• September 16, 2019

बिल्ली के गले में घंटी बांधे कौन ??—- शैलेश कुमार

बिल्ली के गले में घंटी बांधे कौन ??—- शैलेश कुमार

बिल्ली के गले मे घंटी बांधे कौन ???
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अगर ईमानदारी से समीक्षा की जाय तो — नीतीश कुमार बिहार के किसी भी विगत पूर्व मुख्यमंत्री से बहुत ही बेहतर स्थिति में बिहार को लाये हैं ।

 

जिसमें बीजेपी को भी नहीं भुलाया जा सकता है ।

मुख्यमंत्री में दोष यही है की –वे सिर्फ कानून बना कर,घोषणा करते हैं। लेकिन पालन नहीं करा पाते हैं.

जैसे — मुख्यमंत्री वृद्ध जन पेंशन योजना -ऑनलाइन आवेदन — प्रखण्ड विकास पदाधिकारी हार्ड पेपर मांग कर चेलो-चमचों के माध्यम से घुस लेते हैं । 

उसी तरह जमाबंदी  / दाखिल खारिज  ऑनलाइन आवेदन  व्यवस्था का हर्ष —- 
अर्थात — ऑनलाइन लाइन  सिस्टम के लिए — ऑनलाइन मॉनिटरिंग डाइरेक्टर नहीं है जो प्रतिदिन ऑनलाइन आवेदन की निगरानी करें । 

अब चलते है —

समाज सुधार की ओर —-

) शराब बंद की —— लोगों में खुशी हुई लेकिन शराब की चोर- बाजारी पुलिस कर रही है. बड़े -बड़े हस्तिवाले , पार्टी के कद्दावर शराब की खरीद-फ़रोक्त करते हैं तो इसका समाधान कैसे होगा — जब रखवाला ही भक्षक बने. 

) दहेज प्रथा की नियम पर शक्ति —- अब आप कोइलख में शादी करेगें और दिल्ली में दहेज लेंगे —- इसका क्या समाधान ।

) बाल विवाह के विरुद्ध कानून ——- अब आप विस्फी की लड्की , बहादुरपुर का लड़का और सियालदाह में शादी या बेलवार की लड्की, गया का लड़का और रोहतक में शादी। — इस सनातन प्रथा के आश्रयदाता मुख्यमंत्री द्वारा बनाये गये कानून को धज्जियां उडा रही है.

) जो अधिकारी काम नहीं करते या बहानेबाजी करते हैं उनके विरुद्ध -लोक शिकायत विभाग खुली है — लेकिन अगर शिकायतकर्ता ही न जाएगें तो — फिर किसका दोष। जनता जगेगी राज्य जगेगा. 

)  काम करवाने के लिए जनता सरकारी कर्मचारी को इसलिए पैसा दे रही है की उसे दस बार ऑफिस का चक्कर न लगाना पड़े क्योंकि कभी कलर्क नहीं तो कभी अफसर नहीं तो कभी संबन्धित व्यक्ति नहीं। पैसा नहीं देगा तो काम नहीं होगा । अर्थात चैनल बन कर रहा गया है। 

आवेदक या लाभुक कैमरे पर या विरुद्ध में आवेदन नहीं दे रहा है क्योकि यह सनातन धर्म बन कर रह गया है। पीठ पीछे चिल्लाने से क्या होगा?

) आपके बच्चे, आपके गाँव , आपके शिक्षक — शिक्षक तो बन गए और आपके बच्चे को भैंस बना रहा है शिक्षक —-

) विद्यालय को उत्क्रमित कर दिया गया पर 12 वीं के बच्चे को आठवीं के गुरु जी पढा रहे हैं ।

) मुख्यमंत्री बृद्धजन पेंशन योजना —  लाखों  व्याज का कारोबारी नामित हैं।

) आप इतने चालाक है की एक शौचालय बनाकर पाँच उगाही कर रहे है।

) पंचायत विकास फंड में आए राशि का मुखिया गमन कर जाता है लेकिन पंचायतवासी मुखिया के दादागिरि के कारण चुप्पी साधे रह जाते हैं, भला इस प्रपंचकांड में कौन उत्तरदायी है। 

) सात निश्चय योजना — की सफलता दिवास्वप्न। सात निश्चय लूट योजना में  तब्दील क्योंकि ऊपर से लेकर नीचे तक गुरु दक्षिणा पद्धति लागू। अफसर से लेकर ठीकेदार तक भ्रष्ट।

बिहार सरकार कि योजना को विधि विधान पूर्वक लूटने की योजना कह सकते हैं. लूट कैसे की जाय इसकी वैधानिक योजना बनाने में बिहार सरकार पारंगत है.

) बेटी को पढ़ने के लिए पहली से स्नातक तक पूरी खर्च — मगर इंटर जाते-जाते विवाह कर देते है. प्रेम में भागने के डर से पढाते ही नही हैं.वजीफा लेते हैं लेकिन विद्यालय नही भेजतें हैं.

*** प्रत्यक्ष प्रमाण —

जब मैं क्षेत्र मे video न्यूज के लिए जनता के पास जाता है और पूछता हूं की क्या घर बनाने में कितने पैसे दलाल ने लिया है , सलाहकार या जीयो टैगिंग करने वाले को कितना देने का वादा किये हैं ?

— लाभुक स्पष्टतौर पर नकार जाता है — क्या इसके लिए मुख्यमंत्री दोषी है ? 

*** जिला पदाधिकारी को शिकायत नहीं करेंगे , 

**** आपको घर बैठे मलाई चाहिए तो देने वाला तो मजदूरी  लेगा.
 
***- सबसे बड़ी बात है की सरकार को कोसने बाला लाभुक कैमरे पर नहीं आता है — 

*** सलाहकार 50 % तक घुस मांगता है लेकिन अगर उसी आदमी से पूछा जाय तो सीधा इंकार करता है॰

*** यही कारण है की अयोग्य मुख्यमंत्री 15- 15 वर्षों तक शासन किया और बिहार को रसातल में पहुंचा दिया है, ये तो नीतीश की सरकार है जो सडक और,बिजली जनता देख रही है हालांकि यह सरकार एक छोटी सी पापड उद्योग लगाने में कोई रुचि नही ली है तो बडे- बडे उद्योग लगा कर रोजी-रोटी का समाधान क्यों करें.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कानून बनाते हैं,घोषणा करते है लेकिन शक्ति से लागू कराने में अक्षम है। इसलिये कुमार जी घोषणा मुख्यमंत्री कहलाये जाने के योग्य हैं.

सभी काम ऑन लाइन है लेकिन जब जिला से सभी ऑन लाइन रिपोर्ट शाम 6 बजे तक चीफ़ सेक्रेटरी पटना मंगवाना शुरू करें तो पाँच वर्षों से दाखिल खारिज का जो आवेदन धूल फांक रहा है वह मिनिटो में हल हो जाएगा.

मुख्यमंत्री जी यही व्यवस्था करने मे सक्षम नहीं है, जो आदेश भेजते है, अगर वो सचिवालय से कदाचित बाहर आ गया तो वह अफसर के थैले में चिपक जाता है। 

कमियाँ यहां है —प्रत्येक प्रखण्ड , प्रत्येक अनुमंडल और जिला से प्रगति रिपोर्ट लें और जो प्रखण्ड फिसड्डी है, से तत्काल 15 दिनों का वेतन काट कर चेतावनी दी जाय तो 48 घंटे में बिहार सुधार जाएगा।

लेकिन बिल्ली के गले में घंटी बांधे कौन ???

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