- September 25, 2016
राजस्थान की बिजली दरों में अनुदान यथावत
जयपुर—-राजस्थान के विद्युत क्षेत्र में सुधार के कार्य को राज्य सरकार द्वारा सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। इसके तहत विद्युत वितरण निगमों की खराब वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए उदय योजना के तहत हुए अनुबन्ध के अनुसार राज्य सरकार द्वारा 60,857 करोड़ रुपए के कर्जे का भार अपने ऊपर लेकर एक प्रभावी कदम उठाया गया है।
छीजत को कम करने के लिए ‘‘मुख्यमंत्री विद्युत सुधार अभियान‘‘ प्रारम्भ किया गया है। इस अभियान के अन्तर्गत उपभोक्ता सेवाओं एवं विद्युत आपूर्ति की गुणवत्ता में सुधार के साथ ही आगामी 3 वर्षों में विद्युत छीजत को 28 प्रतिशत से कम करके 15 प्रतिशत तक लाने की कार्य योजना बनाई गई है।
राज्य सरकार द्वारा 20 लाख बीपीएल, 25 लाख छोटे घरेलू विद्युत उपभोक्ता एवं 12 लाख कृषि उपभोक्ताओं सहित 57 लाख उपभोक्ताओं को विद्युत दरों में अनुदान के रुप में 7200 करोड़ रुपए की सहायता सहित विद्युत क्षेत्र का लगभग 15 हजार करोड़ रूपये वार्षिक भार भी वहन कर रही है।
ऎसी स्थिति में राज्य सरकार विद्युत क्षेत्र के लिये और अधिक भार अन्य क्षेत्रों के विकास को अवरूद्ध कर वहन करने की स्थिति में नहीं है। इन सब के बावजूद भी बीपीएल परिवारों, छोटे घरेलू उपभोक्ताओं एवं कृषि उपभोक्ताओं को राज्य सरकार द्वारा विद्युत दरों में वर्तमान में दिया जा रहा अनुदान यथावत जारी रहेगा।
राजस्थान राज्य विद्युत विनियामक आयोग द्वारा 22 सितम्बर को बिजली की दरों में बढोतरी को मंजूरी प्रदान की है यदि दरों में 9 प्रतिशत की वृद्धि नही जाती तो वितरण निगमों द्वारा विद्युत उत्पादको को देय 13 हजार करोड़ रुपए की देयता पूरी करने की क्षमता तथा उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाए देने की क्षमता प्रभावित हो सकती थी।
उदय योजना व राजस्थान राज्य विद्युत वितरण प्रबन्ध उत्तरदायित्व अधिनियम, 2016 के माध्यम से विद्युत वितरण निगमों की कार्यकुशलता में सुधार लाने की योजनाए भी प्रभावित होती। इन सब स्थितियों के मध्यनजर नियामक आयोग ने वर्ष 2015-16 के लिए विद्युत दरों में वृद्धि का आदेश 22 सितम्बर, 2016 को जारी कर नई दरें 1 सितम्बर, 2016 से प्रभावी की है।
वर्तमान में राजस्थान में विद्युत वितरण निगमों द्वारा आपूर्ति की जा रही बिजली की प्रति यूनिट पर 9.20 रुपए का खर्चा आ रहा है जबकि औसतन 6.46 रुपए प्रति यूनिट का ही राजस्व प्राप्त हो रहा है जिसमें भी 1.51 रुपये प्रति यूनिट सरकार से अनुदान शामिल है।
प्रति यूनिट औसतन 0.37 रुपए राज्य सरकार नकद सहायता देकर वहन कर रही हैं। ऎसी स्थिति में विद्युत वितरण निगमों को प्रति यूनिट 2.37 रुपए का घाटा हो रहा है जो कि उपभोक्ताओ को प्रति वर्ष बेची जा रही 4758 करोड़ यूनिट के हिसाब से लगभग 11 हजार करोड़ रुपए का वार्षिक घाटा तो केवल बिजली आपूर्ति पर ही हो रहा है।
वर्ष 2015-16 में कुल खर्च 47,785 करोड़ के सापेक्ष कुल राजस्व 30,760 करोड़ रूपये ही प्राप्त हुआ है व घाटा राज्य सरकार की नगद सहायता के बाद 11,241 करोड़ रुपये है। विद्युत दराें के संशोधन के बाद 2,742 करोड़ रूपये की अतिरिक्त वार्षिक राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है, जो कि वर्तमान राजस्व का 9.25 प्रतिशत है, इस वित्तीय वर्ष में मात्र 1,600 करोड रुपये ही प्राप्त होंगे।
विद्युत दरों में वर्तमान वृद्धि के बाद भी राजस्थान की विद्युत दरे देश के अन्य कई राज्यों की तुलना में काफी कम है। राजस्थान की दरे घरेलू श्रेणी में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, व कर्नाटक से कम है। अघरेलु श्रेणी में दिल्ली, केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश से कम है।
कृषि श्रेणी में छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, आसाम, मेघालय, दिल्ली, मध्य प्रदेश, केरल, उड़ीसा, उत्तराखण्ड, कर्नाटका, हिमाचल प्रदेश से कम है। लघु उद्योग श्रेणी में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब से कम है। मध्यम उद्योग श्रेणी में दिल्ली, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल व उत्तर प्रदेश, पंजाब से कम है।
वृहद औद्योगिक श्रेणी में पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, से कम है। गौर तलब है कि पिछली सरकार के समय में वर्ष 2011 से 2013 तक 3 बार में 55 प्रतिशत विद्युत की दरों में बढ़ोतरी हुई थी जबकि वर्तमान सरकार के समय में 2 बार में मात्र 26 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
विद्युत दरों में विनियामक आयोग द्वारा 22 सितम्बर, 2016 को वर्ष 2015-16 के लिए जारी टैरिफ आदेशों के मुख्य बिन्दु –
– विद्युत दरों में बढ़ोतरी के यह आदेश 1 सितम्बर 2016 से लागू हो गये हैं।
– प्रति वर्ष उपभोक्ताओं को उनके खातों का लेखा-जोखा उपलब्ध करायेंगे।
– घोषित विद्युत शट्डाउन के लिये कम से कम 24 घंटे पूर्व तथा आपात स्थिति में उसी दिन अधिसूचित करना होगा।
– घरेलू उपभोक्ताओं को चरणबद्ध रूप से मासिक बिलिंग चक्र में स्थानांनतरित करने के लिये शुरूआत 500 यूनिट से ज्यादा मासिक उपभोग वाले उपभोक्ताओं से किया जाना निर्देशित किया है।
इससे उपभोक्ताओं पर दो माह का बिल एक साथ चुकाने का भार नहीं पड़ेगा।
– विद्युत बचत हेतु सभी सरकारी कार्यालायों में एलईडी बल्ब व ट्यूबलाइट्स लगाने का परीक्षण करने हेतु सलाह दी गई है।
उपभोक्ताओं को ऊर्जा दक्ष पम्पों, पंखों तथा वातानुकूलकों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित व जागरूक किया जावेगा।
– उपभोक्ता जागरुकता व उनको शिक्षित करने व उनकी समस्याओं को दूर करने हेतु संस्थागत तंत्र बनाने के लिए प्रावधान।