिथि एसएमएस चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ.डी.एस.मीना, उपाधीक्षक डॉ. जगदीश मोदी, ऑर्थाेपेडिक्स के प्रो डॉ. महेश बंसल थे।

हर गुड सेमेरिटन को पुलिस अधीक्षक देंगे प्रशंसापत्र

प्रशिक्षण के द्वितीय सत्र के मुख्य अतिथि श्री बी.एल.सोनी ने प्रतिभागियों को गुड सेमेरिटन कानून की जानकारी देते हुए बताया कि घायल को किसी भी अस्पताल में ले जाने पर अस्पताल बिना लाने वाले का नाम पता पूछे तुरन्त निःशुल्क इलाज शुरू कर देगा। पुलिस भी कोई पूछताछ नहीं करेगी और गवाही के लिए भी नहीं बुलाया जाएगा, अगर वालंटियरी वह गवाही देना चाहे तो वह भी एक ही बार अस्पताल में ही दी जा सकती है।

उन्होंने बताया कि सभी पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि उनके या उपाधीक्षको के लैटर हैड पर प्रशंसा पत्र उस व्यक्ति को जरूर दिया जाए जिसने घायल की मदद करते हुए अच्छे नागरिक का फर्ज निभाया है।

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