• February 5, 2019

यमुना एवं नर्मदा जल में राजस्थान को हिस्से का पूरा पानी दिलवाने की मांग

यमुना एवं नर्मदा जल में राजस्थान को हिस्से का पूरा पानी दिलवाने की मांग

जयपुर—— मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने सोमवार को सायं नई दिल्ली में केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग और जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुर्नरूद्धार मंत्री श्री नितिन गडकरी से मुलाकात कर केन्द्र के पास लम्बित प्रदेश की सड़क एवं जल संसाधन परियोजनाओं को समय पर पूरा करवाने के लिये विशेष केन्द्रीय सहायता और यमुना एवं नर्मदा जल परियोजनाओं में राजस्थान को अपने हिस्से का पूरा पानी दिलवाने के लिए केन्द्र सरकार से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया।

श्री गहलोत ने केन्द्रीय मंत्री को बताया कि राजस्थान को यमुना जल समझौते के 24 वर्ष पश्चात् भी ताजे वाला हैड से जल प्राप्त नही हो रहा है। इस संबध मे भूमिगत पाईप लाईन द्वारा राजस्थान में पानी लाने के लिये वर्ष 2017 मे एम.ओ.यू. पर सहमति के लिये हरियाणा सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन हरियाणा सरकार द्वारा इस पर हस्ताक्षर नही किये जा रहे है।

उन्होंने रेगिस्तान प्रधान राजस्थान में जल की कमी के मद्देनजर केन्द्र सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने और प्रदेश को अपने हिस्से का पूरा पानी दिलवाने का अनुरोध किया। मुख्ममंत्री ने बताया कि हरियाणा व उत्तर प्रदेश में पानी के अवेध दोहन के कारण राजस्थान को ओखला हैड से आांवटित यमुना जल का लगभग 40 प्रतिशत जल ही प्राप्त हो रहा है।

मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने नर्मदा जल परियोजना मे जल की कम आपूर्ति का मुद्दा भी उठाया और बताया कि वर्तमान में राजस्थान के जालोर और बाड़मेर जिलोंं के 2.46 लाख हेक्टेयर क्षेत्र मे रबी की फसल खड़ी हुई है जिसके लिये गुजरात से मिल रहा 1 हजार क्यूसेक जल पर्याप्त नही है। जल की कम आपूर्ति के कारण राज्य के किसानों में अंसतोष हो रहा है।

उन्होने एस.एस.आर.सी. की मिटिंग में तय की गई जल आपूर्ति के अनुरूप राजस्थान को पानी दिलवाने के निर्देश जारी करने का अनुरोध भी किया।

इंसेंटिवाइजेसन स्कीम फॉर ब्रिजिंग इरीगेशन गेप (आई.एस.बी.आई.जी.) योजना की चर्चा करते हुए श्री गहलोत ने बताया कि राजस्थान में भारत सरकार के सिंचित क्षेत्र विकास एवं जल प्रबंधन कार्यक्रम ( सी.ए.डी.डब्ल्यू.एम.) के अंतर्गत केंद्रीय सहायता से चल रही सात परियोजनाओ को अप्रैल 2017 से बन्द कर दिया गया है तथा इसके स्थान पर इंसेंटिवाइजेसन स्कीम फॉर ब्रिजिंग इरीगेशन गेप योजना प्रस्तावित की गई है परन्तु केन्द्र सरकार द्वारा योजना के क्रियान्वयन हेतु अभी दिशा निर्देश प्राप्त नही हुए है जिसकी वजह किसानों का सिंचाई का वांछित लाभ नही मिल पा रहा है।

श्री गहलोत ने बताया कि इस योजना के अन्तर्गत पूर्व में संचालित सात परियोजनाओं मे शेष बचे 6 लाख 83 हजार 656 हेक्टेयेर कमांड क्षेत्र तथा राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित आठ नवीन योजनाओं के 3 लाख 5 हजार 862 हेक्टेयर कमांड क्षेत्र के लिये 6184 करोड रूपये केन्द्र सरकार की मंजूरी के लिये लंबित हैै। उन्होने कहा कि राज्य के दस जिलों के 9 लाख 89 हजार हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र को लाभान्वित करने वाली इन परियोजनाओ केा शीघ्र मंजूरी प्रदान कर केन्द्रीय सहायता जारी करवाई जाये।

ए.आई.वी.पी योजना के अन्तर्गत राजस्थान के नर्मदा नहर परियोजना एवं गंग नहर के आधुनिककरण के लिये करीब 196 करोड़ रूपये के केन्द्रीय सहायता की राशि शीघ्र जारी करवाने का अनुरोध किया।

दिल्ली-जयपुर एक्सपे्रसवे और जयपुर-दिल्ली एन.एच- 48 को छः लेन बनाने के कार्य शीघ्र पूरे

मुलाकात के दौरान श्री गहलोत ने केन्द्रीय मंत्री के समक्ष दिल्ली-जयपुर एक्सपे्रसवे
और जयपुर-दिल्ली एन.एच- 48 को छः लेन बनाने के कार्य शीघ्र पूरे करने की मांग भी रखी और बताया कि केन्द्र सरकार की बजट घोषणा के अनुसार दिल्ली -जयपुर एक्सप्रेसवे के निर्माण की वास्तविक क्रियान्वति अभी तक नही हुई है।

जयपुर-दिल्ली एन.एच.-48 को छः लेन बनाने की परियोजना मे शामिल फलाईओवर, वाहन एवं पदयात्री अण्डरपास और पूलो का निर्माण अब तक भी पूर्ण नही हुआ है। साथ ही इस परियोजना के अन्र्तगत स्थित तीन टोल प्लाजा का विस्तार अधुरा रहने और इस सड़क मार्ग का रख-रखाव संतोषप्रद नही रहने के कारण आम लोगो को बहुत ही असुविधाओं का सामना करना पड रहा है।

श्री गहलोत ने सी.आर.एफ. एवं राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के लिये केन्द्र के पास लम्बित राज्य के प्रस्तावाें की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृतियां जारी करवाने और स्वीकृत राष्ट्रीय राजमार्गो का गजट नोटिफिकेशन जारी करवाने का आग्रह भी किया।

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