बस्तर के आदिवासियों को संस्कृति के नाम पर जीवित मानव संग्रहालय में रखने की साजिश

बस्तर के आदिवासियों को संस्कृति के नाम पर  जीवित मानव संग्रहालय में रखने की साजिश

रायपुर ———–  मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि किसान हमारी सरकार की प्राथमिकता के केन्द्र बिन्दु में थे, आज भी हैं और भविष्य में भी रहेंगे। उन्होंने कहा कि बस्तर के आदिवासियों को जीवित मानव संग्रहालय में रखने की साजिश अब कभी कामयाब नहीं होगी। वहां के लोग भी विकास की मुख्य धारा से जुड़कर अन्य क्षेत्रों के नागरिकों की तरह तरक्की करना चाहते हैं। आदिवासी क्षेत्रों के विकास के मार्ग में कितनी भी चुनौतियां आएं हम पीछे नहीं हटेंगे।

मुख्यमंत्री आज रात यहां विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर सदस्यों की चर्चा का जवाब दे रहे थे। डॉ. सिंह ने कहा कि    राज्य सरकार किसानों और आदिवासियों सहित समाज के सभी वर्गो की बेहतरी के लिए काम कर रही है। सुदूर सुकमा के लोगों ने कभी यह कल्पना भी नहीं की थी कि वहां भव्य कलेक्टोरेट और अन्य सरकारी विभागों के जिला कार्यालय होंगे। राज्य सरकार ने जिला बनाकर उनके सपने को पूरा किया। उन्होंने अपनी सरकार की किसान हितैषी नीतियों पर प्रकाश डालते हुए गांव, गरीब और किसानों की बेहतरी के लिए अपनी सरकार की वचनबद्धता को दोहराया।

डॉ. रमन सिंह ने कहा- प्रकृति की गोद में पलता है और प्रकृति के कोप का पहला शिकार भी वही होता है। उसके खुद के घर खाने के लिए दाना हो अथवा न हो लेकिन हमारी भूख मिटाने का इंतजाम वह जरूर करता है। हमारे छत्तीसगढ़ के किसान तो इतने मेहनतकश हैं कि वे न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरी दुनिया के पेट भरने की सामर्थ्य रखते हैं। डॉ. सिंह ने कहा- राज्य सरकार की किसान हितैषी नीतियों की बदौलत ही किसानों में पिछले एक दशक में संपन्नता आई है।

एक दशक पहले राज्य से 8-10 लाख लोग पलायन करते थे। पलायन का दौर अब थम गया है। उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों ने किसानों को केवल वोटबैंक  समझकर अपने हित के लिए उपयोग किया। उनकी तरक्की के लिए दूरगामी कोई योजना उनके पास नहीं थी। किसानों की मेहनत का कोई सम्मान नहीं किया गया। प्राकृतिक संसाधनें तो पहले भी इतनी ही थी।

उन्होंने कहा कि पिछले 60 बरस के अंधेरे को हम 12 साल से दूर करने में लगे हैं। राज्य सरकार ने खेती-किसानी के लिए ब्याज दर को 14 प्रतिशत सालाना से घटाकर शून्य प्रतिशत किया। किसान पहले बैंको के अधिक ब्याज दर तथा साहूकारों और महाजनों के कुचक्र में फंसे हुए थे। बैंक जाने से डरते थे। आज से एक दशक पहले राज्य के किसान केवल 240 करोड़ रुपए का ऋण उठाते थे लेकिन आज यह बढ़कर दो हजार 400 करोड़ रुपए तक पहुंच चुकी है। इस सरल ऋण नीति के चलते फसल का उत्पादन कई गुना बढ़ा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे किसानों ने छत्तीसगढ़ का सिर गर्व से ऊंचा उठाया है। किसानों की मेहनत के कारण प्रदेश को चार बार कृषि कर्मण पुरस्कार मिला है। तीन बार चावल उत्पादन और इस वर्ष दलहन उत्पादन के लिए कृषि कर्मण पुरस्कार हासिल हुआ है। मुख्यमंत्री ने विधानसभा में बताया कि विगत एक दशक मंे राज्य सरकार ने किसानों से पांच करोड़ 67 लाख मीटरिक टन धान की खरीदी की है जिसके एवज में किसानों को 72 हजार करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के किसानों की स्थिति अब आम भारतीय किसान की तरह नहीं रह गई है। वर्ष 2003-04 तक और उसके बाद का फर्क दिन के उजाले की तरह साफ दिखता है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2003 में छत्तीसगढ़ के किसानों के पास जहां 30 हजार ट्रेक्टर थे, वहीं इसकी संख्या बढ़कर आज दो लाख तक पहुंच गई है। इसी तरह 2004 में किसानों के पास तीन लाख मोटर साईकिल थी जो आज बढ़कर 24 लाख तक पहुंच गई है। यह किसानों में आई सम्पन्नता का प्रतीक है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में किसानों की बेहतरी के लिए उठाए गए कदमों के उत्साहजनक नतीजे आए हैं। विगत 12 वर्षों में चावल उत्पादन में 39 प्रतिशत और दलहन उत्पादन में 40 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। इसी तरह उद्यानिकी फसलों के उत्पादन में 388 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। सरगुजा के सूरजपुर और अम्बिकापुर जैसे जिलों की पहचान फलों, फूलों और और साग-सब्जी के रूप में होने लगी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य गठन के समय जहां केवल 60 हजार किसानों के पास सिंचाई के लिए बिजली पम्प कनेक्शन थे, वही यह संख्या बढ़कर आज तीन लाख  90 हजार तक पहुंच गई है।

किसानों को उन्नत बीज उपलब्ध कराने के लिए छत्तीसगढ़ बीज निगम का गठन किया गया। उन्नत बीज के उपयोग में 1551 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। डॉ. सिंह ने कहा कि किसाना समृद्धि योजना, शाकम्भरी योजना सहित अन्य योजनाओं के तहत किसानों को अनुदान देकर सिंचाई सुविधा बढ़ाने के प्रयास किए गए हैं। राज्य सरकार किसानों के फसल उत्पादन लागत को कम करने के लिए साढ़े सात हजार यूनिट बिजली निःशुल्क देने के साथ ही इस साल अकाल के मौसम को देखते हुए एक हजार 500 यूनिट अतिरिक्त बिजली दी जा रही है। इस प्रकार उन्हें नौ हजार यूनिट बिजली मिलेगी।

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