- January 6, 2016
व्याधियों से मुक्ति – डॉ. दीपक आचार्य उप निदेशक
सू०ज०वि० (उदयपुर) – योग और आयुर्वेद की दृष्टि से उदयपुर संभाग मुख्यालय रचनात्मक गतिविधियों का केन्द्र बना हुआ है जहाँ परंपरागत पद्धतियों से सेहत का वरदान बंटने लगा है।
वर्ष भर आयुर्वेद और योग गतिविधियों के साथ ही साल में कई बार लगने वाले विशाल आयुर्वेद एवं योग शिविर न केवल उदयपुर बल्कि दूरदराज के मरीजों के लिए भी स्वास्थ्य प्राप्ति के धाम बने हुए हैं। इन शिविरों के माध्यम से बड़ी संख्या में आरोग्य पा चुके लोगों के लिए आयुर्वेद लोक स्वास्थ्य रक्षा का दिव्य एवं दैवीय माध्यम ही है जहाँ अनवरत सेहत का पैगाम गूंजता रहता है।
उदयपुर के सिटी स्टेशन रोड पर शिवाजीनगर स्थित मीरा सामुदायिक भवन में चल रहा आठ दिवसीय विशाल आयुर्वेदिक शिविर रोगियों के लिए वरदान सिद्ध हो रहा है। खासकर मस्सा और भगंदर के पुराने और जीर्ण रोगियों के लिए यह शिविर नया जीवन देने वाला साबित हुआ है। इसका आयोजन उदयपुर नगर निगम एवं आयुर्वेद विभाग की ओर से हर साल किया जाता है। इस बार यह आठवां शिविर है। तीन जनवरी से आरंभ हुआ यह शिविर 10 जनवरी तक चलेगा।
शिविर में मस्सा और भगंदर के महिला एवं पुरुष रोगियों के लिए पृथक-पृथक वार्ड स्थापित हैं जहाँ अब तक कुल 33रोगियों के क्षार सूत्र विधि से ऑपरेशन हो चुके हैं। इनमें पांच महिला रोगी हैं। शिविर में मस्सा एवं भगंदर रोगियों की जांच तथा ऑपरेशन का यह दौर सात जनवरी तक चलेगा और अनुमानित 50 से अधिक रोगियों को इस शिविर के माध्यम से हमेशा-हमेशा के लिए मस्सा-भगंदर रोग से मुक्ति दिला दी जाएगी।
क्षारसूत्र विधि मस्सा एवं भगंदर से मुक्ति दिलाने की परंपरागत एवं विशिष्ट आयुर्वेद पद्धति है जो पूरी तरह निरापद है और इसमें एक बार ऑपरेशन होने के बाद दोबारा इन रोगों की संभावना नहीं के बराबर होती है और रोगी ऑपरेशन के बाद ताजिन्दगी सामान्य जीवन यापन करने लगता है।
उदयपुर के इस शिविर में क्षार सूत्र पद्धति से ऑपरेशन के सिद्धहस्त चिकित्सा विशेषज्ञों डॉ. दिलखुश सेठ, डॉ. जयन्तकुमार व्यास, डॉ. लक्ष्मीकान्त आचार्य, डॉ. पुष्करलाल चौबीसा, डॉ. अजेय जैन एवं डॉ. नीतू जैन की टीम के साथ ही परिचारक दलपतसिंह राजपूत की सेवाओं की बदौलत रोगी इस बीमारी को अलविदा कह रहे हैं। यह टीम पिछले सात शिविरों में हजार से अधिक रोगियों को मस्सा एवं भगंदर से मुक्ति दिला चुकी है।
शिविर में ऑपरेशन करा चुके कई रोगी पिछले पांच से बीस साल तक इस रोग की पीड़ा भुगतते रहे थे। संकोच के मारे ये अपने रोग से इतने परेशान थे कि जीना दूभर हो गया था। इसकी जानकारी पाकर शिविर में आए तथा डॉक्टरों से सारी बात बताई।
इन सभी रोगियों के लिए यह शिविर जीवन का सबसे बड़ा वरदान ही साबित हुआ जब ऑपरेशन के बाद उन्होंने राहत पायी। क्षारसूत्र पद्धति से रोग मुक्ति का अहसास कराने वाले मरीजों ने अपने क्षेत्र के परिचित रोगियों को भी शिविर में बुलवाया तथा मस्सा-भगंदर के ऑपरेशन से रोग मुक्ति का सुख प्रदान किया।
मस्सों व भगंदर का ऑपरेशन करा चुके पुरुष एवं महिला रोगियों ने शिविर को बेहद लाभकारी बताया। भारती पांच साल से परेशान थी। दुर्गा बीस साल से मस्सों की तकलीफ भुगत रही थी। सोहनराज और श्यामलाल पन्द्रह से बीस वर्ष से यह बीमारी झेल रहे थे। दिलीप को यही पीड़ा बारह साल से सता रही थी। कमलेश और इन्द्रजीत 12 साल से 3-3 मस्सों से त्रस्त थे,जयकिशन पन्द्रह साल से मस्सों की वजह से बड़ा परेशान था वहीं प्यारेलाल भी अर्से से मस्सों की बीमारी से सामान्य जीवन नहीं जी पा रहा था।
इसी शिविर में मानमल पंथी नामक बुजुर्ग ऎसे विशेष मरीज हैं जो 20-25 साल से भगंदर(फिस्टूला) से त्रस्त हैं। बीस साल पहले वे तीन बार ऎलोपैथिक डॉक्टर से भगंदर का ऑपरेशन करवा चुके हैंं मगर कोई फायदा नहीं हुआ। अबकि बार शिविर में क्षारसूत्र पद्धति से ऑपरेशन करवा चुकने के बाद अब काफी राहत महसूस कर रहे हैं।
मस्सा से मुक्ति पाए सभी रोगी अब अपने आपको काफी खुश और स्वस्थ अनुभव कर रहे हैं वहीं भगंदर का ऑपरेशन करवा चुके मानमल इसे अपने जीवन के लिए सबसे खुशी का मौका मानते हैं जब उन्हें यह अहसास हो गया है कि अब भगवान ने उनकी सुनी और शिविर के माध्यम से जीवनदान मिला।
अनूठा किरदार है दलपतसिंह
मस्सा और भगंदर से मुक्ति के लिए लगने वाले चिकित्सा शिविरों में आयुर्वेदकर्मी दलपतसिंह राजपूत का नाम हर किसी की जुबाँ पर रहता है। यों तो दलपतसिंह राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय, कनबई(खैरवाड़ा) में परिचारक के पद पर कार्यरत है लेकिन जहां कहीं मस्सा और भगंदर के ऑपरेशन के लिए शिविर लगते हैं वहाँ तीन दिन पहले से पहुंच कर ऑपरेशन थियेटर बनाने में जुट जाते हैं। इसके बाद पूरे शिविर चलने तक मरीजों के पश्चातवर्ती उपचार करने तक में सिद्धहस्त है। दलपतसिंह अब तक बीस हजार से अधिक मस्सा-भगंदर के ऑपरेशन में सहयोेग कर चुके हैं।
लोकप्रियता के शिखर पर है शिविर
शिविर के बारे में जानकारी देते हुए चिकित्सा विशेषज्ञ एवं शिविर प्रभारी डॉ. शोभालाल औदीच्य बताते हैं कि शिविर विभिन्न बीमारियों से ग्रसित रोगियों के लिए सेहत का धाम बना हुआ है। शिविर में महिलाओं में होने वाले रोगाें श्वेत प्रदर,मोटापा, रक्त प्रदर, कमर दर्द, गठिया, श्वास, माईग्रेन, स्पोन्डलाइटिस, साईटिका, फोरजन शोल्डर, डायबिटीज, थाईराइड, पथरी,चर्मरोग, एलर्जिक जुकाम, खांसी, दमा, श्वास आदि रोगों का उपचार किया जा रहा है। इनके साथ ही योग के माध्यम से रोगोपचार बताया जा रहा है एवं सायंकालीन सत्र में फिजियोथैरेपी के माध्यम से उपचार व परामर्श दिया जा रहा है।
शिविर में मौसमी बीमारियों सर्दी-जुकाम, खांसी व बुखार से बचने हेतु आयुर्वेदिक काढ़ा भी वितरित हो रहा है जिसका लाभ बड़ी संख्या में शहरवासी प्राप्त कर रहे हैं। शिविर में आरंभिक तीन दिन में आउटडोर में अब तक 700 से अधिक मरीज अपना ईलाज करा चुके हैं। शिविर की रोजाना की शुरूआत प्रातः 6.30 बजे योग से होती है और समापन भी शाम को 6 बजे योग से ही होता है।