• October 28, 2022

मीथेन कौन्सेंट्रेशन में हुई अब तक की सबसे बड़ी वृद्धि

मीथेन कौन्सेंट्रेशन में हुई अब तक की सबसे बड़ी वृद्धि

लखनऊ (निशांत सक्सेना) — एक बेहद चिंताजनक घटनाक्रम में, विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO), की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, साल 2021 में तीन मुख्य ग्रीनहाउस गैसों – कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड का वायुमंडलीय स्तर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था।

WMO के ग्रीनहाउस गैस बुलेटिन ने 2021 में मीथेन कौन्सेंट्रेशन में साल-दर-साल की सबसे बड़ी छलांग की जानकारी दी। गैसों के वायुमंडलीय कौन्सेंट्रेशन की माप बीते चालीस सालों से हो रही है और यह उछाल बीते 40 साल में सबसे बड़ी है। इस असाधारण वृद्धि का कारण स्पष्ट नहीं है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि यह जैविक और मानव-प्रेरित दोनों प्रक्रियाओं का परिणाम है।

साल 2020 से 2021 तक कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में वृद्धि पिछले दशक की औसत वार्षिक वृद्धि दर से अधिक थी। और अब, WMO के ग्लोबल एटमॉस्फियर वॉच नेटवर्क स्टेशनों के डाटा से पता चलता है कि 2022 में भी पूरे विश्व में इन स्तरों में वृद्धि जारी है।

लंबे समय तक सक्रिय रहने वाली ग्रीनहाउस गैसों द्वारा हमारी जलवायु पर वार्मिंग प्रभाव, साल 1990 और 2021 के बीच, लगभग 50% बढ़ गया। इस वृद्धि का लगभग 80% कार्बन डाइऑक्साइड कि वजह से हुआ।

2021 में कार्बन डाइऑक्साइड सांद्रता 415.7 भाग प्रति मिलियन (पीपीएम), मीथेन 1908 भाग प्रति बिलियन (पीपीबी) और नाइट्रस ऑक्साइड 334.5 पीपीबी थी। ये आंकड़े पूर्व-औद्योगिक स्तरों के सापेक्ष क्रमशः 149%, 262% और 124% हैं।

अपनी प्रतिक्रिया देते हुए डब्ल्यूएमओ के महासचिव प्रो. पेटेरी तालास ने कहा, “डब्लूएमओ के ग्रीनहाउस गैस बुलेटिन ने एक बार फिर, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती और वैश्विक तापमान को और भी अधिक बढ़ने से रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की भारी चुनौती – और महत्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित किया है।”

उन्होंने आगे कहा, “मीथेन के स्तर में रिकॉर्ड गति से बढ़त के साथ मुख्य गरम तापमान को ट्रेप करने वाली गैसों के कौन्सेंट्रेशन में निरंतर वृद्धि से पता चलता है कि हम गलत दिशा में जा रहे हैं।”

समस्या का संधान बताते हुए वो कहते हैं, ” जीवाश्म ईंधन क्षेत्र में मीथेन उत्सर्जन से निपटने के लिए लागत प्रभावी रणनीतियां उपलब्ध हैं, और हमें बिना किसी देरी के इन्हें लागू करना चाहिए। हालांकि, मीथेन का जीवनकाल अपेक्षाकृत कम 10 साल से कम है और इसलिए जलवायु पर इसका प्रभाव पलटा जा सकता है। सर्वोच्च और सबसे जरूरी प्राथमिकता के रूप में, हमें कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करना होगा जो जलवायु परिवर्तन और संबंधित चरम मौसम के मुख्य चालक हैं, और जो ध्रुवीय बर्फ के नुकसान, समुद्र के गर्म होने और समुद्र के स्तर में वृद्धि के माध्यम से हजारों वर्षों तक जलवायु को प्रभावित करेगा।”

मिस्र के शर्म-अल-शेख मेंमें 7-18 नवंबर के बीचहोनेवालेसंयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन, COP27 में WMO इस वैश्विक जलवायु रिपोर्ट को पेश करेगा और बताएगा कि कैसे ग्रीनहाउस गैसें जलवायु परिवर्तन और चरम मौसम घटनाओं को बढ़ा रही हैं।

WMO की रिपोर्ट COP27 वार्ताकारों को पूर्व-औद्योगिक स्तरों की तुलना में ग्लोबल वार्मिंग को 2 से नीचे, अधिमानतः 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए पेरिस समझौते के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अधिक महत्वाकांक्षी कार्रवाई पर कोशिश करने पर केन्द्रित है । औसत वैश्विक तापमान फिलहाल 1850-1900 पूर्व-औद्योगिक औसत से 1.1 डिग्री सेल्सियस अधिक है।

जलवायु शमन प्रयासों पर बेहतर निर्णयों के लिए ग्रीनहाउस गैस सूचना तंत्र को मजबूत करने की आवश्यकता को देखते हुए, WMO एक व्यापक ग्रीनहाउस गैस समुदाय के साथ काम कर रहा है ताकि निरंतर, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समन्वित वैश्विक ग्रीनहाउस गैस निगरानी के लिए एक ढांचा विकसित किया जा सके।

दरअसल WMO ग्रीनहाउस गैसों की वायुमंडलीय सांद्रता को मापता है। वो सांद्रता जो समुद्र और जीवमंडल जैसे सिंक द्वारा गैसों के अवशोषित होने के बाद वातावरण में रहती है। इस सांद्रता को उत्सर्जन नहीं कहा जा सकता है।

इस रिपोर्ट के साथ ही संयुक्त राष्ट्र ने एक एमिशन्स गैप रिपोर्ट भी जारी की है नवीनतम वैज्ञानिक अध्ययनों के आधार पर बताया गया है कि एमिशन्स के मामले में हम कहाँ हैं और हमें कहाँ होना चाहिए। ध्यान रहे कि जब तक उत्सर्जन जारी रहेगा, वैश्विक तापमान में वृद्धि जारी रहेगी।

बुलेटिन की खास बातें

कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2)

वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड 2021 में पूर्व-औद्योगिक स्तर के 149% तक पहुंच गया। इसका उत्सर्जन मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन के दहन और सीमेंट उत्पादन से उत्सर्जन के कारण होता है। साल 2020 में COVID से संबंधित लॉकडाउन के बाद से वैश्विक उत्सर्जन में फिर से उछाल आया है। 2011-2020 की अवधि के दौरान मानव गतिविधियों से होने वाले कुल उत्सर्जन में से लगभग 48% वायुमंडल में, 26% महासागर में और 29% भूमि पर अब भी जमा हुआ है।

वैज्ञानिकों को इस बात की भी चिंता है कि भविष्य में एक “कार्बन सिंक” के रूप में कार्य करने के लिए भूमि पारिस्थितिक तंत्र और महासागरों की क्षमता कम प्रभावी हो सकती है। इसके चलते उनके कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने और तापमान वृद्धि के खिलाफ काम करने की उनकी क्षमता कम हो सकती है।

मीथेन (सीएच4)

वायुमंडलीय मीथेन जलवायु परिवर्तन में दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता है मगर इसके स्रोत और उसके प्रकार द्वारा उत्सर्जन को मापना मुश्किल है।

साल 2007 के बाद से, विश्व स्तर पर औसत वायुमंडलीय मीथेन सांद्रता तेज़ गति से बढ़ रही है। 1983 में, गैसों के व्यवस्थित रिकॉर्ड शुरू होने के बाद से, 2020 और 2021 में वार्षिक वृद्धि सबसे ज़्यादा रही है।

वैश्विक ग्रीनहाउस गैस विज्ञान समुदाय द्वारा अभी भी कारणों की जांच की जा रही है। विश्लेषण इंगित करता है कि 2007 के बाद से मीथेन में नए सिरे से वृद्धि में सबसे बड़ा योगदान बायोजेनिक स्रोतों से होती है। यह कहना अभी संभव नहीं है कि 2020 में 2021 में अत्यधिक वृद्धि एक जलवायु प्रतिक्रिया का नतीजा है।

नाइट्रस ऑक्साइड (एन 2 ओ)

नाइट्रस ऑक्साइड तीसरी सबसे महत्वपूर्ण ग्रीनहाउस गैस है। यह दोनों प्राकृतिक स्रोतों (लगभग 57%) और मानवजनित स्रोतों (लगभग 43%) से वातावरण में उत्सर्जित होता है, जिसमें महासागरों, मिट्टी, बायोमास जलने, उर्वरक उपयोग और विभिन्न औद्योगिक प्रक्रियाओं शामिल हैं। साल 2020 से 2021 तक की वृद्धि 2019 से 2020 तक देखी गई तुलना में थोड़ी अधिक थी और पिछले 10 वर्षों में औसत वार्षिक वृद्धि दर से अधिक थी।

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