राजनीतिक भाषा समझे:-शैलेश कुमार

राजनीतिक भाषा समझे:-शैलेश कुमार

गाय को राम भरोसे छोड़ दीजिए क्योंकि आज तक जिस समस्या को नेता छुआ है वह हल नहीं हुआ है :-

गाय के लिए सिर्फ मुस्लिम को ही दोषी मानना अतिशयोक्ति है !

गाय मुस्लिम भी पालते है , उनके बच्चो को डॉक्टर –मुर्गी की दूध पीने के लिए नहीं कहते है।

बीमार और दूधहीन गाय को हिन्दू ,मुस्लिम के हाथों क्यों बेचते है ?

भाजपा की भाषा को समझे — अवैध हत्यागृह बंद होगा। अर्थ का अनर्थ न लगाए,राजनीतिक भाषा समझे।

-मैं ” भारत माता ” नहीं कहूंगा ,सुनने में लगता है की वह विरोधी है अगर वह विरोधी होता तो वह –” भारत -माता ” शब्द का नाम ही नहीं लेता।

पाले हुए दूधहीन गाय जिस पर खर्च आ रही हो,मानवीय प्रकृति है की उससे अर्थ प्राप्त हो, अगर नहीं, तो वह उसके लिए बेकार है।

मानवीय प्रवृति लालची और हड़पने की है —आप इस पोस्ट से हमें ये बताये की आपकी इच्छाएं दुष्ट और लालची प्रवृति की है या नहीं।

एक अर्थहीन बीमार माँ -बाप के प्रति सिर्फ 2 माह में आप के आंतरिक भावना किस प्रवृति में बदल जाती है !!

वैज्ञानिक दृष्टि से देखे तो हर जीव परपोषी है —शिकारी -बाघ या शेर —जीव -जंतु ,सांप -चूहे ,चूहे -धान ,मनुष्य -मछली-मांस।

अगर एक भी जीव का संतुलन बिगड़ा तो मानवीय जीवन नष्ट हो जाएगा। यह प्राकृतिक संतुलन है।

हम सिर्फ मुस्लिम को दोषी नहीं ठहरा सकते !

जैसे लव जेहाद -! — इस प्रक्रिया में लड़के अड़ोस – पड़ोस के ही होते है। लड़की खूब जानती है की यह मुस्लिम ।

लेकिन समाज को बेबकूफ बनाने के लिए और दंगा में झोकने के लिए वह लड़की और उसके माता -पिता यह नाटक करते हैं।

अगर ब्राह्मण जैसे नीच कर्महीन या कोई हिन्दू इस कुकृत्य में फंसता है तो उस परिवार को मुस्लिम में ही धकेल कर शांत रहें ।

दंगा -फसाद न फैलावे। राजनीतिक भाषा समझे और पहल करें।

देश में यही षडयंत्र है —-लव -जिहाद और -गौ ह्त्या। यही नेताओं का काम है, जिसका निराकरण धरती पर नहीं है।

इसलिए मुझे यही कहना ही की -हिन्दू और मुस्लिम दोनों का नैतिक , सामाजिक,राष्ट्रीय अधिकार है की विकास में सहयोग करे न की विखंडनवादी प्रवृति में ऊर्जा समाप्त करें।

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