• July 10, 2016

बच्चों के यौन हिंसा एवं शोषण की रोकथाम हेतु समन्वित प्रयास आवश्यक

बच्चों के यौन हिंसा एवं शोषण की रोकथाम हेतु समन्वित प्रयास आवश्यक

जयपुर—- अतिरिक्त जिला कलेक्टर शहर दक्षिण श्री हरिसिंह मीना ने कहा कि बच्चों के यौन हिंसा एवं शोषण की रोकथाम तथा पीड़ित बच्चों के संरक्षण एवं उपचार एवं न्यास की प्राप्ति और पुनर्वास के लिए पुलिस चिकित्सा संस्थान, न्यायपालिका, बाल कल्याण समितियों, बाल विकास विशेषज्ञ, परामर्शक और बच्चों के संरक्षण के विषय पर कार्यरत सभी संस्थाओं को समन्वित प्रयास करने की महत्वपूर्ण आवश्यक है।

श्री मीना शनिवार को कलक्टे्रट के सभागार में बच्चों के यौन हिंसा एवं शौषण की रोकथाम हेतु स्वयं सेवी संस्थाओं के सहयोग से कार्य योजना तैयार कर उसे क्रियान्वित करने के सम्बन्ध में आयोजित बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बच्चों के साथ होने वाली यौन हिंसा की रोकथाम हेतु भारत सरकार द्वारा लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 (पोस्को) लागू कर दिया गया है। इस कानून में प्रभावी प्रावधान किये गये हैं। जिसके तहत 18 वर्ष से कम आयु के बालक-बालिकाओं के विरूद्ध होने वाले लैंगिक अपराध की रोकथाम की जा सकती है। कानून के तहत पीड़ित बच्चों के सरंक्षण, पुनर्वास एवं विशेषज्ञों की सेवाएं लेने के सम्बन्ध में आवश्यक प्रावधान किये गये हैं।

अतिरिक्त कलेक्टर ने पोस्को के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु जिला बाल संरक्षण इकाई, पुलिस, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, शिक्षा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास, श्रम विभाग, बाल कल्याण समिति, जिला परिषद, जिला प्रशासन, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण स्वयं सेवी संस्थाओं के दायित्वों एवं उनकी भूमिका के सम्बन्ध में विस्तार से प्रकाश जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि पोस्को कानून के बारे में उक्त विभागों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों, जिले के सभी राजकीय एवं गैर राजकीय छात्रावासों, बालगृहों, विमंदित गृहों, राजकीय आवासों में पद स्थापित अधीक्षक एवं प्रभारी को एनजीओ के सहयोग से प्रशिक्षण दिया जायेगा।

प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले अधिकारी व प्रभारी टे्रनर के रूप में कार्य करेंगे। उन्होंने उक्त विभागों एवं संस्थाओं को तत्परता से कार्य योजना तैयार कर प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं। बैठक में विभिन्न स्वयं सेवी संस्थाओं ने पोस्को कानून की प्रभावी मॉनिटरिंग एवं क्रियान्वयन के सम्बन्ध में रचनात्मक सुझाव दिये। बैठक में विभिन्न विभागों के अधिकारी एवं स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद थे।

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