प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना सबसे ज्यादा राशि

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना  सबसे ज्यादा राशि

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा सड़कें बनी हैं। मध्यप्रदेश एकमात्र ऐसा राज्य है, जिसे इस योजना में सबसे ज्यादा राशि मिली है। योजना की शुरूआत से अब तक 69 हजार 643 किलोमीटर लम्बी 16 हजार 346 सड़क के निर्माण के लिये मंजूरी हासिल हुई। इसमें नक्सल प्रभावी जिलों के साथ ही समेकित कार्य-योजना (आईएपी) में मंजूर सड़कें भी शामिल हैं। इनमें से अब तक 61 हजार 271 किलोमीटर लम्बाई की 13 हजार 618 सड़क का निर्माण पूरा हो चुका है। योजना में शुरू से अब तक 19 हजार 143 करोड़ रुपये की मंजूरी केन्द्र से मिल चुकी है और 15 हजार 368 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।

योजना में अब तक 57 हजार 593 किलोमीटर लम्बी 13 हजार 488 सड़क के लिये 15 हजार 219 करोड़ रुपये और एशियन डेव्हलपमेंट बेंक (एडीबी) की मदद से 12 हजार 49 किलोमीटर लम्बी 2858 सड़क के लिये 3478 करोड़ रुपये की सहायता मिली है। गत माह तक प्रदेश में योजना में 51 हजार 391 किलोमीटर लम्बी 11 हजार 583 सड़क का निर्माण पूरा हो चुका है। इन कार्यों पर 12 हजार 655 करोड़ रुपये खर्च हुए। इसी तरह एशियन डेव्हलपमेंट बेंक की सहायता 9880 किलोमीटर लम्बी 2035 सड़क का निर्माण किया गया है। इन कार्यों पर 2583 करोड़ राशि खर्च हुई है। भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के वित्त की पूर्ति के लिये एडीबी से ली गयी ऋण सहायता की राशि मध्यप्रदेश को अनुदान के रूप में हासिल होगी।

प्रदेश में इस योजना में मंजूर कुल 16 हजार 20 सड़क में से 13 हजार 618 सड़क बन गई है। इन सड़कों से एक हजार से अधिक की आबादी वाले 5836 गाँव और 500 तथा 250 तक की आबादी वाले 6668 गाँव को बारहमासी आवागमन सुविधाओं का लाभ मिल रहा है। केन्द्र ने समेकित कार्य-योजना में शामिल प्रदेश के 8 जिले में 1665.79 किलोमीटर लम्बी 458 सड़क के लिये वित्त वर्ष 2011-12 में 532.82 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। इस योजना से 603 बसाहट लाभान्वित होंगी।

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क की गुणवत्ता पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इस मकसद से त्रि-स्तरीय गुणवत्ता नियंत्रण व्यवस्था लागू की गयी है। इसमें विभागीय निरीक्षण के अतिरिक्त, स्टेट क्वालिटी मॉनीटर तथा नेशनल क्वालिटी मॉनीटर रखे गये हैं, जो समय-समय पर सभी काम का निरीक्षण करते हैं। कामों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये विभागीय अमले के अलावा सुपरविजन एवं क्वालिटी कंट्रोल कंसलटेंट भी नियुक्त किये गये हैं।

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