- February 4, 2016
भोपाल विश्वस्तरीय आई.टी.आई.
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि भोपाल आई.टी.आई को विश्व स्तरीय बनाया जायेगा। साथ ही सभी संभागीय आई.टी.आई. का उन्नयन कर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित किया जायेगा। उन्होंने निर्देशित किया कि औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों एवं कौशल विकास केन्द्रों में क्षेत्र की आवश्यकताओं के अनुसार ट्रेड खोले जायें, जिससे प्रशिक्षितों को रोजगार मिल सके।
मुख्यमंत्री आज यहाँ मंत्रालय में कौशल विकास एवं तकनीकी शिक्षा विभाग की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री उमाशंकर गुप्ता, मुख्य सचिव श्री अंटोनी डि सा, प्रमुख सचिव तकनीकी शिक्षा श्री संजय सिंह और विभागीय अधिकारीगण उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कौशल विकास के क्षेत्र में किये गये कार्यों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुये विभाग को बधाई दी। उन्होंने कहा कि औद्योगिक विकास संस्थान भोपाल को कौशल विकास के लिये विश्वस्तरीय संस्थान के रूप में विकसित किया जाये। इसके लिये सिंगापुर की मदद ली जाये, जिससे यह देश में कौशल विकास का उदाहरण बन सके। उन्होंने प्रशिक्षण की गुणवत्ता पर भी ध्यान देने और सतत मॉनीटरिंग के निर्देश दिये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज रीवा, उज्जैन, जबलपुर एवं सागर के अधोसंरचना विकास की कार्य-योजना बनाई जाये। साथ ही विद्यार्थियों के असुविधा को देखते हुये यह तय किया गया कि अगले वर्ष से प्रायवेट इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों के मूल दस्तावेज कॉलेज के बजाय शासन के पास रहेंगे जो छह माह बाद सीधे विद्यार्थियों को वापस किये जायेंगे।
बैठक में बताया गया कि प्रदेश में अगले वर्ष 52 नवीन आई.टी.आई. और 102 कौशल विकास केन्द्र खोलने की योजना है। प्रति वर्ष 50 हजार युवा को कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जायेगा जिनमें 25 हजार महिलायें होंगी। एक हजार व्यक्तियों को कौशल प्रमाणीकरण का प्रशिक्षण चल रहा है। साथ ही कॉल कारीगर योजना शुरू की गई है जिसके पोर्टल पर कारीगरों की जानकारी उपलब्ध है।
ऐसे कारीगरों की सेवाओं के लिये नागरिकों द्वारा कॉल करके बुलाया जा सकता है। इनमें इलेक्ट्रीशियन, कारपेंटर, प्लम्बर आदि शामिल हैं। बताया गया कि कौशल विकास की सभी परीक्षायें ऑनलाइन करने में मध्यप्रदेश देश में पहला राज्य है। अब प्रदेश में प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण की व्यवस्था हो भी गई है जो पहले प्रदेश से बाहर भेजना पड़ता था।