मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व विकास योजना लागू : जनजातीय समुदाय

मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व विकास योजना लागू : जनजातीय समुदाय

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह के मार्गदर्शन में जनजातीय समुदाय को सामाजिक और राजनैतिक रूप से सक्षम बनाने और उनमें नेतृत्व क्षमता के विकास के लिये मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व विकास योजना सभी जनजातीय विकासखण्डों में लागू कर दी गई है। चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविदयालय द्वारा तैयार तीन वर्षीय स्नातक पाठयक्रम तैयार कर आदिवासी युवाओं को दूरस्थ शिक्षा प्रदान कर नेतृत्व क्षमता बढ़ाने का काम शुरू कर दिया गया है।

यह जानकारी आज यहाँ आदिम जाति कल्याण विभाग की समीक्षा बैठक में दी गई। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने विभाग की योजनाओं को एकीकृत करने और जिलों की आवश्यकता के अनुसार विकास गतिविधियाँ एवं कार्य-योजनाएँ लागू करने के निर्देश दिये। श्री चौहान ने कहा कि अब हर माह के पहले सोमवार को आदिम-जाति कल्याण विभाग की समीक्षा होगी।

श्री चौहान ने जनजातीय विद्यार्थियों के लिये शुरू की गई आवास सहायता योजना में असंतोषजनक प्रगति पर अप्रसन्नता जाहिर करते हुए मैदानी स्तर पर इसके निरीक्षण के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि जिन जिलों ने इस योजना के क्रियान्वयन में रूचि नहीं ली है उनके कलेक्टर और संबंधित विभागीय अधिकारी की जिम्मेदारी तय की जायेगी। इसी प्रकार उन्होंने छात्रवृत्ति और शिष्यवृत्ति के वितरण की समीक्षा करते हुए कहा कि इस काम में विलम्ब और लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। विद्यार्थियों को हर सुविधा मिलना चाहिये। नई शिक्षण संस्थाओं की स्थापना के प्रस्ताव भेजने में लापरवाही बरतने वाले जिला स्तरीय अधिकारियों पर भी अनुशासनात्मक करने के निर्देश दिये। उन्होंने उच्च-स्तरीय अध्ययन के लिये विदेशी संस्थानों में अध्ययन की शिष्यवृत्ति योजना की समीक्षा करते हुए श्री चौहान ने कहा कि इच्छुक विद्यार्थियों को वीसा बनने और अन्य औपचारिकताएँ पूरी करने में भरपूर सहयोग देने के निर्देश दिये।

मुख्यमंत्री ने प्रसन्नता जाहिर की कि पिछले साल आदिवासी अंचलों के विद्यार्थियों का बड़ी संख्या में आई.आई.टी. और एन.आई.टी. जैसी राष्ट्रीय संस्थाओं में चयन हुआ। इससे आगे बढ़ते हुए इस दिशा में और अधिक प्रयास करने की जरूरत है। दूरस्थ स्कूलों में भी शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़ाने की जरूरत है।

जनजातीय  परिवारों को वन भूमि अधिकार पत्र देने की समीक्षा करते हुए श्री चौहान ने कहा कि जिनका दावा निरस्त हो गया है उनकी पुन: समीक्षा करें और उन्हें वन भूमि वनाधिकार पत्र दिलाने में मदद करें। हर आदिवासी को उसका हक मिलना चाहिये। इस काम को मिशन मानकर पूरा करें। इसके लिये फिर से अभियान चलाने की तैयारी करें। इसके लिये उन्होंने जल्दी ही वन, राजस्व और आदिम-जाति कल्याण विभाग की संयुक्त बैठक बुलाने को कहा।

मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना की समीक्षा करते हुए श्री चौहान ने कहा कि उन सभी आदिवासीय युवाओं की सूची दें जिन्होंने योजना का लाभ लेकर काम शुरू कर दिया है। इनकी सूची संबंधित सांसद और विधायकों को भी उपलब्ध करायें ताकि वे भी उनसे संवाद कर सकें। उन्होंने कौशल विकास के काम में विशेषज्ञ कंपनियों को जोड़ने के निर्देश दिये ताकि प्रशिक्षण के बाद आदिवासी युवाओं को रोजगार के लिये भटकना न पड़े।

श्री चौहान ने आदिम जाति कल्याण के लिये बजट का बेहतर उपयोग करने की गुजरात में लागू वन बंधु कल्याण योजना का अध्ययन करने के निर्देश दिये। उन्होने कहा कि आदिम-जाति कल्याण के लिये प्रभावी परियोजनाएँ बनायें। इनकी स्वीकृति के लिये केन्द्र सरकार से अनुरोध किया जायेगा। उन्होंने हर जिले को आदिवासी विकास का विजन तैयार करने के निर्देश दिये। आदिवासी बस्ती विकास योजना में विकास कार्यों की प्राथमिकता तय करें। उन्होंने आदिवासी अंचलों में विभागीय निर्माण कार्यों में हो रहे विलम्ब के संबंध में लोक निर्माण विभाग की परियोजना क्रियान्वयन इकाई के साथ समन्वय कर इस काम में तेजी लाने के निर्देश दिये।  श्री चौहान ने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में विभाग से संबंधित प्रकरणों के अधूरे निराकरण में लापरवाही बरतने के लिये संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिये।

बैठक में आदिम-जाति कल्याण मंत्री श्री ज्ञान सिंह, मुख्य सचिव श्री अंटोनी डिसा, प्रमुख सचिव आदिम-जाति कल्याण श्री बी.आर. नायडू, मुख्यमंत्री के सचिव श्री विवेक अग्रवाल और संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

ए.एस.

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