भ्रष्ट अधिकारियों की अनुपातहीन सम्पत्ति जब्त करने का कानून बनाने वाला छत्तीसगढ़ तीसरा राज्य

भ्रष्ट अधिकारियों की अनुपातहीन सम्पत्ति जब्त करने का  कानून बनाने वाला छत्तीसगढ़ तीसरा राज्य

रायपुर – मुख्यमंत्री डॉ0 रमन सिंह ने प्रदेश की जनता को भ्रष्टाचार मुक्त स्वच्छ प्रशासन देने तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ ’जीरो टारलेंस’ की नीति के तहत तीसरे कार्यकाल के अपने संकल्पों के अनुरूप समय-समय पर व्यक्त अपनी प्रतिबद्धता को पुष्ट करते हुए आज विधानसभा में छत्तीसगढ़ विशेष न्यायालय विधेयक 2015 को प्रस्तुत कर दिया, जो ध्वनिमत से पारित हो गया।

राज्य शासन की मंशा है कि भ्रष्टाचार के ऐसे प्रकरण जो लंबे समय से न्यायालय में निराकरण की बाट जोहते रहते हैं तथा जिससे भ्रष्टाचार पर प्रभावी अंकुश लगाने में विलंब होता है, ऐसे प्रकरणों को समय-सीमा के आधार पर निराकृत करते हुए भ्रष्टाचारियों को कड़े से कड़ा दंड दिया जाना सुनिश्चित किया जाये, ताकि आम जनता में इस संबंध में स्पष्ट संदेश जा सकेे ।

इसी तारतम्य में आज विधानसभा में विधेयक प्रस्तुत करते हुए डॉ0 रमन सिंह ने स्पष्ट किया कि भ्रष्टाचार से संबंधित प्रकरणों के त्वरित निराकरण के उद्देश्य से राज्य शासन द्वारा विशेष न्यायालय का गठन किया जायेगा, ताकि ऐसे प्रकरणों का तेज गति से निराकरण करते हुए कड़ी कार्रवाई की जा सके ।

प्रकरणों की सुनवाई के दौरान यदि जांच एजेंसी को ऐसा प्रतीत होता है कि अपचारी लोक सेवक प्रकरण के न्यायालय के अधीन रहने के दौरान ही सम्पत्ति को बेच देगा, तो ऐसे विक्रय पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश भी जांच एजेंसी दे सकती है । विशेष न्यायालय द्वारा प्रकरण के दर्ज होने के बाद अपचारी लोक सेवक को समुचित सुनवाई हेतु नोटिस जारी किया जायेगा तथा नोटिस जारी होने के दिनांक से एक वर्ष के भीतर प्रकरण का निराकरण करना आवश्यक होगा, साथ ही यदि लोक सेवक विशेष न्यायालय के आदेश से व्यथित हो तो उच्च न्यायालय में 30 दिन में अपील कर सकेगा, तथा उच्च न्यायालय द्वारा ऐसी अपील का निराकरण 6 माह के भीतर किया जा सकेगा।

विधेयक को विधानसभा में बहुमत के आधार पर पारित कर दिया गया । इस विधेयक के पारित होने से अपचारी लोक सेवक जो भ्रष्टाचार द्वारा सम्पत्ति अर्जित करते हैं तथा विभिन्न न्यायालयों में कानूनी जटिलताओं के कारण लंबे समय तक जिनके प्रकरण का निराकरण नहीं हो पाता, उन्हें सबसे ज्यादा नुकसान होगा, क्योंकि समय सीमा के भीतर ऐसे मामलों का तेजी से निराकरण होगा।

 वहीं इस विधेयक में यह भी अत्यंत महत्वपूर्ण प्रावधान रखा गया है कि भ्रष्टाचारी लोकसेवकों की सम्पत्ति को राज्य शासन सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए राजसात भी कर सकेगा । इस प्रकार के कठोर प्रावधान लाने वाला अब छत्तीसगढ़, बिहार एवं मध्यप्रदेश के बाद तीसरा राज्य बन चुका है ।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री डॉ0 रमनसिंह विधानसभा में विपक्ष के आरोपांे के जवाब में कई बार यह उल्लेख कर चुके हैं कि राज्य शासन भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टारलेंस की नीति के क्रियान्वयन के लिए वचनबद्ध है और इस हेतु चालू सत्र के दौरान ही आवश्यक कानून बनाया जायेगा । आज विधेयक प्रस्तुत करके पुनः मुख्यमंत्री ने अपने पूर्व कथन के प्रति वचनबद्धता को दोहराया है।

मुख्यमंत्री ने विधेयक पर चर्चा के दौरान यह भी जानकारी दी कि विशेष न्यायालय हेतु पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति माननीय उच्च न्यायालय द्वारा की जायेगी तथा लोकसेवक के द्वारा अन्य किसी भी नाम पर भी यदि सम्पत्ति रखी गयी है तो वह भी इन प्रावधानों के तहत राजसात की जा सकेगी । मुख्यमंत्री द्वारा विपक्ष से यह अपील की गई कि भ्रष्टाचार समाज के लिए एक ज्वलंत समस्या है। इस सामाजिक बुराई को दूर करने के लिए उन्होंने विपक्ष से विधेयक को सर्वसम्मति से पारित करने की अपील की, ताकि आम जनता के बीच अच्छा संदेश जाये और सदन की गरिमा भी बनी रहे।

इस अधिनियम के तहत प्रकरणों के त्वरित निराकरण के प्रयोजन से राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा ऐसी संख्या में जैसा कि आवश्यक हो न्यायालय की स्थापना करेगी, जिन्हें विशेष न्यायालय कहा जायेगा ।

विशेष न्यायालय के पीठासीन अधिकारी उच्च न्यायालय की सहमति से राज्य शासन द्वारा नियुक्त होंगे तथा वह न्यूनतम छत्तीसगढ़ उच्च न्यायिक सेवा के सदस्य होंगे । विशेष न्यायालय के निर्णय या दंडादेश के विरूद्ध अपील मात्र उच्च न्यायालय में होगी । किसी अन्य न्यायालय में कोई अपील या पुनरीक्षण नहीं किया जा सकेगा। ऐसी अपील, दंडादेश की तारीख से 30 दिनों के भीतर प्रस्तुत की जा सकेगी।

विधेयक की धारा-18 के अधीन प्राधिकृत अधिकारी द्वारा यह निष्कर्ष प्राप्त करने पर कि धन या सम्पत्ति अपराध के माध्यम से अर्जित की गयी है,  ऐसे धन या सम्पत्ति को अधिनियम के उपबंधों के अध्यधीन रहते हुए सभी प्रकार के भार से मुक्त राज्य सरकार के पक्ष में राजसात माना जायेगा, परन्तु यदि सम्पत्ति का बाजार मूल्य प्राधिकृत अधिकारी के पास जमा कर दिया गया है, तो सम्पत्ति राजसात नहीं की जायेगी । राजसात की गई सम्पत्ति को 30 दिनों के भीतर शासन कब्जे में लेगा ।

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