- January 31, 2017
मुझको खुशहाल मेरा वतन चाहिए
बहादुरगढ़ (कृष्ण गोपाल विद्यार्थी)– जनउद्बोधन समिति और कलमवीर विचार मंच द्वारा सी एस एम पब्लिक स्कूल में विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता वयोवृद्ध समाजसेवी बारहे के प्रधान उमेद देशवाल ने की व मंच संचालन युवा कवि शिव पाराशर ने किया।मंचासीन अतिथियों द्वारा किए गए दीप प्रज्जवलन व कुमारी रश्मि की सरस्वती वंदना से शुरू हुए इस कार्यक्रम में कृष्ण गोपाल विद्यार्थी, मास्टर महेंद्र, विकास यशकीर्ति, सुंदर कटारिया, राजीव पाराशर, शिव पाराशर और अर्चना ठाकुर सहित आज़ाद शास्त्री आदि ने भी अपने काव्य पाठ से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।
युवा ग़ज़लकार राजीव पाराशर ने श्रंगार रस की ग़ज़लें सुनाईं।
एक बानगी देखिए —
परहेज यूं कोई नहीं है उनको आने से,
पर चांद कब आया है छत पर यूं बुलाने से।
विकास यशकीर्ति द्वारा पिता को समर्पित उनकी ये पंक्तियाँ बेहद पसंद की गईं—
घर की छोटी छोटी खुशियों का आधार हैं बाबूजी,
शुष्क देह में हराभरा सा इक संसार हैं बाबूजी।
फटी जूतियां, मैला कुर्ता और पुरानी धोती में,
बिटिया के सजते मंडप का हर श्रंगार हैं बाबूजी।
गुरूग्राम से पधारे हरियाणवी हास्य कवि सुन्दर कटारिया ने जहां अपनी कविता दादा की धोती सुनाकर हंसी की फुलझड़ियां बिखेरीं वहीं झज्जर के हास्य कवि मास्टर महेंद्र ने अपनी कविता बनवारी का रक्षाबंधन से लोगों को खूब हंसाया।
कार्यक्रम में उपस्थित एकमात्र कवयित्री अर्चना ठाकुर ने देश के प्रति अपने मनोभावों को कुछ यूं व्यक्त किया —
टूट जाये घरौंदा मेरा ग़म नहीं,
मुझको खुशहाल मेरा वतन चाहिए।
मंच संचालन कर रहे शिव पाराशर ने अपनी बारी आने पर कई ग़ज़लें सुनाईं। उनकी एक ग़ज़ल के दो शेर देखिए —
बस्ती की पहचान बहुत हैं,
खंडहर हुए मकान बहुत हैं।
गूंगे बनकर जीना सीखो,
दीवारों के कान बहुत हैं।
कवि सम्मेलन का समापन गीतकार कृष्ण गोपाल विद्यार्थी की हास्य रचनाओं से हुआ। कार्यक्रम के दौरान गांव के सरपंच संजय सांगवान व सी एस एम स्कूल के प्रिंसिपल विजय कुमार सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहे। समिति के प्रधान सुमित कुमार के आभार प्रदर्शन के साथ इस काव्योत्सव का विधिवत समापन हुआ।