- December 17, 2022
पीलीभीत में 31 साल: 43 पुलिसकर्मियों को उम्र कैद की सजा
पीलीभीत में 31 साल पुराने फर्जी मुठभेड़ मामले में हाईकोर्ट ने 43 पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया है। फर्जी मुठभेड़ में शामिल 43 पुलिसकर्मियों को कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस सरोज यादव की डबल बेंच ने पीलीभीत मुठभेड़ मामले में पुलिस कर्मियों को ये सजा सुनाई है।
दरअसल 12 जुलाई 1991 को पीलीभीत के कछला घाट के पास तीर्थ यात्रियों को लेकर जा रही बस से 11 सिख नौजवानों को उतारकर पुलिस ने 10 लोगों का मुठभेड़ किया था जबकि शाहजहांपुर का तलविंदर सिंह आज तक लापता है। बस से उतारकर 10 सिख तीर्थयात्रियों को पीलीभीत के पूरनपुर न्यूरिया और बिलसंडा थाना क्षेत्र में खालिस्तान Liberation Front का आतंकी बताकर मार डाला गया था।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 15 मई 1992 में इस मामले की CBI जांच शुरू हुई थी। CBI चार्जशीट पर सुनवाई के बाद सभी 57 पुलिसकर्मियों को सजा सुनाई गई थी। ये सजा आरोपी पुलिसकर्मियों को अप्रैल 2016 में सुनाई गई थी। निचली कोर्ट से सजा मिलने के बाद आरोपियों ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में अपील की थी। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने भी जिंदा बचे 43 पुलिसकर्मियों को मुठभेड़ का दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है।