- April 8, 2015
राजस्थान अपार्टमेंट स्वामित्व विधेयक, 2015 पारित
जयपुर – राजस्थान विधानसभा ने मंगलवार को राजस्थान अपार्टमेंट स्वामित्व विधेयक, 2015 ध्वनिमत से पारित कर दिया।
नगरीय विकास मंत्री श्री राजपाल सिंह शेखावत ने सदन में विधेयक को विचारार्थ प्रस्तुत किया। विधेयक पर हुई बहस के बाद श्री शेखावत ने कहा कि अपार्टमेंट केे विक्रय के दौरान कारपेट एरिया, बिल्टअप एरिया और सुपर बिल्टअप एरिया की बात की जाती है।
प्री लॉन्चिंग और लॉन्चिंग प्राइस में अंतर होता है और लॉन्चिंग से पहले दिखाए जाने वाले चित्र और वास्तविक स्थिति में काफी फर्क होता है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के जरिए अपार्टमेंट मालिकों के हितों की रक्षा और संवर्धन करते हुए उसे और सक्षम बनाया गया है। इस विधेयक के माध्यम से पार्किंग, एलिवेटर, सेटबैक, पैसेज जैसे अविभाजित क्षेत्र में मालिकों की आनुपातिक हिस्सेदारी सुनिश्चित होगी।
श्री शेखावत ने बताया कि यह पहला ऐसा प्रगतिशील कानून है जो बिल्डर को मकान बनाने से पहले हर तरह की जानकारी देने के लिए पाबंद करता है। साथ ही अपार्टमेंट होल्डर्स एसोसिएशन को मैनेज और मेंटीनेंस के अधिकार भी इसके तहत दिए गए हैं।
नगरीय विकास मंत्री ने कहा कि शहरीकरण तेजी से हो रहा है। यदि हॉरिजेंटल ग्रोथ होती रही तो पानी, सड़क और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं लोगों को उपलब्ध कराने में काफी मुश्किल आएगी। इसलिए यह जरूरी है कि वर्टिकल ग्रोथ को बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने कहा कि इसी बात की चिंता करते हुए वर्ष 2008 में हमारी सरकार ने राजस्थान अपार्टमेंट ऑनरशिप का ड्राफ्ट बनाकर केन्द्र सरकार को भेजा था। केन्द्र सरकार ने 22 दिसम्बर, 2008 को इसे यह कहते हुए लौटा दिया कि इसे नई सरकार के सामने रखा जाए।
गत सरकार ने पांच वर्ष तक इसे लटकाए रखा और इस विधेयक में जो पांच साल की देरी हुई उसके लिए पूर्ववर्ती सरकार जिम्मेदार है। श्री शेखावत ने कहा कि गत सरकार के कार्यकाल के अंतिम वर्ष में केबिनेट ने जिस विधेयक को मंजूरी दी थी हमने उसमें एक भी धारा को हटाया नहीं है, बल्कि उसमें कुछ नए प्रावधान ही जोड़े हैं।
श्री शेखावत ने कहा कि इस विधेयक को जब लोगों की राय के लिए ऑनलाइन किया गया तो इसके बारे में एक भी आपत्ति नहीं मिली। उन्होंने कहा कि यह विधेयक अपने आप में इतना स्पष्ट है कि इससे जुड़ी हर जिज्ञासा का समाधान इसी विधेयक की किसी न किसी धारा में मौजूद है।
इससे पहले सदन ने सदस्यों द्वारा विधेयक को जनमत जानने के लिए परिचारित करने के प्रस्ताव को ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया।
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