• November 12, 2018

विधवा एवं निराश्रित गृहों में रहने के लिये विधवा या तलाकशुदा उपायुक्त या आश्रम के अधीक्षक से संपर्क करें

विधवा एवं निराश्रित गृहों में रहने के लिये विधवा या तलाकशुदा उपायुक्त या आश्रम के अधीक्षक से संपर्क करें

चण्डीगढ़——— -हरियाणा के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा करनाल व रोहतक में चलाए जा रहे विधवा एवं निराश्रित गृहों (महिला आश्रम) में प्रवेश की इच्छुक कोई भी विधवा या तलाकशुदा महिला संबंधित जिले के उपायुक्त, महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी तथा महिला आश्रम के अधीक्षक से सम्पर्क कर सकती है।

विभाग के एक प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए बताया कि विधवा एवं निराश्रित गृह (महिला आश्रम) योजना का उद्देश्य विधवा, बेसहारा व तलाकशुदा महिलाओं को अस्थाई तौर पर निशुल्क आवासीय सुविधा उपलब्ध करवाना तथा क्षमता निर्माण व प्रशिक्षण इत्यादि के माध्यम से उन्हें सक्षम बनाना है ताकि वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनकर अपने जीवन का कुशलतापूर्वक निर्वाह कर सकें ।

उन्होंने बताया कि इन विधवा एवं निराश्रित गृहों में ऐसी विधवाएं, जिनके परिवारों द्वारा सभी संबंध विच्छेद कर दिए हों और जिसका कमाने वाला कोई न हो या कोई भी अन्य पुरूष रिश्तेदार सहायता करने की स्थिति में न हो तथा ऐसी तलाकशुदा महिलाएं, जिनके परिवार की आय प्रतिवर्ष ढाई लाख रुपये से अधिक न हो, ऐसी महिलाएं जिन्हें बिना मदद या सहारे के छोड़ दिया गया हो, प्रवेश ले सकती हैं।

प्रवक्ता ने बताया कि टी.बी. तथा मानसिक बीमारी से पीडि़त व्यक्तियों के परिवारों से संबंधित महिलाएं, जो चिकित्सकीय रूप से कमाने के योग्य न हों और जिनका न तो कोई आय का कोई साधन हो और न ही कमाने वाला कोई सदस्य हो, भी इन गृहों में प्रवेश ले सकती हैं।

अनाथ लड़कियां, जिनका कोई न हो, शादी तक या रोजगार मिलने तक, जो भी पहले हो, संस्था में रह सकती हैं। ऐसी महिलाएं भी इन गृहों में प्रवेश ले सकती हैं जिनके 16 वर्ष से कम आयु के बच्चे हैं। उन्होंने बताया कि अनाथ लड़कियां तब तक गृह में रह सकती हैं जब तक कि उन्हें रोजगार न मिल जाए। गोद लिए बच्चों को आश्रित नहीं माना जाएगा। आश्रित लडक़ों को गृह में केवल 16 वर्ष की आयु तक ही रखा जाएगा। इसके बाद उसे किशोर विकास सदन, सोनीपत या बाल भवन,मधुबन में भेजा जा सकता है।

उन्होंने बताया कि विधवा एवं निराश्रित गृहों में रह रही परिवार वाली महिलाओं को इस समय 600 रुपये प्रतिमाह प्रति सदस्य तथा अकेली विधवा या निराश्रित महिला को 700 रुपये प्रतिमाह की दर से गुजारा भत्ता दिया जा रहा है।

इसी प्रकार, परिवार वाली महिला को 150 रुपये प्रति माह प्रति सदस्य तथा अकेली या निराश्रित महिलाओं को 150 रुपये प्रतिमाह की दर से कपड़ा भत्ता दिया जाता है। इसके अलावा, गृह में रहने वाली लडक़ी की शादी पर 15,000 रुपये विवाह अनुदान के रूप में भी दिए जाते हैं।

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