• August 16, 2016

भारत पर्व : राजस्थान के हुनरमंद हाथों ने जीता दिल्लीवासियों का दिल

भारत पर्व :  राजस्थान के हुनरमंद हाथों ने जीता दिल्लीवासियों का दिल

जयपुर, 16 अगस्त। नई दिल्ली के इंडिया गेट प्रागंण में आयोजित छः दिवसीय भारत पर्व में जोधपुर के जाने-माने मिनिएचर पेंटिग के उस्ताद डॉ. ज्योति स्वरूप शर्मा अपने हुनरमंद हाथों से निर्मित कलाकृतियों के माध्यम से दर्शकों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर रहे है।20160707_133052-1

श्री शर्मा द्वारा बनाई गई स्वर्ण नक्काशी की मशहूर कलाकृतियों की कीमत करीब तीन से चार लाख रुपये तक है। मिनिएचर और उस्ता स्वर्ण कला को नए रिसर्च वर्क के साथ जीवंत करने वाले कलाकार श्री शर्मा मूलतः जोधपुर रिमोट सेसिंग सेंटर में वैज्ञानिक रह चुके है। श्री शर्मा करीब 40 वर्ष से कला की साधना में लगे हुए हैं। उनका नामांकन पद्मश्री सम्मान के लिए भी हो चुका है। श्री शर्मा ने लुप्त प्रायः मध्ययुगीन मिनिएचर और उस्ता स्वर्ण कला को ऊंट के चमड़े के अलावा कागज, कपड़ा, लकड़ी, लोहे पर तो उकेरा ही है, भित्ती चित्रों के रूप में मुनव्वति, सुनहरी नक्काशी, जंगाली, मुनव्वती तांतल, सुनहरी रंगा बैजी लघु चित्र जैसी कलाकृत्तियां भी बनाई। डॉ. शर्मा ने मध्यकालीन कलाकृतियों में प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया। जिसमें लाल मोरम, गेरूं, रामरज, काजल व पत्तियों से विभिन्न रंग गोंद के साथ मिला कर चार से छह सप्ताह रखा व इमाम दस्ते में कुटाई कर रंग तैयार किए।

उन्होंने चमड़े पर स्वर्ण चित्रांकन की तकनीक से तलवार, सुराही, फोटो फ्रेम, फ्लॉवर पॉट, जोधपुर तथा उदयपुर के शाही महलों के प्राचीन भित्ती चित्रों का पुननिर्माण किया। डॉ. शर्मा ने बताया कि उन्हेें चमड़े की ढाल बनाने में साढ़े चार वर्ष लगे। जिस पर उन्होंने मुगल बादशाह अकबर से लेकर बहादुर शाह जफर तक के चित्र उकेरे है। डॉ. शर्मा 1992 में स्टेट लेवल पर हस्तशिल्प पुरस्कार, वर्ष 1999 में नेशनल लेवल का हस्तशिल्प पुरस्कार, वर्ष 2002 में जोधपुर राजघराने की और से पालकी सिरोपाव, सूरजकुंड के अंतर्राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में कलामणि सम्मान और वर्ष 2005 में मारवाड़ रत्न सम्मान से सम्मानित हो चुके है।

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