- July 6, 2016
वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद (एफएसडीसी) की 15वीं बैठक
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वित्त मंत्रालय ———(पेसूका)—— केन्द्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार के समक्ष मौजूद प्रमुख चुनौतियों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के समग्र प्रदर्शन में सुधार करना, अटकी पड़ी परियोजनाओं पर काम शुरू करना एवं उन्हें आर्थिक दृष्टि से लाभप्रद बनाना और निजी क्षेत्र के निवेश में वृद्धि करना भी शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि मानसून का दायरा काफी विस्तृत होने की बदौलत हम विगत वर्षों की तुलना में इस साल दालों का उत्पादन बढ़ने की उम्मीद कर रहे हैं, जिससे बाजार में इनकी कीमतें काफी नीचे आ जायेंगी। वित्त मंत्री श्री जेटली आज यहां वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद (एफएसडीसी) की 15वीं बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
वित्त राज्य मंत्री श्री जयंत सिन्हा, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर डॉ. रघुराम जी. राजन, वित्त सचिव श्री अशोक लवासा, आर्थिक मामलों के विभाग में सचिव श्री शक्तिकांत दास, वित्तीय सेवाओं के विभाग में सचिव सुश्री अंजुली चिब दुग्गल, मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. अरविंद सुब्रमण्यन, सेबी के चेयरमैन श्री यू. के. सिन्हा, इरडा के चेयरमैन श्री टी. एस. विजयन, पीएफआरडीए के चेयरमैन श्री हेमंत जी. कांट्रैक्टर और भारत सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों तथा वित्तीय क्षेत्र के नियामकों ने भी इस बैठक में हिस्सा लिया।
इस अवसर पर मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. अरविंद सुब्रमण्यन ने बृहद अर्थव्यवस्था की ताजा स्थिति का अवलोकन पेश करते हुए महत्वपूर्ण मुद्दों पर रोशनी डाली। परिषद ने यह बात रेखांकित की कि उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) को वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता और वित्तीय बाजारों में तेज उतार-चढ़ाव जैसे प्रमुख जोखिमों से जूझना पड़ रहा है।
हालांकि, भारत के बृहद बुनियादी आर्थिक तत्वों में बेहतरी, सरकार द्वारा हाल में लागू किये गये वित्तीय सुधारों और वित्तीय बाजार में तेज उतार-चढ़ाव से बचाव में सहायक विशाल विदेशी मुद्रा भंडार की बदौलत भारत की स्थिति आज काफी मजबूत नजर आती है।
औद्योगिक गतिविधियों में बेहतरी के विशिष्ट संकेतों के साथ-साथ बढि़या मानसून से भारत में विकास को नई गति मिलने की उम्मीद है। बैठक में उपस्थिति सदस्यों ने बाह्य क्षेत्र में उभरने वाले किसी भी खतरे से निपटने के लिए हमेशा तैयार रहने की जरूरत पर सहमति जताई, जिनमें ब्रेक्जिट और उसके नतीजे भी शामिल हैं।
रिजर्व बैंक के गवर्नर की अध्यक्षता वाली एफएसडीसी उप समिति द्वारा उठाये गये विभिन्न कदमों पर एक संक्षिप्त रिपोर्ट एफएसडीसी के समक्ष पेश की गई। परिषद ने अपनी पूर्ववर्ती बैठक में लिए गये निर्णयों के मद्देनजर सदस्यों द्वारा उठाये गये कदमों की व्यापक समीक्षा भी की।
परिषद ने बैंकों के फंसे कर्जों (एनपीए) में हुई भारी बढ़ोतरी के मुद्दे पर भी विचार-विमर्श किया। इस दौरान परिषद ने एनपीए से निपटने के लिए सरकार और रिजर्व बैंक द्वारा उठाये गये कदमों को ध्यान से सुना और इस स्थिति से निपटने के लिए संभावित कदमों पर चर्चा की।