- December 14, 2014
परिवार को बिखरने से बचाने का मुख्य स्तंभ – लोक अदालत
सीधी (विजय सिंह)। दीवानी-फौजदारी मामलों से परे, मध्य प्रदेष के सीधी जिला मुख्यालय में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में जिला एवं सत्र न्यायाधीष श्री व्ही.पी.एस. चौहान की संवेदनषील पहल ने तलाक के करीब खड़े एक परिवार को पुनः दाम्पत्य बंधन निभाने हेतु सहमत किया।
कुटेहागांव के संजय का विवाहती नवर्ष पूर्व श्रद्धा से हुआ था। इनके 2 वर्ष की बच्ची भी है।पति और पत्नी में आपसी मतभेद इतना बढ़ा कि वह अलग हो गये, श्रद्धा अपने मायके आ गई।सन् 2012 में श्रद्धा ने संजय के विरुद्ध घरेलू हिंसा का मामला न्यायालय में दायर कर दिया।वादी और प्रतिवादी के बीच न्यायालय में गवाही, बहस होती रही। 2 साल से लगातार पेषी दर पेषी होती रही।
लेकिन जैसे ही जिला एवं सत्र न्यायाधीष को इस प्रकरण के बारे में ज्ञात हुआ, उन्होंने संजय व श्रद्धा को बुलवाया । परिवार टूटने के नुकसान बतलाये। उनकी सामाजिक विशेषज्ञ से काऊंसलिंग कराई गई।इस तरह से वादी श्रद्धा और प्रतिवादी संजय की समझ में आ गया कि बेटी के साथ अलग- अलग रहने में नुकसान ही है। यदि अपना और बेटी के सुनहरे भविष्य का निर्माण करना है तो पति-पत्नी को साथ-साथ रहना होगा।
और अंततः 13 दिसम्बर को जिला न्यायलय परिसर में आयोजित लोकअदालत में श्रद्धा व संजय ने अपने विवादों की इति श्री करते हुये जिला न्यायाधीष श्री व्ही.पी.एस. चैहान की उपस्थिति में एक दूसरे को माला पहना कर खुषी-खुषी घर अपने घर वापस लौट गये।
इस नव परिवार के दाम्पत्य जीवन को बचाने में न्यायालयीन परिवार की सहभागिता काबिले तारीफ है।
विजय सिंह
स्वतंत्र पत्रकार
राज्य स्तरीय अधिमान्य
19, अर्जुननगर, सीधी 486661