बिजली : 350 करोड़ रूपए की सब्सिडी

बिजली : 350 करोड़ रूपए की सब्सिडी

 छत्तीसगढ —————————- बिजली की दरों को न्यूनतम रखने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने 350 करोड़ रूपए की सब्सिडी दी है। छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा वर्ष 2016-17 के लिये विद्युत की दरों का पुनरीक्षण किया गया, जो कि दिनांक 01 अप्रेल 2016 से प्रभावशील होगी। विभिन्न उपभोक्ता वर्गों के लिये विद्युत दरों का निर्धारण करते हुये औसत आपूर्ति दर में औसतन 12.0 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की गई है। इस बढ़ोत्तरी के बावजूद छत्तीसगढ़ में घरेलू विद्युत की दरें अन्य राज्यों की अपेक्षा अब भी कम है।

माहवारी खपत
प्रति यूनिट में
वर्ष 2015-16 के अनुसार
कुल बिल की राशि (रूपये में)
वर्ष 2016-17 के अनुसार
कुल बिल की राशि (रूपये में)
वृद्धि       (रूपये में)
40 126 144 18
100 322 366 44
 200 648 736 88
300 1115 1256 141
500 2049 2296 247
1000 5224 5716 492

विद्युत की दर न्यूनतम रखने हेतु राज्य शासन द्वारा वितरण कंपनी को 350 करोड़ की सब्सिडी दी गई फलस्वरूप एवरेज कास्ट आफ सप्लाई में 18 पैसे की कमी हुई है। साथ ही राज्य शासन द्वारा केन्द्र की उदय योजना के अन्तर्गत राज्य विद्युत वितरण कपंनी की सितम्बर 2015 की स्थिति में देनदारियों का 50 प्रतिशत की राशि लेने के निर्णय से कंपनी की वार्षिक राजस्व आवश्यकता में 127 करोड़ की कमी हुई जिसके फलस्वरूप टेरिफ में 6 पैसे की कमी हुई है। इस प्रकार राज्य शासन से प्राप्त वित्तीय सहायकता के परिणामस्वरूप औसत आपूर्ति लागत में  कुल 24 पैसे प्रति यूनिट की कमी हुई है जिसका लाभ प्रदेश के सभी वर्ग के उपभोक्ताओं को प्राप्त हुआ है।

वितरण कंपनी द्वारा बिजली खरीदी की दर एवं विद्युत पारेषण की दरों में वृद्धि, विद्युत वितरण अधोसंरचना के सुदृढीकरण संबंधी कार्यों पर खर्च, ट््रांसफार्मर मीटर, अन्य विद्युत विषयक उपकरणों-सामग्रियों की कीमत में बढ़ोत्तरी सहित वितरण कंपनी के संचालन व्यय तथा कर्मचारियों के महंगाई भत्ते वृद्धि को वितरण कंपनी प्रबंध द्वारा विद्युत दरों का पुनर्निर्धारण के लिये आवष्यक बताया गया।

नियामक आयोग द्वारा पुनरीक्षित विद्युत दरों में गैर घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं की दरों में औसत 12 प्रतिशत तथा उच्चदाब उपभोक्ताओं की विभिन्न श्रेणियों के लिए विद्युत दरों में औसत 12 से 16 प्रतिशत वृद्धि की गई है। कृषि पम्प की दरों में लगभग 25 प्रतिशत की वृद्धि की गई।

इस वृद्धि के बावजूद कृषि क्षेत्र के अधिकांश उपभोक्ताओं पर दर वृद्धि का बोझ नहीं आयेगा। चूंकि इस वर्ग के 97 प्रतिषत उपभोक्ताओं (3 एचपी पम्प के लिये 6000 यूनिट एवं 5 एचपी पम्प के लिये 7500 यूनिट तक वार्षिक खपत) का खर्च राज्य सरकार वहन करती है। कृषि पम्पों की विद्युत दर में 25 प्रतिषत वृद्धि करना इसलिये आवष्यक हुआ क्योंकि किसी भी वर्ग के उपभोक्ताओं का टैरिफ एवरेज कास्ट आफ सप्लाई का 80 प्रतिषत से कम नहीं होना चाहिये।

वृद्धि के बावजूद कृषि उपभोक्ताओं का टैरिफ एवरेज कास्ट आफ सप्लाई का 75 प्रतिशत रखा गया है। इसके अतिरिक्त ऐसे कृषक उपभोक्ता जिनके पास एक से अधिक पम्प है, तो अतिरिक्त पम्पों पर उर्जा प्रभार में 10 प्रतिशत की राहत दी गई है।

प्रदेश में वर्ष 2016-17 में लागू होने वाली घरेलू विद्युत की दर पर कुल बिल की राशि अन्य राज्यों  जैसे मध्यप्रदेश, गुजरात, पंजाब, महाराष्ट्, उड़ीसा, कर्नाटक, बिहार के वर्ष 2015-16 की दर पर विद्युत बिल की राशि की तुलना में अब भी कम हैं जो नीचे तालिका में दर्शाये विवरण से स्पष्ट होता है:-

माहवारी खपत (यूनिट में) मध्यप्रदेश गुजरात पंजाब महाराष्ट् उड़ीसा कर्नाटक बिहार छत्तीसगढ
100 506 424 521 610 395 456 385 383
200 1179 934 1225 1440 815 981 750 773
500 3063 2784 3431 4591 2415 2856 2275 2411
1000 6203 5964 7187 9388 5215 5981 5000 5977

नोट:  उपरोक्त तालिका में छत्तीसगढ को छोड़कर अन्य सभी राज्यों में 2016-17 के लिये नये विद्युत दर का निर्धारण प्रक्रिया में है।
कंपनी प्रबंधन ने बताया कि उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने, नई टेक्नालॉजी को अपनाकर उपभोक्ता सेवा में वृद्धि के साथ ही विद्युत कंपनियों के सुचारू संचालन हेतु आर्थिक सुदृढ़ता को दृष्टिगत रखते हुये विद्युत की दरों में आंशिक एवं वाजिब वृद्धि अपरिहार्य थी।
आयोग द्वारा अधिसूचित टेरिफ आदेश के मुख्य बिन्दु निम्नानुसार हैः-

  •  ग्रामीण क्षेत्र में लघु एवं छोटे उद्योगों के प्रोत्साहन हेतु उनके विद्युत दरों के उर्जा प्रभार में 5 प्रतिशत की छूट।
  • सूचना प्रोद्योगिकी और सौर उर्जा उपकरण निर्माण से संबंधित उद्योगों के प्रोत्साहन हेतु  रियायती दर पर विद्युत प्रदान करने का प्रावधान।
  • स्टील उद्योगों को 65 प्रतिशत से अधिक लोड फेक्टर रखने पर उर्जा प्रभार में छंूट का प्रावधान।

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