भारतीय वन सेवा संवर्ग के स्वर्ण जयंती समारोह— पुरस्कार की शुरूआत

भारतीय वन सेवा संवर्ग के स्वर्ण जयंती समारोह— पुरस्कार की शुरूआत

छत्तीसगढ ————–डॉ. रमन सिंह ने आज यहां भारतीय वन सेवा संवर्ग के स्वर्ण जयंती समारोह में वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए कर्त्तव्य परायणता पुरस्कार की शुरूआत कर दी। उन्होंने पिछले पखवाड़े विधानसभा के बजट सत्र में विनियोग विधेयक पर चर्चा के दौरान सदन में स्वर्गीय श्री दौलतराम लदेर के नाम पर इस पुरस्कार योजना की घोषणा की थी।

डॉ. सिंह ने अपनी घोषणा पर अमल करते हुए आज पहला कर्त्तव्य परायणता पुरस्कार लैलूंगा वन परिक्षेत्र के दिवंगत वन क्षेत्रपाल श्री दौलतराम लदेर के लिए उनकी धर्मपत्नी श्रीमती पुष्पा लदेर को सौंपा। उन्होंने गमगीन माहौल में भारी हृदय से उन्हें एक लाख रूपए की पुरस्कार राशि का चेक और प्रशस्ति पत्र भेंट किया।

ज्ञातव्य है कि श्री लदेर ने रायगढ़ जिले के वन परिक्षेत्र लैलूंगा में वन तस्करों से संघर्ष करते हुए लगभग दो माह पहले 20 फरवरी को अपने प्राणों की आहूति दे दी थी। मुख्यमंत्री ने भारतीय वन सेवा संवर्ग के स्वर्ण जयंती समारोह में स्वर्गीय श्री लदेर की कर्त्तव्य परायणता का उल्लेख करते हुए उनके परिवार के प्रति अपनी संवेदना भी प्रकट की।

डॉ. सिंह ने इस अवसर पर वन विभाग द्वारा प्रकाशित दो पुस्तकों का भी विमोचन किया, जिनमें ‘वानिकी के नये आयाम’ और ‘कबीरधाम में जल-क्रांति’ शामिल है। दूसरी पुस्तक में कबीरधाम जिले में जल संरक्षण के लिए किए गए कार्यों को सफलता की कहानियों के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इस पुस्तक का प्रकाशन कवर्धा वनमंडल और जिला पंचायत द्वारा किया गया है। स्वर्ण जयंती समारोह का आयोजन भारतीय वन सेवा अधिकारी संघ द्वारा किया गया।

मुख्यमंत्री ने भारतीय वन सेवा संवर्ग के 50 वर्ष पूर्ण होने पर संवर्ग के सभी अधिकारियों को स्वर्ण जयंती की बधाई और शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा – छत्तीसगढ़ वन सम्पदा से परिपूर्ण राज्य है। हमारे यहां कुल भौगोलिक क्षेत्र लगभग 44 प्रतिशत में जंगल है।

पर्यावरण की सुरक्षा में वनों के महत्व में प्रकाश डालते हुए डॉ. सिंह ने कहा – प्रदेशवासियों में इसके लिए काफी जागरूकता आयी है। उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य के हर गांव और हर शहर को अधिक से अधिक हरा-भरा बनाने के लिए सभी लोगों के सक्रिय सहयोग का आव्हान किया।

डॉ. सिंह ने कहा- हरियर छत्तीसगढ़ योजना के तहत प्रदेश में हर साल बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया जा रहा है। इस वर्ष मानसून के दौरान राज्य में विभिन्न प्रजातियों के लगभग 8 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य है। उन्होंने टिश्यू कल्चर से तैयार पौधों को काफी उपयोगी बताया। डॉ. सिंह ने कहा-गरीब परिवारों को रसोई गैस कनेक्शन देने के लिए संचालित प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना से छत्तीसगढ़ में हर साल कम से कम दो करोड़ वृक्षों को जलाऊ लकड़ी के लिए कटने से बचाया जा सकेगा।

डॉ. सिंह ने वनों को वनवासियों के जीवनयापन का प्रमुख जरिया बताया। उन्होंने यह भी कहा कि तेंदूपत्ता सहित लघु वनोपजों के मौसमी कारोबार में प्रदेश के लाखों वनवासी परिवारों को अच्छी अतिरिक्त आमदनी होती है। राज्य का विकास तभी संभव है, जब वन क्षेत्रों का विकास हो।

इस अवसर पर वन मंत्री श्री महेश गागड़ा ने राज्य में वन सम्पदा के संरक्षण और विकास में वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया और उनकी तारीफ करते हुए कहा कि राज्य के 44 प्रतिशत हिस्से में वन क्षेत्र होना इस बात का प्रमाण है कि यहां के वन अधिकारी और कर्मचारी पूरी गंभीरता से अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं। श्री गागड़ा ने आज अपरान्ह समारोह के प्रथम सत्र को भी सम्बोधित किया था।

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