- March 28, 2024
फिर से पढ़ना चाहते हैं हम
बीकानेर (पूजा मेघवाल)-“मेरी शादी कम उम्र में आटा साटा प्रथा द्वारा कर दी गई थी. मेरे बदले में मेरे चाचा के लिए लड़की ली गई. मेरी पहली शादी जब मैं 7वी कक्षा में पढ़ती थी तब कर दी गई थी, लेकिन कुछ कारणों से वह टूट गई. फिर दूसरी शादी जब मैं आठवीं कक्षा में पढ़ रही थी तब की गई थी. मैं ससुराल में 3 साल तक रही और फिर जब मैं गर्भवती हुई तो ससुराल वालों ने प्रसव के लिए मुझे मेरे घर छोड़ दिया था. लेकिन डिलीवरी होने पर जब मुझे लड़की हुई तो इससे नाराज़ ससुराल वाले न तो मुझे लेने आए और न ही कभी मुझसे बात की. अब मैं संस्था द्वारा ओपन स्कूल से 10वी की पढ़ाई कर रही हूं. अब मेरे अंदर पढ़ाई को लेकर और ज्यादा लगन जगी है. मुझे अपनी जिंदगी में कुछ करना है. पढ़ लिख कर नौकरी करनी है ताकि अपने पैरों पर खड़े होकर अपनी बेटी का भविष्या बना सकूं. यह कहना गांव की 27 वर्षीय सुनीता का, जो राजस्थान के बीकानेर स्थित लूणकरणसर ब्लॉक के कालू गांव की रहने वाली है.
इस संबंध में गांव की 17 वर्षीय किशोरी पूजा बाबरी का कहना है कि “मैं कक्षा 5 तक ही पढ़ाई कर पाई थी. आगे पढ़ने का मन करता था. लेकिन हाई स्कूल गांव से दूर होने के कारण मुझे भेजा नहीं जाता था. मुझे नहीं लगता था कि मेरा पढ़ाई का सपना कभी पूरा होगा. लेकिन इस संस्था द्वारा मुझे पढ़ने का मौका मिला जिससे मैं बहुत खुश हूं. अब मैं आगे की पढ़ाई के लिए सेंटर पर जाती हूं. वहां मेरी नई सहेलियां भी बनी हैं. पहले मैं फोन पर सिर्फ वीडियो ही देखा करती थी. मगर अब मैं अपनी पढ़ाई और अपने विषय के बारे में जानकारी प्राप्त करती हूं. अब मैं अपने छोटे भाई बहनों को भी पढ़ाती हूं.” गांव की एक अन्य किशोरी नज़मा का कहना है कि “मेरे पिता नहीं हैं. जिस वजह से मां को बाहर जाकर काम करना पड़ता है और मेरे उपर पूरे घर के कामों की जिम्मेदारी रहती है. मैं पढ़ने में बहुत होशियार थी. लेकिन 8वीं के बाद घर के कामों की वजह से पढ़ाई छोड़नी पड़ी. परन्तु मुझे पढ़ाई करने का बहुत शौक था. मैं अपने भाई की किताबों को पढ़ा करती थी. जब मुझे पता चला कि संस्था द्वारा हमारा दाखिला करवाया जाएगा और मैं फिर से पढ़ाई कर सकती हूं तो मुझे बहुत खुशी हुई. हमें इस संस्था द्वारा प्रतिदिन 2 से 3 घंटे पढ़ाया जाता है. मुझे ख़ुशी है कि अब मेरा उच्च शिक्षा प्राप्त करने का सपना पूरा हो सकता है.”
22 वर्षीय सीता का कहना है कि “जब मैं आठवीं कक्षा में पढ़ती थी तो मेरे दो बड़े भाइयो के साथ मेरी भी शादी करवा दी गई. सोचा था कि सुसराल जाकर अपनी पढ़ाई पूरी करूंगी, लेकिन लगातार बीमार रहने के कारण मैं पढ़ाई नहीं कर पाई. अब मुझे संस्था के माध्यम से एक बार फिर से पढ़ने का अवसर मिला है. अब मैं ओपन स्कूल से 10वीं कक्षा की पढ़ाई कर रही हूं. अब मुझे लगता है कि मैं भी अपनी जिंदगी में कुछ कर सकती हूं.” वहीं 17 वर्षीय किशोरी कविता का कहना है कि “जब मेरी पढ़ाई छूटी तो मुझे लगता था कि मैं सिर्फ घर का काम काज ही करूंगी और शिक्षा प्राप्त करने का मेरा सपना कभी पूरा नहीं होगा. लेकिन अब मैं पढ़ रही हूं तो मुझे लगता है कि मैं भी अपनी जिंदगी में बहुत कुछ कर सकती हूं. अपना भविष्य उज्जवल बना सकती हूं और आत्मनिर्भर बन कर अपना ध्यान खुद रख सकती हूं.” कविता कहती है कि पहले महिलाओं पर इसलिए अत्याचार होते थे, क्योंकि वह पढ़ी लिखी नहीं होती थी. जिससे वह अपने अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं होती थीं. लेकिन अब शिक्षा प्राप्त कर महिलाएं और किशोरियां अपने अधिकारों के प्रति भी जागरूक हो रही हैं. उर्मुल की पहल से न केवल महिलाएं और किशोरियां, बल्कि उनके अभिभावक भी खुश नज़र आ रहे हैं. उनकी लड़कियों को पढ़ने, आगे बढ़ने और सशक्त होने का अवसर प्राप्त हो रही है. इस संबंध में एक अभिभावक 40 वर्षीय भीयाराम मेघवाल का कहना है कि ‘संस्था की यह पहल अच्छी है. जो बालिकाएं किसी कारणवश स्कूल नहीं जा पाती थीं उनका प्रेरकों ने हौसला बढ़ाया. जिससे वह आगे पढ़ने की हिम्मत जुटा सकीं.’ भीयाराम का मानना है कि पढ़ी लिखी लड़कियां ही महिलाओं पर होने वाले अत्याचारो के विरुद्ध आवाज उठा सकती हैं और उसका विरोध करने का साहस दिखा सकती हैं. वह बताते हैं किसी कारणवश उनकी बेटी की शिक्षा बीच में ही छूट गई थी. लेकिन मुझे खुशी है कि अब वह संस्था के माध्यम से अपनी शिक्षा पूरी कर रही है.
वास्तव में, महिलाओं और किशोरियों ने शिक्षा के जरिए अपने परिवार और समाज में बहुत बड़ा बदलाव किया है और करती रहेंगी. स्त्री शिक्षा का समाज और परिवार की सोच में परिवर्तन लाने में बहुत बड़ा योगदान होता है. जब एक स्त्री शिक्षित होती है तो सिर्फ एक स्त्री नहीं बल्कि पूरा परिवार शिक्षित होता है. इसके माध्यम से ही महिलाओं और किशोरियों को अपने अधिकारों की जानकारी प्राप्त होती है और जिससे समाज और परिवार के अंदर बेहतर योजनाओं को बनाया जा सकता है. (चरखा फीचर)