योग-सत्य से मुँह मोड़ नहीं सकते हैं – शैलेश कुमार

योग-सत्य से मुँह  मोड़ नहीं सकते हैं – शैलेश कुमार

आज 21 जून ,योग दिवस के समाचारों के तादाद से मैं भी योग पर लिखने के लिए उत्सुक हो गया ।

इसके संबंध में मैंने कुछ अपनी अनुभव पडोसने कि कोशिश की है।

सीने के बल लेटकर पढ़ने की आदत से पेट और छाती में मीठा -मीठा दर्द रहता था। आरएसएस के सूर्यनमस्कार अभ्यास से सिर्फ दो दिन में वह दर्द गायब हो गया।

जब मैं बहादुरगढ़ आया तो पीठ में रेखाई दर्द होने लगा। मुझे कारण का पता ही नहीं लग रहा था। मैंने फर्श पर चटाई फैलाकर सोने कि शुरुआत की । फिर दर्द गायब हो गया ।

चुकी कई बार गिरने पर फ्रैक्चर हो जाने से हर जोड़ में दर्द रहता है। पूर्वा हवा बहने से यह दर्द बढ़ जाता है। मैंने कदम ताल शुरु की, इससे दर्द नियंत्रण में है। योग का दो अर्थ है –व्यायाम और दूसरा -ध्यान।

व्यायाम से शरीर स्वस्थ्य रहता है और ध्यान से दिमाग संतुलित रहता है। ध्यान का चरम सीमा मनुष्य के आगमन से दूर होना है।

कई ऐसे आंतरिक अभ्यास है जिससे मैं पेट से सम्बंधित क्रियाकलाप को नियंत्रण में रखता हूँ। इसी क्रम में सप्ताह में एक दिन निराधार रहना भी योग है।

जिस योग की प्रचार -प्रसार की जा रही है वह विशुद्ध रूप से चिकित्सकीय योग है और इसे अवधारण करना चाहिए।

न्यून समय में न्यून योग –जैसे -साईकिल चलाना। पांच मिनट लेटकर सूर्य नमस्कार करना। पांच मिनट बैठ कर जोड़ो से श्वांस लेना। दौड़ना,ताली बजाना।

पानी में सर डीबों कर कुछ देर तक आँख से देखना । विवाहित जोड़ो के लिए सहवास उत्तम योग है। इससे शरीर स्वस्थ्य और मन प्रसन्न रहता है

कहावत सही है —योग भगाये रोग। बाबा रामदेव ने योग को सरलीकरण किया तो प्रधानमंत्री ने विश्व स्तर पर मान्यता दिलवाई। नेक काम करने के लिए कोई आगे तो बढ़ेगा।

फिजियोथेरेपी क्या है ? यन्त्र के माध्यम से योग अर्थात अभ्यास।

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