- March 24, 2016
लाइसेंस शुल्क दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति पर आधारित :- कर्नाटक उच्च न्यायालय
महिको मॉनसैंटो बायोटेक लिमिटेड (एमएमबीएल) को कर्नाटक उच्च न्यायालय से राहत मिली है। न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि केंद्र ‘ट्रेट वैल्यू’ (लाइसेंस शुल्क) नियंत्रित नहीं कर सकता, क्योंकि यह दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति पर आधारित है। हालांकि न्यायालय ने केंद्र सरकार के कपास मूल्य नियंत्रण आदेश में कोई हस्तक्षेप नहीं किया है, जिसमें सभी कपास बीजों का एक समान अधिकतम खुदरा मूल्य तय किया गया है।
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, ‘भले ही मामले के उस पहलू पर विस्तार से विचार किए जाने की जरूरत है, लेकिन प्रथमदृष्टïया ऐसा लगता है कि ट्रेट वैल्यू कीमत निर्धारण के लिए शामिल किए जाने वाले घटकों में शामिल नहीं है।’ न्यायालय को यह सुनिश्चित करने की भी जरूरत होगी कि 8 मार्च 2016 की अधिसूचना के तहत अधिकतम बिक्री कीमत तय करने का मकसद बरकरार रखा जाए क्योंकि यह किसानों के हित के लिए है।
एसोसिएशन ऑफ बायोटेक्नोलॉजीज के नेतृत्व में एंटरप्राइजेज-एग्रीकल्चर फोकस गु्रप (एबीएलई-एजी) ने कर्नाटक उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। एबीएलई-एजी बायोटेक उद्योगों और कावेरी सीड्ïस की प्रमुख पैरोकार है। इस महीने के शुरू में केंद्र द्वारा जारी मूल्य नियंत्रण आदेश में ‘ट्रेट वैल्यू’ या लाइसेंस शुल्क, जो एमएमबीएल बीज कंपनियों से 70 प्रतिशत तक अधिक वसूल सकती है, को घटा दिया गया, साथ ही इसने अधिकतम खुदरा कीमत भी घटा दी है।
एमएमबीएल बीज कंपनियों को कीटों से सुरक्षा के क्षेत्र में बीज प्रौद्योगिकियां बेचती है। केंद्र ने पिछले साल दिसंबर में कपास बीज कीमतों को नियंत्रित करने के लिए आदेश जारी किया था, जिसमें फसल वर्ष 2016-17 से प्रभावी ट्रेट या रॉयल्टी वैल्यू भी शामिल है।