बानसागर संकट का समाधान

बानसागर संकट का समाधान

केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती के अनुरोध पर मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्‍य प्रदेश में बानसागर बाँध से उत्‍तर प्रदेश के लिए पानी छोड़े जाने का आदेश दिया। उत्‍तर प्रदेश द्वारा मध्‍य प्रदेश को ओ एंड एम कोष का हिस्‍सा जारी न किए जाने के आधार पर बानसागर बाँध से उत्‍तर प्रदेश को पानी न छोड़े जाने के मध्‍य प्रदेश के पहले के निर्णय से पैदा हुए जल आपूर्ति संकट का इससे समाधान हुआ है।

स्‍मरण रहे कि केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने बानसागर बाँध से उत्‍तर प्रदेश के लिए जल आपूर्ति मामले के बारे में विचार-विमर्श करने के लिए 21 मई, 2015 को नई दिल्‍ली में उत्‍तर प्रदेश तथा मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्रियों की एक बैठक बुलाई थी। मध्‍य प्रदेश सरकार ने पानी को छोड़े जाने के बारे में पहले यह कहते हुए अस्‍वीकार किया था कि उत्‍तर प्रदेश, बानसागर बाँध के संचालन तथा प्रबंध संबंधी खर्चों को बांटने के लिए सहमत नहीं हुआ था।

इसलिए बानसागर बाँध में उत्‍तर प्रदेश को किए जाने वाले पानी के हिस्‍से का उन्‍होंने भंडारण नहीं किया था। उत्‍तर प्रदेश सरकार ने मध्‍य प्रदेश के दावे का खंडन किया है। तदनुसार, सभी राज्‍य पक्षों से परामर्श करते हुए मामले की जांच के लिए केंद्रीय जल आयोग के अध्‍यक्ष के अधीन एक समिति का गठन किया गया है।

मध्‍य प्रदेश, उत्‍तर प्रदेश तथा बिहार सरकार के बीच 16 सितंबर, 1973 को सोन नदी का पानी तथा बानसागर बाँध का खर्च वहन करने के लिए हुए समझौते के मुताबिक बाँध सागर परियोजना का निर्माण किया गया था। 2005 को संचालन में आई परियोजना में पुराने सोन नहर प्रणाली से मध्‍य प्रदेश में (रेवा, सिद्धि, सतना तथा शाहडोल जिलों में) 2.49 लाख हेक्‍टेयर भूमि में उत्‍तर प्रदेश में (मिर्जापुर तथा इलाहाबाद जिलों में) 1.5 लाख हेक्‍टेयर तथा बिहार में 0.94 लाख हेक्‍टेयर वार्षिक सिंचाई तथा मध्‍य प्रदेश में 425 मैगावाट पनबिजली उत्‍पादन करना शामिल है।

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