- April 21, 2018
महामहिम न्यायाधिश पर 64 दुर्योधन का पक्षेपास्त्र
नई दिल्लीः कांग्रेस के नेतृत्व में सात विपक्षी दलों ने 20 अप्रैल को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा पर ‘गलत आचरण’ का आरोप लगाते हुए महाभियोग का प्रस्ताव लाने की नोटिस दिया है.
तृणमूल कांग्रेस, टीएमके और डीएमके ने महाभियोग नोटिस पर दस्तखत नहीं किए.
महाभियोग के नोटिस पर हस्ताक्षर करने वाले सांसदों में कांग्रेस, राकांपा, माकपा, भाकपा, सपा, बसपा और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के सदस्य शामिल हैं.
****************** महाभियोग के 5 आधार *************************
*** प्रसाद एजुकेशनल ट्रस्ट से संबंधित हैं. यह रिकॉर्ड पर है कि सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज की है. इस मामले में बिचौलियों के बीच रिकॉर्ड की गई बातचीत का ब्यौरा भी है.सीबीआई ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति नारायण शुक्ला के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की इजाजत मांगी और प्रधान न्यायाधीश के साथ साक्ष्य साझा किये लेकिन अनुमति नही दी गई.
*** आरोप उस रिट याचिका को प्रधान न्यायाधीश द्वारा देखे जाने के प्रशासनिक और न्यायिक पहलू के संदर्भ में है जो प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट के मामले में जांच की मांग करते हुए दायर की गई थी.
*** परंपरा रही है कि जब प्रधान न्यायाधीश संविधान पीठ में होते हैं तो किसी मामले को शीर्ष अदालत के दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश के पास भेजा जाता है. इस मामले में ऐसा नहीं करने दिया गया.
*** गलत हलफनामा देकर जमीन हासिल करने का लगाया है. प्रस्ताव में कहा गया है कि न्यायमूर्ति मिश्रा ने वकील रहते हुए गलत हलफनामा देकर जमीन ली और 2012 में उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश बनने के बाद उन्होंने जमीन वापस की, जबकि उक्त जमीन का आवंटन वर्ष 1985 में ही रद्द कर दिया गया था.
*** प्रधान न्यायाधीश ने उच्चतम न्यायालय में कुछ महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील मामलों को विभिन्न पीठ को आवंटित करने में अपने पद एवं अधिकारों का दुरुपयोग किया.
7 पार्टी के 71 सांसदों ने महाभियोग पर किया हस्ताक्षर
विपक्षी दलों की बैठक खत्म होने के बाद गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल ने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से उनके आवास पर मुलाकात की. गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर 71 सांसदों ने हस्ताक्षर किया है, लेकिन उनमें से 7 रिटायर हो गए हैं, जिसकी वजह से यह संख्या घटकर अब 64 हो गई है.