- June 7, 2015
भारत और बांग्लादेश : 41 साल : शतरंज की बाजियों के विवाद – मोदी राजनीति समाप्त
शतरंज : विवाद का कारण - 24 इंक्लेव ऐसे हैं जो दोनों की सीमा पर है
नई दिल्ली। भारत और बांग्लादेश ने 41 साल से चले आ रहे सीमा विवाद का समाधान करते हुए आज भूमि सीमा समझौते को मंजूरी देकर इतिहास रच दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की मौजूदगी में भूमि समझौते के दस्तावेजों का आदान-प्रदान किया गया। लेकिन आइए जानते हैं कि इस विवाद का कारण क्या था और यह विवाद कब से चला आ रहा हा। और क्य है
शतरंज के खेल से क्षेत्र की सीमा निर्धारित करना, सुनने में अजीब लग सकता है पर यही वजह है दशकों से चले आ रहे इस विवाद की। शतरंज के खेल में जीत और हार ही इन क्षेत्रों के मालिकाना हक को तय किया करता था। भारत-बंगलादेश के बीच बसे इंक्लेव को चितमहल के नाम से जाना जाता है। जिसे कभी पाशा इंक्लेव के नाम से भी जाना जाता था।
यह इंक्लेव भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, असम और मेघालय की सीमा से सटे हैं। इनमें से 106 भारतीय इंक्लेव जिनमें 102 भारतीय सीमा में और 92 बंग्लादेशी इंक्लेव जिनमें 71 बंग्लादेश की सीमा में हैं। 24 इंक्लेव ऐसे हैं जो दोनों की सीमा पर है और यही विवाद का कारण भी है। 2010 में हुए संयुक्त जनगणना के अनुसार इस विवादित क्षेत्र की जनसंख्या 51,549 है जिनमें 37,334 लोग बंग्लादेश सीमा के अंदर भारतीय इंक्लेव में रहते हैं और बाकी भारतीय सीमा के अंदर बंगलादेशी इंक्लेव में रहते हैं।
इन विवादित इंक्लेव के आदान प्रदान और अंतरराष्ट्रीय सीमा को सुलझाने के लिए भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और बंग्लादेश के तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख मुजीबुर्र रहमान के बीच 1974 में भूमि विवाद समझौता पर हस्ताक्षर किया गया था। इसी समझौते के संशोधित प्रारुप को भारतीय संसद ने 100वें संविधान संशोधन के रूप में 7 मई 2015 को सदन से पास किया।
यह विवाद सदियों पुराना हैं। पहले कूचबिहार और रंगपुर दो रियासत हुआ करते थे। इन दोनों रियासतों के राजा इन क्षेत्रों की सीमा को शतरंज की बाजियों से तय करते थे। शतरंज के खेल में जीत के साथ ही दूसरे रियासत के गांव पर कब्जा हो जाता था। और यह सिलसिला काफा लंबे समय तक चलता रहा। 1713 में कूच बिहार और मुगल शासक के बीच एक संधि हआ जिसमें बिना कोई सीमा निर्धारित किए ही क्षेत्रों को आपस में बांट लिया गया। 1947 में स्वतंत्रता के समय रंगपुर पूर्वी पाकिस्तान और कूच बिहार भारत का हिस्सा बना। तब से चला आ रहा विवाद अब तक चलता रहा।
1997 में भी विवादित इंक्लेव की सूची तैयार की गई। 2001 और 2007 में भी इस विवाद को खत्म करने की दिशा में साकारात्मक पहल किया गया। दोनों देशों ने 162 इंक्लेवों को आदान प्रदान की सहमति दिखाई थी।